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Hindi Bhasha Aur Uska Vikas | हिन्‍दी भाषा और उसका विकास


Hindi Bhasha Aur Uska Vikas | हिन्‍दी भाषा और उसका विकास : भाषा संसार में विचारों को व्‍यक्‍त करने का एक सशक्‍त माध्‍यम है। भाषा एक ऐसा साधन है जिसके द्धारा हम अपने विचारों को व्‍यक्‍त कर सकते है और साथ ही इसके लिए हम वाचिक ध्‍वनियों का भी प्रयोग करते है।

मुख से उच्‍चारित सध्‍विन होने वाले शब्‍दों और वाक्‍यों का वह समूह जिनके द्धारा हम अपने मन की बात बता सकते है। भाषा हमारे मन की बातों को बताने का एक विश्‍वसनीय साधन है।

भाषा हमारे व्‍यक्तित्‍व निर्माण, अस्मिताए सामाजिक पहचान का भी साधन है I भाषा के बिना मानव अधूरा है। फलस्‍वरूप इस समय पूरे वि‍श्‍व में प्राय हजारों भाषाएं बोली जाती है। जिनमें प्रमुख का अध्‍ययन हम निम्‍नानुसार कर सकते है :



संसार के भाषा का परिवार | Bhasha Pariwar


संसार के भाषा का परिवार निम्नानुसार है :

1.भारोपीय परिवार
2.सामी हामी परिवार
3. द्रविड भाषा परिवार
4.आस्ट्रिक भाषा परिवार
5.फिनो ग्रीक भाषा परिवार
6.चीनी तिब्‍ब्‍ती भाषा परिवार
7.काकेशियन भाषा परिवार
8.अमेरिकी भाषा परिवार

भारत के चार भाषायी परिवार :

भारत में विश्‍व के सबसे चार प्रमुख भाषा परिवारों की भाषाएं बोली जाती है। जो निम्न प्रकार से है :

1.भारोपीय परिवार आर्य भाषाएं
2.द्रविड भाषा परिवार द्रविड भाषाएं
3.आस्ट्रिक भाषा परिवार मुंडा भाषाएं
4.चीनी तिब्‍ब्‍ती भाषा परिवार तिब्‍ब्‍ती भाषाएं


भारोपीय परिवार की भाषाएं :

भारत में सबसे अधिक भारोपीय परिवार की भाषा बोली जाती है। जो इसप्रकार से है :

  • संस्‍कृत
  • हिन्दी
  • उर्दु
  • बांगला
  • अग्रेंजी
  • फ्रेंच
  • जर्मनी
  • स्‍पेनिश
  • फारसी
  • पंजाबी

ध्‍वनी के आधार पर विश्‍व के भाषा प्रकार :

ध्‍वनी के आधार पर विश्‍व की भाषाओं को दो भागों में वर्गीकृत किया जा सकता है :

  1. शतम
  2. केतुम (केन्‍टुभ)


भारोपीय परिवार की आर्य भाषाएं


भारत में प्रमुख रूप से आर्य परिवार और द्रविड परिवार की भाषा बोली जाती है। जि‍नमें उतर भारत की भाषाएं आर्य परिवार की तथा दक्षिण भारत की भाषाएं द्रविड परिवार की है। उतर भारत की आर्य भाषाओं में संस्‍कृत सबसे प्राचीन भाषा है। जि‍सका प्राचीनतम रूप हमें ऋग्‍वेद में देखने को मिलता है।

आर्य भाषाओं की शाखा का वर्गीकरण :

आर्य भाषाओं की शाखा का वर्गीकरण निम्‍नवत है :

1. उतरी पश्चिमी शाखा लहंदा, पंजाबी, मुल्‍तानी, सिंधी, कश्‍मीरी, नेपाली
2. दक्षिणी पश्चिमी शाखा भीली, गुजराती, राजस्‍थानी
3. दक्षिणी शाखा मराठी, कोंकणी, सिंहली, मालदीव
4. पूर्वी शाखा असमिया, बंग्‍ला, उडिया
5. मध्‍य देशीय शाखा हिन्‍दी, उर्दु, मैथिली, भोजपुरी
  • भारत एक ऐसा भाषाई क्षेत्र है, जहां भारतीय भाषाएं भारतीय उपमहाद्धीप के पांच देशों में बोली जाती है। जो निम्‍नवत है :
1.हिन्‍दुस्‍तान हिन्‍दी
2.पाकिस्‍तान उर्दू
3.नेपाल नेपाली
4.बांग्‍ला बांग्‍ला
5.श्रीलकांसिंहली
  • इन सभी भाषाओं का विकास संस्‍कृत से हुआ है।

भारतीय आर्य भाषाओं का कालक्रम :

भारतीय आर्य भाषाओं के काल को मोटे तौर पर तीन कालखण्‍डों में विभक्‍त किया गया है :

1.प्राचीन भारतीय आर्यभाषा काल 1500-500 ई. तक
2.मध्‍य भारतीय आर्यभाषा काल 500-1000 ई. तक
3.आधुनिक भारतीय आर्यभाषा काल 1000 ई.- अब तक

1. प्राचीन भारतीय आर्यभाषा काल :

प्राचीन भारतीय आर्यभाषा काल में दो भाषाएं थी :

क) वैदिक संस्‍कृत वैदिक संस्‍कृत में ऋग्‍वेद की रचना हुई।
ख) लौकिक संस्‍कृतलौकिक संस्‍कृत में अर्थवेद, सभी पुराण, रामायण, महाभारत, ब्राहम्‍ण ग्रंथ, उपनिषद ग्रंथ, आरण्‍यक महाकवि कालीदास और महा‍कवि माघ सभी ने लौकिक संस्‍कृत में लिखा है।


2. मध्‍य भारतीय आर्यभाषा काल

मध्‍य भारतीय आर्यभाषा काल में तीन भाषाएं थी :

क) पालि भाषा 500-1 ई. तक
ख) प्राकृत भाषा 1-500 ई. तक
ग) अपभ्रंश भाषा 500-1000 ई. तक
क) पालि भाषा
  • इसे मागधी भाषा भी कहते है।
  • महात्‍मा बुद्ध ने जन साधारण को उपदेश पालि भाषा में दिया।
  • यह बौद्ध धर्म की भाषा है तथा बौद्ध साहित्‍य भी पालि भाषा में लिखा गया।
ख) प्राकृत भाषा
  • इसका प्रथम व्‍याकरण वररूचि ने प्राकृत प्रकाश लिखा।
  • यह भाषा बोलचाल की भाषा होने के कारण पण्डितों में प्रचलित नहीं थी I
  • संस्‍कृत नाटकों के अधम पात्र इस बोली का प्रयोग करते थे।
  • जैन साहित्‍य प्राकृत भाषा में लिखा गया है।

प्राकृत भाषा के पांच प्रमुख भेद थे :

सं.भाषाअपभ्रंशकेंद्र
1.महाराष्ट्री प्राकृत भाषा महाराष्ट्री अपभ्रंशमहाराष्ट्र
2.पेशाची प्राकृत भाषा पेशाची अपभ्रंशसिंध
3.मागधी प्राकृत भाषा मागधी अपभ्रंशमगध
4.शौरसेनी प्राकृत भाषा शौरसेनी अपभ्रंशमथुरा के आस-पास
5.अर्द्धमागधी प्राकृत भाषा अर्द्धमागधी अपभ्रंशकौशल
ग) अपभ्रंश भाषा
  • इसका प्रयोग 500-1000 ई. तक हुआI इस भाषा को अवहठ, अवहट्ठ, अवहंथ आदिअनेक नामो से जाना गयाI
  • अपभ्रंश का शाब्दिक अर्थ है – बिगड़ा हुआ I यह मध्यकालीन भारतीय आर्य भाषा के उत्तरकाल की भाषा हैI
  • अपभ्रंश भाषा प्रारम्भ कब से हुआ ? इस सम्बन्ध में तीन मत है :
  1. डॉ. उदयनारायण तिवारी ने (हिंदी भाषा का उदगम और विकास) में – 700 ई. माना है I
  2. डॉ. नामवर सिंह ने (हिंदी के विकास में अपभ्रंश योगदान) में 500 ई. के आस-पास माना हैI
  3. डॉ. भोलानाथ तिवारी ने 500 ई. के आस पास माना है I
  • अपभ्रंश का साहित्य में प्रयोग 1200 ई. तक हुआ I यद्दपि अपभ्रंश का काल 500-1000 ई. तक ही माना जाता है I
  • आचार्य रामचंद्र शुक्ल के अनुसार – अपभ्रंश का सर्वप्रथम उल्लेख मालवा के धार के शिलालेख में मिलता है I

अवहट्ठ :

  1. अवहट्ठ का सर्वप्रथम उल्लेख वर्णरत्नाकर (ज्योतिरीश्वर ठाकुर) में मिलता है I
  2. विद्यापति ने अवहट्ठ को देसिलबयना की संज्ञा दी है
  • अवहट्ठ से ही आधुनिक भारतीय आर्य भाषाओं की शुरुआत मानी जाती है I हिंदी का विकास भी इसी अपभ्रंश से हुआ है I 1000 ई. के आसपास हिंदी का प्रयोग साहित्य में प्रारंभ हो चुका था I अतः हिंदी की जननी अपभ्रंश है I
  • उत्तरी भारतवर्ष में अपभ्रंश के सात क्षेत्रीय रूप माने जाते हैं I जिनसे आधुनिक भारतीय आर्य भाषाओं का आगे विकास हुआ I जिनका उल्लेख निम्नानुसार है :
अपभ्रंश का क्षेत्रीय रूप विकसित होने वाली भाषाएं
शौरसेनी अपभ्रंश पश्चिमी हिंदी, राजस्थानी, गुजराती
मागधी अपभ्रंश बिहारी, बांग्ला, उड़िया, असमिया
पैशाची अपभ्रंश पंजाबी, लहन्दा
ब्राचड अपभ्रंश सिंधी
महाराष्ट्री अपभ्रंश मराठी
अर्धमागधी अपभ्रंश पूर्वी हिंदी
खस अपभ्रंश पहाड़ी
  • हिंदी तथा अन्य भारतीय आर्य भाषाओं का विकास अपभ्रंश के इन्हीं क्षेत्रीय रूपों से हुआ है I


Hindi Bhasha Ki Utpatti | हिंदी भाषा की उत्पत्ति


Hindi Bhasha Ki Utpatti | हिंदी भाषा की उत्पत्ति : हिंदी भाषा की उत्पत्ति मूलतः शौरसेनी अपभ्रंश से हुई है I अपभ्रंश से विकसित भाषाओं से अन्य उप बोलियों का विकासक्रम भी निम्नानुसार है —

अपभ्रंश से विकसित
होने वाली भाषाएं
बोलियां
पश्चिमी हिंदी खड़ी बोली, कन्नौजी, बुंदेली, ब्रजभाषा, बांगरू (हरियाणवी)
राजस्थानी मेवाती (उत्तरी राजस्थान), मारवाड़ी (पश्चिमी राजस्थान ),
ढूंढाडी (पूर्वी राजस्थान), मालवी (दक्षिणी राजस्थान)
पहाड़ी उत्तरी पश्चिमी पहाड़ी, मध्यवर्ती पहाड़ी, पूर्वी पहाड़ी
बिहारी मगही, मैथिली, भोजपुरी
पूर्वी हिंदी अवधि, बघेली, छत्तीसगढ़ी

भारत के बहुसंख्यक लोगों की भाषा हिंदी है और उत्तर भारत के 10 राज्यों में बोली समझी जाती है I इन 10 राज्यों को हिंदी क्षेत्र कहा जाता है I जो इस प्रकार है :

  • राजस्थान
  • दिल्ली
  • हरियाणा
  • उत्तर प्रदेश
  • मध्य प्रदेश
  • हिमाचल प्रदेश
  • उत्तराखंड
  • झारखंड
  • छत्तीसगढ़
  • बिहार

हिंदी भाषा की उपभाषा और बोलियाँ


Hindi Bhasha Ki Upbhasha Aur Boliyan | हिंदी भाषा की उपभाषा और बोलियाँ : उक्तानुसार हिंदी क्षेत्र में पांच उप भाषाएं हैं और उनकी अट्ठारह बोलिया सम्मिलित है I इन बोलियों के क्षेत्र निम्नानुसार हैं :

सूची – 1.

सं. बोलिया क्षेत्र
1.खड़ी बोली खड़ी बोली का क्षेत्र मेरठ, मुजफ्फरपुर, बिजनौर, रामपुर, मुरादाबाद, देहरादून, सहारनपुर, दिल्ली है I इसका अन्य नाम कौरवी है I
2.ब्रजभाषा आगरा, मथुरा, मैनपुरी, अलीगढ़, एटा, हाथरस, बदायूं, बरेली, धौलपुर जिले भाषा के क्षेत्र हैं I सर्वाधिक साहित्य सर्जन बृजभाषा में ही हुई है I हरियाणवी (बांगरू) हरियाणा व दिल्ली के देहाती भाग में हरियाणवी बोली जाती है I
3.कन्नौजी इसका क्षेत्र फरुखाबाद, इटावा, शाहजहाँपुर, कानपुर, हरदोई, पीलीभीत है I
4.बुंदेली झांसी, जालौन ,हमीरपुर ,ओरछा, सागर, नरसिंहपुर, सिवनी, होशंगाबाद इसके क्षेत्र हैं I यह बुंदेलखंड की बोली है I
5.अवधी लखनऊ, बाराबंकी, सीतापुर, प्रतापगढ़, उन्नाव, रायबरेली, फतेहपुर, मिर्जापुर इसके क्षेत्र है I इसको कौसली नाम से भी जाना जाता है I
6.बघेली इसके क्षेत्र रीवां, नागौद, शहडोल, सतना, मेहर है I इसका केंद्र रीवा है I
7छत्तीसगढ़ी कोरिया, बिलासपुर दुर्ग, नंदगांव, कांकेर, सरगुजा, रायपुर, रायगढ़ आदि क्षेत्र इसके अंतर्गत आते हैं I
8.भोजपुरी इसका क्षेत्र बनारस, जौनपुर, मिर्जापुर, गाजीपुर, गोरखपुर, बलिया, देवरिया, आजमगढ़, बस्ती, शाहबाद, चंपारण, सारण है I
9.मगही मगध शब्द से मगही विकसित हुआ है I पटना, गया, पलामू, हजारीबाग, मुंगेर, भागलपुर आदि क्षेत्रों में यह बोली बोली जाती है I

सूची – 2.

सं. बोलिया क्षेत्र
10.मैथिली दरबंगा, मुजफ्फरपुर, पूर्णिया, मुंगेर में बोली जाती है I
11.मारवाड़ी
(पश्चिमी राजस्थानी)
जोधपुर, अजमेर, किशनगढ़, उदयपुर, गंगानगर, बाड़मेर, जैसलमेर, बीकानेर में बोली जाती है I
12.मेवाती
(उत्तरी राजस्थानी)
अलवर ,भरतपुर, धौलपुर, सोहना, नूह, सिरका, फिरोजपुर, गुडगांव, करनाल में बोली जाती है I
13.जयपुरी
(पूर्वी राजस्थानी)
जयपुर , दौसा, किशनगढ़, टोंक I इसे ढूंढाडी भी कहा जाता है I
14.मालवी
(दक्षिणी राजस्थान)
इंदौर, उज्जैन, देवास, रतलाम, भोपाल में बोली जाती है I
15.पश्चिमी पहाड़ी
(नेपाली)
यह बोली हिमाचल प्रदेश के शिमला, मंडी, चम्बा, सिरमौर, जौनसार में बोली जाती है I
16.गढ़वाली यह गढ़वाल क्षेत्र में बोली जाती है I उत्तरकाशी, बद्रीनाथ, श्रीनगर में बोली जाती है I
17.कुमायूनी उत्तरांचल का कुमायू क्षेत्र इस बोली का क्षेत्र है I नैनीताल, अल्मोड़ा, रानीखेत में यह बोली बोली जाती है I

तो ये था दोस्तों ! Hindi Bhasha Aur Uska Vikas | हिन्‍दी भाषा और उसका विकास। उम्मीद करते है कि आपको हिंदी भाषा का सम्पूर्ण विकास क्रम समझ में आ गया होगा। हिंदी साहित्य का ये टॉपिक परीक्षा की दृष्टि से अति महत्वपूर्ण है। अतः आप इसे बार-बार दोहराकर अच्छे से तैयार कर लीजिये।


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एक गुजारिश :

दोस्तों ! आशा करते है कि आपको Hindi Bhasha Aur Uska Vikas | हिन्‍दी भाषा और उसका विकास के बारे में हमारे द्वारा दी गयी जानकारी पसंद आयी होगी I यदि आपके मन में कोई भी सवाल या सुझाव हो तो नीचे कमेंट करके अवश्य बतायें I हम आपकी सहायता करने की पूरी कोशिश करेंगे I

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5 thoughts on “Hindi Bhasha Aur Uska Vikas | हिन्‍दी भाषा और उसका विकास”

  1. हिंदी भाषा के विकास को आपने बहुत ही अच्छे तरीके से वर्णन किया है। पढ़कर अच्छा लगा। धन्यवाद

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