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Amir Khusro | अमीर खुसरो का जीवन परिचय एवं उनकी पहेलियाँ
नमस्कार दोस्तों ! आज हम आपके लिए अमीर खुसरो के बारे में बहुत ही आसान नोट्स लेकर आये है । आज के नोट्स में हम “Amir Khusro | अमीर खुसरो का जीवन परिचय एवं उनकी पहेलियाँ” के बारे में अच्छे से जानेगे।
Amir Khusro | अमीर खुसरो का जीवन परिचय
Amir Khusro | अमीर खुसरो का जीवन परिचय : अमीर खुसरो का जन्म 1253 ई में उत्तर प्रदेश के एटा जिले के पटियाली गांव में हुआ था और उनकी मृत्यु 1325 ईस्वी में हुई। इनका वास्तविक नाम यमीनुद्दीन अबुल हसन था।
उनका परिवार कई पीढ़ियों से राज दरबार से संबंधित था। अमीर खुसरो ने 7 मुसलमानों का समय देखा है। इनके चिश्ती गुरु निजामुद्दीन औलिया ने आठ सुल्तानों का समय देखा है। निजामुद्दीन औलिया ने इन्हें तर्कुल्लाह की उपाधि दी थी।
इनके गुरु निजामुद्दीन औलिया की उपाधियां इस प्रकार है :-
- पहली – महबूब-ए- इलाही
- दूसरी – सुल्तान- उल -औलिया
- तीसरी – योगी सिद्ध
अमीर खुसरो ऐसे पहले मुसलमान कवि हैं जिन्होंने हिंदी शब्दों का खुलकर प्रयोग किया है। अमीर खुसरो मध्यकालीन संगीत परंपरा के आदि आचार्य माने जाते हैं। संगीत संबंधी योगदान देने के कारण इन्हें नायक की उपाधि मिली थी।
अमीर खुसरो ने अपना सारा जीवन राजाओं के आश्रय में ही बिताया था। संगीत के क्षेत्र में अमीर खुसरो का बहुत बड़ा योगदान है। अमीर खुसरो ने तबला और सितार जैसे वाद्य यंत्रों का आविष्कार किया है।
Amir Khusro | अमीर खुसरो का साहित्यिक जीवन
हैरत की बात ये है कि अमीर खुसरो ने बाल्यावस्था से ही कविताएं लिखना प्रारंभ कर दिया था। 20 वर्ष की उम्र तक वह प्रसिद्ध कवि बन गए थे। भोर, तिलक, शनम जैसी संगीत की शैलियों के जनक अमीर खुसरो ही हैं। यह बलबन के पुत्र शहजादा मोहम्मद के व्यक्तिगत शिक्षक नियुक्त किए गए थे। यहीं से इनका दरबारी जीवन शुरू होता है।
बरवाराग में लय रखने की रीति के जन्मदाता अमीर खुसरो माने जाते हैं। भारतीय गायन में कव्वाली के जन्मदाता अमीर खुसरो ही हैं।अमीर खुसरो को मनोरंजन व रसिकता के कवि के रूप में भी जाना जाता है।
हृदय को प्रसन्न रखना और कोतुहलता के द्वारा मनोरंजन की सृष्टि करना खुसरो की कविता का यही उद्देश्य है। अमीर खुसरो ने पहली बार अपनी कविता में खड़ी बोली के शब्दों का उपयोग किया है। इसलिए अमीर खुसरो को खड़ी बोली का पहला या आदि कवि कहा जाता है।
अमीर खुसरो 99 ग्रंथों के रचयिता माने जाते हैं। ईश्वरी प्रसाद ने इन्हें कवियों में राजकुमार की संज्ञा दी है । रामकुमार वर्मा ने अमीर खुसरो को अवधि का पहला कवि कहा है।
उर्दू नज्म के जन्मदाता अमीर खुसरो माने जाते हैं। अमीर खुसरो ने हिंदी में पहेलियां, मुकरियां, ढकोसले, दो सखूने, गजले लिखी है। इन्होंने हिंदी में मुख्यतः पहेलियां ही लिखी है। खुसरो ने मसनबीयां फारसी भाषा व फारसी लिपि में लिखी है। इनका हिंदी से कोई संबंध नहीं है।
अमीर खुसरो की एक रचना है – खालिकबारी जो एक शब्दकोश है। असल में इस रचना में अरबी, फारसी एवं हिंदी के समानार्थी शब्दों को एकत्रित किया गया है। इसी से उर्दू का जन्म हो गया।
Amir Khusro | अमीर खुसरो की मसनवियाँ
यह मसनवियाँ राजनीतिक इतिहास ग्रंथ है। जो इस प्रकार है :-
- किरान -उल-सादेन
- मिस्ता- उल- फतूह
- नूह सिपिहर
- आशिका
- खजाइनल फतूह
- तुगलकनामा
नूह सिपिहर में भारत के प्राकृतिक परिस्थितियों का सुंदर वर्णन हुआ है।
गजल के एक पंक्ति में फारसी और दूसरी पंक्ति में ब्रजभाषा मिश्रित खड़ी बोली का प्रयोग देखा जा सकता है।
” जिहाल-ए-मिस्की मुकुल तगाफुल, दूराये नैना बनाते बतिया।
कि ताब-ए-हिजरा नदारम ऐ जान, न लेहो काहे लगाये छतियां ।।”
भाषा का ऐसा रूप रेख्ता कहलाता है। खुसरो अपनी हिंदवी पर गर्व करने वाले कवि हैं। इन्होंने हिंदी को अरबी – फारसी से कम नहीं आंका है।
Amir Khusro | अमीर खुसरो की पहेलियां
Amir Khusro | अमीर खुसरो की पहेलियां : रामकुमार वर्मा के अनुसार अमीर खुसरो की कविता में 6 प्रकार की पहेलियां मिलती है –
1. अंतर्लापिका पहेली :
— जिस पहेली का उत्तर उसी में छिपा हो। उदाहरण के तौर पे :
“श्याम बरन है दांत अनेक, लचकत जैसे नारी।
दोनों हाथ से खुसरो खींचे और कहे तू आरी।।”
2. बहिर्लापिका पहेली :
— जिस पर लिखा उत्तर बाहर से आता हो। जैसे कि :
“श्याम बरन की है एक नारी, माथे ऊपर लगे प्यारी।
जो मानुष इस अर्थ को खोले, कुत्ते की वह बोली बोले।।”
3. मुकरियां :
— इसमें ए सखि साजन / ना सखि साजन के रूप में एक प्रश्नोउत्तर रहता है। जैसे कि :
“खा गया, पी गया, दे गया बुत्ता।
ए सखि साजन, ना सखि कुत्ता।।”
4. दो सखुने :
— इसमें दो भिन्न प्रश्नों का एक ही उत्तर होता है। जैसे कि :
“ब्राह्मण प्यासा क्यों?
गधा उदासा क्यों ?
उत्तर –लौटा न था।
इसका उत्तर हमेशा श्लेष में होता है।
5. बराबरी या संबंध पहेली :
— इसमें दो भिन्न पदार्थों में समानता दिखलाई जाती है। जैसे कि :
“आदमी और गेहूं में क्या समानता है ?
उत्तर –बाल।”
6. ढकोसले :
— बेमतलब की शब्दावली। जैसे कि :
“पीपल पकी पकौडियां झड-झड रहे हैं बेर,
सर में लगा खटाक से,
वाह रे तेरी मिठास,
ला पानी पिला।”
अमीर खुसरो कवि होने के साथ-साथ प्रसिद्ध संगीतज्ञ एवं इतिहासकार भी रहे हैं। ध्यान देने की बात ये है कि अमीर खुसरो की कविता में सूफी प्रेम भी देखने को मिलता है।
भारतीय एवं इस्लामिक परंपरा के समन्वय के पहले प्रतिनिधि कवि अमीर खुसरो है। गौरतलब है कि अमीर खुसरो ने अपने गुरु निजामुद्दीन औलिया की मृत्यु पर यह मार्मिक छंद लिखा था-
“गोरी सोवे सेज पर, मुख पर डारत केस।
चल खुसरो घर आपने, रैन भई चहुं देस।।”
इस प्रकार अमीर खुसरो हिंदी साहित्य के प्रसिद्ध कवि रहे हैं।
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एक गुजारिश :
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