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Surdas | सूरदास एवं उनकी प्रमुख रचनाये और चर्चित वक्तव्य
नमस्कार दोस्तों ! आज के नोट्स में हम कृष्ण भक्ति साहित्य के अनन्य भक्त सूरदास और उनकी साहित्यिक रचनाओं के बारे में विस्तार पूर्वक अध्ययन करने जा रहे है। तो चलिए समझते है :
Surdas | सूरदास : सूरदास हिंदी के भक्ति काल के कवि हैं। सूरदास हिंदी साहित्य में श्रीकृष्ण के अनन्य भक्त हैं और बृज भाषा के श्रेष्ठ कवि भी हैं। इन्हें “हिंदी साहित्य का सूर्य” भी कहा जाता है। सूरदास जन्मांध थे या नहीं इसके बारे में विद्वानों में मतभेद है।
सूरदास का जन्म 1478 ईस्वी में आगरा- मथुरा के किनारे रुनकता ग्राम में हुआ। कुछ विद्वानों का मानना है कि सूरदास का जन्म सीही नामक ग्राम में निर्धन ब्राह्मण परिवार में हुआ ।
सीही में मानने वाले विद्वान और रुनकता में मानने वाले विद्वान इस प्रकार है :
- सीही : वार्ता साहित्य, नगेंद्र, गणपति चंद्रगुप्त।
- रुनकता : आचार्य रामचंद्र शुक्ल, हजारी प्रसाद द्विवेदी, श्यामसुंदर दास।
Surdas | सूरदास की रचनाएं :
Surdas | सूरदास जी द्वारा लिखित तीन ग्रंथ प्रसिद्ध है :
- सूरसागर
- सूर सारावली
- साहित्य लहरी
सूरसागर | Sursagar :
- यह गीती काव्य के रूप में लिखी गई मुक्तक काव्य रचना है। इसे हिंदी का श्रीमद्भागवत पुराण कहा जाता है।
- भागवत पुराण 12 इस स्कंधों में विभाजित है और सूरसागर भी 12 इस स्कंधों में विभाजित है। दोनों के दशम स्कंध में भ्रमरगीत प्रसंग मिलता है।
- सूरदास सवा लाख पदों के रचयिता माने जाते हैं । सूरसागर का सबसे पहला व प्रामाणिक संपादन नंददुलारे वाजपेयी ने काशी नागरी प्रचारिणी सभा से किया।
- कृष्ण भक्ति साहित्य का हृदय सूरसागर को कहा जाता है और सूरसागर का हृदय भ्रमरगीत को कहा जाता है। भ्रमरगीत में सूरदास ने लगभग 752 पद लिखे हैं।
- आचार्य रामचंद्र शुक्ल द्वारा संपादित भ्रमरगीत सार में 400 पद संग्रहित हैं। भ्रमरगीत में व्यंजना शब्द शक्ति की प्रधानता है। इसलिए रामचंद्र शुक्ल ने भ्रमरगीत को सर्वश्रेष्ठ ध्वनि काव्य और सर्वश्रेष्ठ उपालम्भ काव्य की संज्ञा दी है।
भ्रमरगीत का उद्देश्य :
- ज्ञान पर भक्ति की विजय।
- योग पर प्रेम की विजय।
- शहरी संस्कृति पर ग्रामीण संस्कृति की विजय।
- चतुराई पर सरलता की विजय।
- मस्तिष्क पर हृदय की विजय।
- निर्गुण पर सगुण की विजय।
कृष्ण भक्ति साहित्य में नंद दास ने भी भंवर गीत की रचना की है। सूरदास के भ्रमरगीत और नंददास के भंवर गीत में अंतर इस प्रकार है :
- सूरदास का भ्रमरगीत मुक्तक है जबकि नंददास का भंवर गीत प्रबंध रचना है ।
- सूरदास की गोपियां भावुक व संवेदनशील ज्यादा है , बौद्धिक और तार्किक कम है। जबकि नंददास की गोपियां बौद्धिक व तार्किक ज्यादा है, भावुक व संवेदनशील कम है।
सूर सारावली | Sur Saravali :
सूर सारावली रचना पर मौलिकता व अमौलिकता का विवाद उठाया जाता है। इसमें संसार को होली का रूपक माना गया है तथा इसमें 1103 पद है।
“गुरु प्रसाद होत यह दरसन सरसठ बरस प्रवीन”
साहित्य लहरी | Sahitya Lahari :
साहित्य लहरी में कुल 118 पद मिलते हैं। संपूर्ण साहित्य लहरी दृष्टिकूट शैली में रचित है। यह सर्वाधिक क्लिष्ट रचना मानी जाती है।
“मुनि सुनि रसन के रस लेख
दसन गोरीनंद को सुबल संवत पेख”
- साहित्य लहरी के 112 वें पद में सूरदास ने स्वयं को चंदबरदाई की वंश परंपरा में माना है। साहित्य लहरी रीति तत्वों से युक्त साहित्यिक क्रीडा का ग्रंथ है। यह चमत्कार प्रधान रचना है।
- बाद में यह ग्रंथ रीतिकालीन कवियों के लिए प्रेरणा स्रोत बनता है । साहित्य लहरी नायिका भेद व रस से संबंधित ग्रंथ है।
- साहित्य लहरी पर प्रमाणिकता वह अप्रमाणिकता का बड़ा गहरा विवाद चलता आया है। सूरदास की भक्ति प्रारंभ में दास्य भाव की थी, बाद में सख्य भाव की रही है।
सूरदास की भक्ति भावना मुख्यतः सख्य भाव की रही है। प्रारंभ में सूरदास दास्यभाव की भक्ति किया करते हैं। उनकी दास्य भाव की भक्ति का अंतिम पद इस प्रकार है :
” प्रभु हौ पतितन को सब टीकौ
और पतित सब धौंस चारि के
हौ तो जन मत ही कौ “
सूरदास की मुलाकात वल्लभाचार्य जी से 1509 ई. में गऊघाट पर हुई थी। तब यह पद सूरदास जी ने सुनाया था। और तब वल्लभाचार्य जी ने उन्हें यह पद उत्तर में सुनाया था :-
“सूर्य हवै के ऐसो काहे को घिघियात है
कछु हरि भजेऊ कर लेही।” — वल्लभाचार्य
यहीं से सूरदास की सख्य भावना की भक्ति शुरू हुई है। सूरसागर में एक पद मिलता है :
“श्री वल्लभ गुरु तत्व सुनायो लीला भेद बतायो।”
सूरदास जी जीवन के अंतिम दिनों में श्रीनाथ जी का मंदिर छोड़कर पारसौली चले गए थे । वहीं उनकी मृत्यु हुई। सूरदास जी द्वारा गाया गया अंतिम पद :
“खंजन नयन रूप रस माते “
हम आपको बता दे कि अमृतलाल नागर ने सूरदास जी की जीवनी पर “खंजन नयन” नामक उपन्यास लिखा है।
सूरदास की मरण अवस्था पर विट्ठलनाथ ने कहा :
” पुष्टीमारग को जहाज जात है जो कछु लेहूं सो लेहु “
- पुष्टिमार्ग के संस्थापक : वल्लभाचार्य
- अष्टछाप के संस्थापक हैं : विट्ठलनाथ
- विट्ठलनाथ का चर्चित ग्रंथ है : श्रंगार रस मंडल (1565 ई.)
Surdas | सूरदास पर चर्चित वक्तव्य :
आचार्य रामचंद्र शुक्ल के चर्चित कथन :
- सूर वात्सल्य है और वात्सल्य सूर है।
- सूरदास हिंदी काव्य गगन के चंद्रमा है।
- श्रंगार और वात्सल्य रस का ये कोना-कोना झांक आए हैं। इस क्षेत्र में महाकवि ने मानों किसी अन्य के लिए कहने को कुछ छोड़ा ही नहीं।
- हिंदी में श्रंगार रस का रसराजत्व यदि किसी ने दिखला दिया है तो सूर ने।
- सूरदास सिद्धावस्ता के कवि हैं, लोकरंजन के कवि हैं।
- इनको जीवनोत्सव का कवि कहा है। ये भावाधिपति हैं।
- सूरदास की कविता भाव पंचामृत की मानी जाती है। ये भाव पंचामृत इसप्रकार है :
- माधुर्य
- भक्ति
- वात्सल्य
- प्रेम लक्षणा
- सख्य)
- प्रसंगोत्भावना करने वाली ऐसी प्रतिभा हम तुलसीदास में भी नहीं पाते हैं। मध्यकाल में नवीन प्रसंगोत्भावना की शक्ति या तो सूरदास में सर्वाधिक अथवा बिहारीदास में है।
- अष्टछाप से लगी आठ वीणाएं एक साथ झंकृत हो उठी, जिसमें सबसे ऊंची और सुरीली तान अंधे कवि सूरदास की थी।
- सूरसागर किसी चली आती हुई गीती काव्य परंपरा का (चाहे वह मौखिक ही रही हो) पूर्ण विकास प्रतीत होता है। जैसे रामचरित गान करने वाले भक्त कवियों में गोस्वामी तुलसीदास का सर्वश्रेष्ठ स्थान है उसी प्रकार कृष्ण चरित्र गान करने वाले भक्त कवियों में महात्मा सूरदास जी का है।
रामकुमार वर्मा के चर्चित कथन :
- सूरदास पद संगीत के जीते जागते अवतार बन गए हैं ।
नाभा दास के चर्चित कथन :
नाभा दास ने भक्तमाल में सूरदास को अद्भुत तुकधारी की संज्ञा दी है। नाभादास की पंक्ति इस प्रकार है :
” उक्ति चौज अनुप्रास वरन अस्थिति अति भारी।
वचन प्रीति निवाई अर्थ अद्भुत तुक धारी।।”
नाभा दास की भक्तमाल में तानसेन द्वारा लिखा मिलता है :
“किधौं सूर को सर लग्यो, किधौं सूर की पीर।
किधौं सूर को पद लग्यो, तन-मन धुनत सरीर।।”
हजारी प्रसाद द्विवेदी के चर्चित कथन :
- बालकृष्ण की चेष्टाओं के चित्रण में कवि कमाल की होशियारी और सूक्ष्म निरीक्षण का परिचय देता है, न उसे शब्दों की कमी होती है, न अलंकार की, न भावों की, न भाषा की।
इस प्रकार महाकवि सूरदास ने कृष्णजी की उपासना की और ब्रज भाषा में ग्रंथों की रचना की। उम्मीद करते है कि आपको Surdas | सूरदास एवं उनकी प्रमुख रचनाये और चर्चित वक्तव्य के बारे में सब कुछ स्पष्ट हो गया होगा।
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एक गुजारिश :
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