Teesra Saptak Ke Kavi | तीसरा सप्तक के कवि एवं रचनाएँ
Teesra Saptak Ke Kavi | तीसरा सप्तक के कवि एवं रचनाएँ : नमस्कार दोस्तों ! हम आपको नोट्स में वो ही विषय वस्तु प्रदान करते है, जो आपके लिए प्रतियोगी परीक्षा की दृष्टि से उपयोगी है। इसलिए आप ये ना समझे कि हमने आपको अधूरी जानकारी दी है।
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पिछले नोट्स में हमने दूसरा सप्तक के कवियों के बारे में विस्तार से जाना और समझा था। इसी क्रम में आज हम Teesra Saptak Ke Kavi | तीसरा सप्तक के कवियों और उनकी प्रमुख रचनाओं के बारे में अध्ययन करने जा रहे है। तो चलिए शुरू करते है :
आपको बता दे कि तीसरा सप्तक भी अज्ञेय द्वारा ही सम्पादित है। ये नयी कविता से संबंधित सात कवियों की कविताओं का संग्रह है। अज्ञेय द्वारा संपादित 4 सप्तक प्रकाशित हुए।
पहला सप्तक जिसे तार सप्तक कहते हैं, इसका प्रकाशन 1943 ईस्वी में हुआ। दूसरा सप्तक का प्रकाशन 1951 ईस्वी में हुआ और तीसरे सप्तक का प्रकाशन 1959 ईस्वी में हुआ। पहले और दूसरे सप्तक के बारे में हम पहले ही चर्चा कर चुके हैं । आज हम Teesra Saptak Ke Kavi | तीसरे सप्तक के कवियों के बारे में जानकारी अर्जित करेंगे।
सं. | सप्तक | प्रकाशन |
---|---|---|
1. | तार सप्तक | 1943 |
2. | दूसरा सप्तक | 1951 |
3. | तीसरा सप्तक | 1959 |
4. | चौथा सप्तक | 1979 |
Teesra Saptak Ke Kavi | तीसरा सप्तक के कवि
अज्ञेय ने तीसरे सप्तक की भूमिका में नकेनवादियों को आड़े हाथों लिया है। 1956 ईस्वी में नकेनवाद का प्रपद्यवाद प्रकाशित हुआ। नकेनवादियों में शामिल कवि हैं :
- नलिन विलोचन शर्मा
- केसरी सिंह
- नरेश मेहता
नकेनवादियों का कहना था कि अज्ञेय आदि प्रयोगवादी नहीं है, असली प्रयोगवादी तो हम हैं।
तीसरा सप्तक के सभी कवि नयी कविता के है और चौथे सप्तक के कवि समकालीन कविता में माने जायेंगे। तीसरा सप्तक के 7 प्रमुख कवियों का विवरण इस प्रकार है :
- कुँवर नारायण
- विजयदेव नारायण साही
- सर्वेश्वर दयाल सक्सेना
- केदार नाथ सिंह
- कीर्ति चौधरी
- मदन वात्स्यायन
- प्रयाग नारायण त्रिपाठी
1. Kunwar Narayan | कुँवर नारायण
अज्ञेय द्वारा संपादित तीसरा सप्तक के प्रमुख कवियों में कुँवर नारायण का प्रमुख स्थान है। इनका जन्म 19 सितंबर, 1927 को उत्तर प्रदेश के फैजाबाद में हुआ।
कुँवर नारायण की प्रमुख रचनाएँ :
काव्य संग्रह :
सं. | काव्य संग्रह | वर्ष |
---|---|---|
1. | चक्रव्यूह – प्रथम | 1956 |
2. | तीसरा सप्तक | 1959 |
3. | परिवेश : हम-तुम | 1961 |
4. | अपने सामने | 1979 |
5. | कोई दूसरा नहीं | 1993 |
- “चक्रव्यूह” कविता संग्रह से पंक्तियां :
“मैं नवागत वह अजित अभिमन्यु हूँ,
प्रारब्ध जिसका गर्भ ही से हो चुका निश्चित,
अपरिचित जिन्दगी के व्यूह में फेंका हुआ उन्माद।।”
खंड काव्य :
सं. | खंड काव्य | वर्ष |
---|---|---|
1. | आत्मजयी | 1965 |
2. | वाजश्रवा के बहाने | 2008 |
- “आत्मजयी” मिथकीय चेतना के लिए प्रसिद्ध है। यह प्रबंध रचना कठोपनिषद के यम-नचिकेता प्रसंग पर लिखा गया खंडकाव्य है।
- वाजश्रवा एवं नचिकेता पात्रों के द्वारा आधुनिक भाव-बोध को अभिव्यक्ति दी गई है। वाजश्रवा पुरानी पीढ़ी का नेतृत्व करता है और नचिकेता आधुनिक पीढ़ी का।
कहानी संग्रह :
सं. | कहानी संग्रह | वर्ष |
---|---|---|
1. | आकारों के आसपास | 1973 |
2. Vijayadeva Narayaṇa Sahi | विजयदेव नारायण साही
विजयदेव नारायण साही तीसरा सप्तक के नयी कविता के दौर के प्रसिद्ध कवि है। इनका जन्म 7 अक्टूबर, 1924 को उत्तर प्रदेश में हुआ।
विजयदेव नारायण साही की प्रमुख रचनाएँ :
काव्य संग्रह :
सं. | काव्य संग्रह | वर्ष |
---|---|---|
1. | तीसरा सप्तक | 1958 |
2. | मछलीघर | 1966 |
3. | साखी | 1983 |
4. | संवाद तुमसे | 1990 |
5. | आवाज़ हमारी जाएगी | 1995 |
आलोचना :
सं. | आलोचना | वर्ष |
---|---|---|
1. | जायसी | 1983 |
2. | छठवाँ दशक | 1987 |
3. | साहित्य और साहित्यकार का दायित्व | 1987 |
4. | साहित्य क्यों ? | 1988 |
5. | वर्धमान और पतनशील | 1991 |
- “जायसी” इनकी प्रसिद्ध आलोचना पुस्तक है।
3. Sarveshwar Dayal Saxena | सर्वेश्वर दयाल सक्सेना
सर्वेश्वर दयाल सक्सेना हिंदी कवि एवं साहित्यकार थे। इनका जन्म 15 सितंबर, 1927 को बस्ती में हुआ।
सर्वेश्वर दयाल सक्सेना की प्रमुख रचनाएँ :
काव्य संग्रह :
सं. | काव्य संग्रह | वर्ष |
---|---|---|
1. | तीसरा सप्तक – सं. अज्ञेय | 1959 |
2. | काठ की घंटियां | 1959 |
3. | बांस का पुल | 1963 |
4. | एक सूनी नाव | 1966 |
5. | गर्म हवाएं | 1966 |
6. | कुआनो नदी | 1973 |
7. | जंगल का दर्द | 1976 |
8. | खूंटियों पर टंगे लोग | 1982 |
9. | कविताएं -1 | – |
10. | कविताएं -2 | – |
- “खूंटियो पर टंगे लोग” कविता को साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला है।
उपन्यास :
सं. | उपन्यास | वर्ष |
---|---|---|
1. | पागल कुत्तों का मसीहा | 1977 |
2. | सोया हुआ जल | 1977 |
3. | उड़े हुए रंग | – |
4. | कच्ची सड़क | 1978 |
5. | अंधेरे पर अंधेरा | 1980 |
- “उड़े हुए रंग” उपन्यास 1974 में “सूने चौखटे” नाम से प्रकाशित हुआ था।
चर्चित पंक्तियां :
“लोकतंत्र को जूते की तरह लाठी से
लटकाए,
भागे जा रहे हैं सभी
सीना फुलाए।
4. Kedarnath Singh | केदारनाथ सिंह
केदारनाथ सिंह हिंदी के सुप्रसिद्ध कवि व साहित्यकार थे। इनका जन्म 7 जुलाई, 1934 को उत्तर प्रदेश के बलिया में हुआ था। ये रस, रूप, वर्ण्य, स्पर्श गंधा बिम्ब योजना के लिए विशिष्ट माने जाते हैं।
केदारनाथ सिंह की प्रमुख रचनाएँ :
काव्य संग्रह :
सं. | काव्य संग्रह | वर्ष |
---|---|---|
1. | अभी बिल्कुल अभी – प्रथम | 1960 |
2. | जमीन पक रही है | 1980 |
3. | यहाँ से देखो | 1983 |
4. | अकाल में सारस | 1988 |
5. | उत्तर कबीर और अन्य कविताएँ | 1995 |
6. | बाघ | 1996 |
7. | तालस्ताय और साइकिल | 2005 |
8. | सृष्टि पर पहरा | 2014 |
- 1989 में उनकी कृति “अकाल में सारस” को साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला।
- “बाघ” इनकी एक लम्बी और चर्चित कविता है। जो 21 खण्डों में और 1996 में प्रकाशित हुई।
- “यहां से देखो” में “बनारस” (सर्वोत्तम कविता है) कविता संकलित है। इसी संग्रह में “टूटा हुआ ट्रक”, “बसंत” एवं “एक ठेठ देहाती कार्यकर्ता के प्रति” आदि कविताएं संकलित है।
- इसी संग्रह में “कविता क्या है” शीर्षक कविता संकलित है, जिसकी चर्चित पंक्तियाँ इसप्रकार है :
“मैंने जब भी सोचा
मुझे रामचंद्र शुक्ल की मूँछें याद आयी
मूँछों में दबी बारीक-सी हँसी
हँसी के पीछे कविता का राज
कविता के राज पर हंसती हुई मूँछें ।।”
5. Kirti Chaudhary | कीर्ति चौधरी
कीर्ति चौधरी भी हिंदी साहित्य में तीसरा सप्तक की प्रमुख कवियों में से एक है। इनका जन्म 1 जनवरी, 1934 को उत्तर प्रदेश में नईमपुर गांव में हुआ। इनका मूल नाम कीर्ति बाला सिन्हा था।
कीर्ति चौधरी की प्रमुख रचनाएँ :
- विगत
- आगत का स्वागत
- फूल झड़ गए
- तुझसे नेह लगाया
- मन करता है
- प्रतीक्षा।
6. Madan Vatsyayan | मदन वात्स्यायन
मदन वात्स्यायन का जन्म 4 मार्च, 1922 को हुआ।इनका वास्तविक नाम लक्ष्मी निवास सिंह था।
मदन वात्स्यायन की प्रमुख रचनाएँ :
- उपथगा
- शुक्रतारा
- उषा स्तवन
- दो बिहाग
- मिथिला में बाढ़
- झउआ के फूल
7. Prayag Narayan Tripathi | प्रयाग नारायण त्रिपाठी
तीसरा सप्तक के प्रमुख कवियों में प्रयाग नारायण त्रिपाठी का भी नाम है। अज्ञेय द्वारा सम्पादित तीसरा सप्तक के सात कवियों में इनका नाम भी प्रमुखता से लिया जाता है।
इनके बारे में अधिक जानकारी उपलब्ध नहीं है। तीसरा सप्तक के प्रमुख सात कवियों में से एक कवि के रूप में इनका नाम ध्यान में अवश्य रखियेगा।
इसप्रकार दोस्तों ! आज हमने Teesra Saptak Ke Kavi | तीसरा सप्तक के सभी सात कवियों और उनकी प्रमुख रचनाओं के बारे में जाना। उम्मीद है कि आपको समझ में आया होगा।
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