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Sufi Sahitya Rachnaye Part – 2 | सूफी साहित्य की अन्य प्रमुख रचनाएं
Sufi Sahitya Rachnaye Part – 2 | सूफी साहित्य की अन्य प्रमुख रचनाएं : दोस्तों ! हमनें पिछले नोट्स में सूफी साहित्य की कई प्रमुख रचनाओं को जाना और समझा। आज के नोट्स में हम आपके लिए ” सूफी साहित्य की अन्य प्रमुख रचनाये : भाग-2 “लेकर आये है। जिसमे आपको सूफी काव्य धारा की शेष बची प्रमुख रचनाओं के बारे में बताया जा रहा है। इन रचनाओं को भी आप ध्यान से समझिये जो इस प्रकार से है :
मधुमालती | Madhu Malti
रचनाकाल | 1545 ई. |
रचनाकार | मंझन |
नायक | मनोहर |
नायिका | मधुमालती |
उपनायक | ताराचंद |
उपनायिका | प्रेमा |
” पुरुष मारि ब्रज सती कराई “
- इस रचना में प्रेम का सर्वोच्च आदर्श दिखलाया गया है।
- इसमें सात अर्धालियों पर दोहे का प्रावधान मिलता है।
- इस सूफी रचना में नायक- नायिका के अलावा उपनायक व उपनायिका का प्रावधान भी मिलता है।
- एकमात्र सूफी रचना है जिसमें प्रेम का माध्यम परियां बनती हैं।
ध्यान दे : रीतिकाल में चतुर्भुजदास कायस्थ ने भी मधुमालती नाम से रचना लिखी है।
जिसमें 8 अर्धालियों पर दोहे का प्रावधान मिलता है । इसके नायक का नाम मधुकर मिलता है।
रूपमंजरी | Roop Manjari
रचनाकाल | 1568 ई. |
रचनाकार | नंददास |
नायक | कृष्ण |
नायिका | रूपमंजरी |
भाषा | ब्रजभाषा |
- नंददास की ‘रस मंजरी‘ रस और नायिका भेद से संबंधित एक महत्वपूर्ण ग्रंथ है जो बाद में रीति कवियों के लिए प्रेरणा स्रोत बना।
छिताई वार्ता | Chhitai Varta
रचनाकाल | 1590 ई. |
रचनाकार | नारायण दास |
नायक | ढोल समुंद्र गढ़ का राजकुमार |
नायिका | छिताई |
भाषा | राजस्थानी मिश्रित ब्रजभाषा |
चित्रावली | Chitravali
रचनाकाल | 1613 ई. |
रचनाकार | उसमान |
नायक | सुजान |
नायिका | चित्रावली |
भाषा | अवधी |
रामकुमार वर्मा ने चित्रावली को ‘पद्मावत की छाया प्रति‘ कहा है। यह रचना द्वितीय पद्मावत के नाम से भी जानी जाती है ।
” बलंदीप देखा अंग्रेजा जहां जाहि तेही कठिन करेजा “
- इस रचना में “अंग्रेज द्वीप” का उल्लेख मिलता है । उसमान के गुरु चिश्ती संत “हाजी बाबा” थे।
रस रतन | Ras Ratan
रचनाकाल | 1618 ई. |
रचनाकार | पुहुकर |
नायक | सोम |
नायिका | रंभा |
भाषा | अवधी |
ज्ञानदीप | Gyandeep
रचनाकाल | 1619 ई. |
रचनाकार | शेखनबी |
नायक | ज्ञानदीप |
नायिका | देवयानी/ देवजानी |
- आचार्य रामचंद्र शुक्ल ने ज्ञानदीप की ओर संकेत करते हुए लिखा है :
“अतः प्रेमगाथा परंपरा की समाप्ति यहीं से समझनी चाहिए।”
हंस जवाहिर | Hans Jawahir
रचनाकाल | 1731 ई. |
रचनाकार | कासिम शाह |
नायक | हंस |
नायिका | जवाहिर |
भाषा | अवधी |
- आचार्य रामचंद्र शुक्ल ने हंस जवाहिर को बहुत ही निम्न कोटि की सूफी रचना माना है ।
- कासिम शाह ने हंस जवाहिर लिखते समय फारसी कवि गवासी के ‘सैफुल्मुल्क’ का अनुसरण किया है।
इंद्रावती | Indravati
रचनाकाल | 1744 ई. |
रचनाकार | नूर मोहम्मद |
- नूर मोहम्मद जब इंद्रावती लिख रहे थे तब मुसलमान भाइयों ने यह ताना दिया होगा कि मुसलमान होकर हिंदी में क्यों लिख रहे हो तब वे अनुराग बांसुरी में जवाब देते हैं :
” जानत है वह सिरजनहारा, जो कछु है मरम हमारा।
हिंदू मग में पांव ना राखेऊं, का जो बहुतै हिंदी भाखेऊं। ” – (अनुराग बांसुरी)
अनुराग बांसुरी | Anurag Bansuri
रचनाकाल | 1764 ई. |
रचनाकार | नूर मोहम्मद |
भाषा | संस्कृतनिष्ठ अवधी |
- आचार्य रामचंद्र शुक्ल का विचार है :
” इस रचना में सांप्रदायिकता की बू आती है” ।
- आचार्य शुक्ल ने नूर मोहम्मद की अनुराग बांसुरी पर सांप्रदायिक मनोवृति का आरोप लगाया है ।
नूर मोहम्मद ने अनुराग बांसुरी लिखते समय मुल्लावजहीं की रचना ‘सबरस’ का अनुसरण किया है।
- नूर मोहम्मद ने कड़वक बद्धता में जायसी से पूर्व की परंपरा अर्थात पांच आर्धालियों पर दोहे के प्रावधान को स्वीकार किया है। इंद्रावती इसका प्रमाण है।
- अनुराग बांसुरी में नूर मोहम्मद ने बरवै छंद का प्रयोग किया है।
- नूर मोहम्मद को अनेक भाषाओं का ज्ञान था। आचार्य शुक्ल ने इन्हें बहुभाषाविद् माना है ।
- सामान्यत: सूफी कवियों की भाषा ठेठ अवधी रही है । लेकिन नूर मोहम्मद ने संस्कृतनिष्ठ अवधी का प्रयोग किया है। अनुराग बांसुरी इसका प्रमाण है।
आचार्य रामचंद्र शुक्ल के अनुसार :
- इंद्रावती के लिए कहा है : सूफी प्रेम पद्धति की समाप्ति यही से समझनी चाहिए।
- अनुराग बांसुरी के लिए कहते हैं : सूफी अखंडित परंपरा की समाप्ति यहीं से समझनी चाहिए ।
- अनुराग बांसुरी में जीवात्मा, मनोवृतियां एवं शरीर का पूरा रूपक प्रस्तुत किया गया है।
अन्य सूफी रचनाएं
रचना | रचनाकार |
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गोरा बादल री ढ्यात | जटमल |
गोरा – बादल री चौपाई | हेमरतन |
फूलबन | इब्न निशाती |
नल – दमयंती कथा | सूरदास लखनबी |
मधुमालती | चतुर्भुजदास कायस्थ |
यूसुफ जुलेखा | शेख निसार |
प्रेम दर्पण (1917 ई.) | शेख नजीर |
- शेख निसार ने फारसी कवि “हाशमी” की “यूसुफ जुलेखा” का अनुसरण किया है।
- “प्रेम दर्पण” रचना को अंतिम सूफी रचना माना जाता है
तो दोस्तों ! ये थी सूफी काव्य धारा की प्रमुख रचनाये। उम्मीद करते है कि आप सूफी काव्य धारा, उसकी प्रमुख विशेषताओं और उसकी प्रमुख रचनाओं के बारे में अच्छे से समझ गए होंगे।
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एक गुजारिश :
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