Hindi Sahitya Ke Natak | हिंदी साहित्य के नाटक
Hindi Sahitya Ke Natak | हिंदी साहित्य के नाटक : हिंदी में नाटक लिखने की परंपरा बहुत पुरानी है। हिंदी में नाटक लिखने की परंपरा की शुरुआत भारतेंदु बाबू हरिश्चंद्र से हुई क्योंकि इनसे पहले नाटक विधा नाम से जो रचनाएं हिंदी में उपलब्ध थी, उनमें नाट्य तत्वों का अभाव था।
प्राणचंद चौहान कृत “रामायण महानाटक” (1610 ई) पद्यात्मक है तथा इसे नाट्य रचना नहीं कह सकते। आधुनिक काल में भारतेंदु जी के पिता गोपाल चंद गिरधर दास ने “नहुष” (1857), गणेश कवि ने “प्रद्युम्न विजय” (1863ई) तथा शीतला प्रसाद त्रिपाठी ने “जानकी मंगल” (1868) नाटकों की रचना की।
इनमें से “जानकी मंगल” नाटक में ही नाटक गुण मिलते हैं। भारतेंदु जी ने हिंदी के नाटकों की रचना के साथ-साथ दूसरी भाषाओं की श्रेष्ठ नाट्य रचनाओं का अनुवाद भी किया। उन्होंने नाटक नामक आलोचनात्मक कृति में नाट्य तत्वों का उल्लेख किया और नए नाटककारों को दिशा निर्देश दिए।
Hindi Sahitya Ke Natak | हिंदी साहित्य के नाटकों का विकास क्रम
हिंदी नाटकों के विकास क्रम को निम्न कालों में विभाजित किया जाता है :
(क) भारतेंदुयुगीन हिंदी नाटक – 1857-1900 ई.
(ख) प्रसादयुगीन हिंदी नाटक – 1900-1950 ई.
(ग) प्रसादोत्तर हिंदी नाटक – 1950 के उपरांत
(क) भारतेंदुयुगीन हिंदी नाटक – 1857-1900 ई.
भारतेंदु युग में मौलिक और अनूदित दोनों प्रकार के नाटकों की रचना हुई। अनूदित नाटक मुख्यतः बंगला, संस्कृत, अंग्रेजी भाषाओं की नाटक कृतियों पर आधारित है।
भारतेंदु जी ने भी अनुदित नाटकों की रचना की जो इस प्रकार है :-
भारतेंदु : अनूदित नाटक
विद्या सुंदर | 1868 | संस्कृत के चौरपंचाशिका के बंगला संस्करण का अनुवाद |
रत्नावली | 1868 | संस्कृत से अनुवाद |
धनंजय विजय | 1873 | संस्कृत से अनुवाद |
कर्पूर मंजरी | 1875 | संस्कृत से अनुवाद |
पाखंड विडंबन | 1872 | संस्कृत के प्रबोध चंद्रोदय के तीसरे अंक का अनुवाद |
मुद्राराक्षस | 1878 | संस्कृत नाटककार विशाखदत्त के मुद्राराक्षस नाटक का हिंदी अनुवाद |
दुर्लभ बंधु | 1880 | अंग्रेजी नाटककार शेक्सपियर के मर्चेंट ऑफ वेनिस का अनुवाद |
इनके अतिरिक्त भारतेंदु जी ने मौलिक नाटकों की भी रचना की जो इस प्रकार से है :
वैदिक हिंसा हिंसा न भवति | 1873 | प्रहसन |
सत्य हरिश्चंद्र | 1875 | नाटक |
प्रेम जोगिनी | 1875 | नाटिका |
श्री चंद्रावली | 1876 | नाटिका |
विषस्य विषमौषधय | 1876 | भाण |
भारत जननी | 1877 | नाट्यगीत |
भारत दुर्दशा | 1880 | नाट्य रासक |
नील देवी | 1881 | गीति रुपक |
अंधेर नगरी | 1881 | प्रहसन |
सती प्रताप | 1883 | गीति रुपक |
लाला श्रीनिवास दास
- श्री प्रहलाद चरित्र
- तप्तासंवरण
- रणधीर प्रेम मोहिनी
- संयोगिता स्वयंवर
राधा कृष्ण दास
- महाराणा प्रताप
- महारानी पद्मावत
- धर्मालाप
- दुखिनी बाला
बालकृष्ण भट्ट
- दमयंती स्वयंवर
- वृहन्नला
- वेणी संहार
- कलिराज की सभा
- शिक्षा दान
- रेल का विकट खेल
- बाल विवाह
राधाचरण गोस्वामी
- तन मन धन गोसाई जी के अर्पण
- बुड्ढे मुंह मुंहासे लोग देखे तमासे
- अमर सिंह राठौड़
- सती चंद्रावली
- श्रीदामा
जीपी श्रीवास्तव
- उलटफेर
- दुमदार आदमी
- गड़बड़झाला
- कुर्सी मैंन
- घर का न घाट का
पांडे बेचन शर्मा “उग्र”
- चार बेचारे
- उजबक
प्रसादयुगीन हिंदी नाटक – 1900-1950 ई.
प्रसादयुगीन हिंदी नाटक इस प्रकार है :
जयशंकर प्रसाद
- सज्जन -1910
- कल्याणी परिणय
- प्रायश्चित
- करुणालय -1912
- राज्य श्री
- विशाख -1921
- अजातशत्रु -1922
- कामना -1924
- जन्मेजय का नागयज्ञ -1926
- स्कंद गुप्त -1928
- एक घूंट -1930
- चंद्रगुप्त -1931
- ध्रुवस्वामिनी -1933
हरि कृष्ण प्रेमी
- रक्षाबंधन 1934
- शिवा साधना
- प्रतिशोध 1937
- स्वप्न भंग आहुति
- विषपान 1945
- उद्धार
- शपथ
- विजय स्तंभ
- कीर्ति स्तंभ
- संरक्षक
- विदा
- आन का मान
- संवत प्रवर्तन
- अमृतपुत्री
- छाया बंधन
लक्ष्मीनारायण मिश्र
- सन्यासी
- राक्षस का मंदिर
- मुक्ति का रहस्य
- राजयोग
- सिंदूर की होली
- आधी रात
- गरुड़ध्वज
- वत्सराज
- दशाश्वमेघ
- वित्तस्ता की लहरें
सेठ गोविंद दास
- प्रकाश
- स्वातंत्र्य सिद्धांत
- सेवा पथ
- संतोष कहां
- त्याग और ग्रहण
- बड़ा पापी कौन
- सुख किसमे
- महत्व किसे
- अमीरी या गरीबी
गोविंद बल्लभ पंत
- अंगूर की बेटी
- सिंदूर की बिंदी
- राजमुकुट
- अंत: पुर का छिद्र
- सुहाग बिंदी
उपेंद्रनाथ अश्क
- स्वर्ग की झलक
- छटा बेटा
- अलग-अलग रास्ते
- अंजो दीदी
- अंधी गली
- कैद
- उड़ान
- जय- पराजय
उदय शंकर भट्ट
- दाहर
- शक विजय
- मुक्तिपथ
- क्रांतिकारी
- नया समाज
- पार्वती
वृंदावनलाल वर्मा
- राखी की लाज
- सगुन
- नीलकंठ
- केवट 1951
- निस्तार
- देखा देखी
- फूलों की बोली
- पूरब की ओर
- बीरबल
- ललित विक्रम 1953
सुमित्रानंदन पंत
- ज्योत्सना
- रजत शिखर
- शिल्पी
- सौवर्ण
प्रसादोत्तर हिंदी नाटक – 1950 के उपरांत
प्रसादोत्तर हिंदी नाटक निम्नानुसार है :
विष्णु प्रभाकर
- समाधि
- डॉक्टर
- युगे-युगे क्रांति
- टूटते परिवेश
जगदीश चंद्र माथुर
- कोणार्क -1951
- शारदीय – 1950
- पहला राजा – 1969
- दशरथ नंदन -1974
मोहन राकेश
- आषाढ़ का 1 दिन -1958
- लहरों के राजहंस -1963
- आधे अधूरे -1969
विनोद रस्तोगी
- आजादी के बाद
- नया हाथ
लक्ष्मीनारायण लाल
- अंधा कुआं -1955
- दर्पण -1963
- मादा कैक्टस -1958
- सूर्य मुख -1968
- मिस्टर अभिमन्यु -1971
- कर्फ्यू -1972
- अब्दुल्ला दीवाना
- व्यक्तिगत -1975
- एक सत्य हरिश्चंद्र
- सगुन पंछी और
- सबरंग मोहभंग -1977
धर्मवीर भारती
- अंधा युग -1954
चंद्रगुप्त विद्यालंकार
- न्याय की रात
मन्नू भंडारी
- बिना दीवारों का घर
शिवप्रसाद सिंह
- घाटिया गुंजती है
सुरेंद्र वर्मा
- सेतुबंध
- द्रोपति
- नायक खलनायक
- विदूषक
आठवां सर्ग
ज्ञानदेव अग्निहोत्री
- नेफा की एक शाम
- शुतुरमुर्ग
गिरिराज किशोर
- नरमेध
- प्रजा ही रहने दो
सर्वेश्वर दयाल सक्सेना
- बकरी
- अब गरीबी हटाओ
डॉ शंकर शेष
- बिना बाती के द्वीप
- बंधन अपने-अपने
- एक और द्रोणाचार्य
रमेश वक्षी
- देवयानी का कहना है
- तीसरा हाथी
मणि मधुकर
- रस गंधर्व
- बुलबुल सराय
- एक तारे की आंख
मुद्राराक्षस
- तिलचट्टा
- तेंदुआ
- मरजीवी
- योर्स फैथफुली
अमृतराय
- शताब्दी
- हम लोग
- चिद्धियों की एक झालर
लक्ष्मीकांत वर्मा
- रोशनी एक नदी है
- अपना-अपना जूता
भीष्म साहनी
- कविस खड़ा बाजार में
गोविंद चातक
- अपने-अपने खूंटे
स्वदेश दीपक
- कोर्ट मार्शल
सूदर्शन चोपड़ा
- कालापहाड़
बृजमोहन शर्मा
- त्रिशंकु
दया प्रकाश सिन्हा
- कथा एक कंस की
मृदुला गर्ग
- एक और अजनबी
शरद जोशी
- एक था गधा उर्फ अलदादा खां
- अंधों का हाथी
हमीदुल्लाह
- दरिंदे
- उत्तर उर्वशी
रमेश उपाध्याय
- पेपरवेट
कुसुम कुमार
- रावण
- ओम क्रांति क्रांति
- दिल्ली ऊँचा सुनती है
कमलेश्वर
- अधूरी आवाज
नरेंद्र कोहली
- शंकुक की हत्या
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एक गुजारिश :
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