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Coleridge Ka Kalpana Siddhant | कॉलरिज का कल्पना सिद्धांत


Coleridge Ka Kalpana Siddhant | कॉलरिज का कल्पना सिद्धांत : नमस्कार दोस्तों ! वर्डसवर्थ और कॉलरिज दोनों ही 18वीं शताब्दी के इंग्लिश रोमांटिक कवि है। इन्होंने मिलकर अंग्रेजी साहित्य में रोमांटिक युग की शुरुआत की। ये इंग्लैंड में रोमांटिक आंदोलन के संस्थापक थे। आज के लेख में हम कॉलरिज के कल्पना सिद्धांत के बारे में चर्चा करने जा रहे है।



कॉलरिज का पूरा नाम सैम्युअल टेलर कॉलेरिज | Samuel Taylor Coleridge है। इनका जन्म 1772 ईस्वी में हुआ और इनकी मृत्यु 1834 ईस्वी में हुई।

सैम्युअल टेलर कॉलेरिज अंग्रेजी कविता की स्वच्छंदतावादी धारा के प्रमुख कवियों में से थे। आलोचना के क्षेत्र में कॉलेज का एक महत्वपूर्ण योगदान उनके द्वारा कल्पना शक्ति का विवेचन है। कल्पना को दर्शन तथा काव्य के साथ पहले से जोड़ा जाता रहा है। परंतु कॉलरिज ने इसका विस्तार से विवेचन किया।

कॉलरिज स्वछंदतावादी आलोचक हैं। इनका ‘कल्पना सिद्धांत प्रसिद्ध है।

कॉलरिज के अनुसार :

” कविता रचना का वह प्रकार है जो वैज्ञानिक कृतियों से इस अर्थ में भिन्न है कि
उसका तात्कालिक प्रयोजन आनंद है,सत्य नहीं।”


कॉलेरिज ने कल्पना के संबंध में लिखा है :

“इसमें संश्लेषात्मक तथा जादुई शक्ति होती है जो विरोधी एवं विंसवादी धर्मों में संतुलन स्थापित करती है।”


Coleridge | कॉलरिज की प्रमुख रचनाएं


Coleridge | कॉलरिज की प्रमुख रचनाएं : कॉलरिज की प्रमुख रचनाएं इस प्रकार है :-

  • बायोग्राफिआ लिटरेरिया | Biographia Literaria – इसी में कल्पना सिद्धांत दिया गया है ।
  • एड्स टू रिफ्लेक्शन | Aids to Reflection
  • द फ्रेंड | The Friend (1969)
  • लिरिकल बैलेड्स | Lyrical Ballads
  • चर्च एंड स्टेट | Church and State
  • कन्फेशंस ऑफ एन इन्क्वायरिंग स्पिरिट | Confessions of an Inquiring Spirit
  • द राइम ऑफ़ द एन्शियंट मेरिनर | The Rime of Ancient Mariner
  • कुबला खान | Kubla Khan


Coleridge | कॉलरिज के कल्पना सिद्धांत क्या है ?


Coleridge | कॉलरिज के कल्पना सिद्धांत क्या है ? : “इमैजिनेशन | Imagination “शब्द की उत्पत्ति लेटिन भाषा के शब्द “इमाजीनाटीओ” से हुई है। जिसका अर्थ “कल्पना “है और फैंसी शब्द की उत्पत्ति ग्रीक भाषा के “फांतासीया” से हुई है जिसका अर्थ ” ललित कल्पना” है।

कॉलरिज ने ललित कल्पना की विशेषताएं इस प्रकार बतलाई है :

  • यह देश काल के बंधन से मुक्त एक प्रकार की स्मृति है।
  • यह इच्छाशक्ति से संचालित है एवं रूपांतरित होती है।
  • इसके उपयोग की सामग्री स्थिर एवं सुनिश्चित होती है।

कॉलरिज ने कल्पना को प्रतिभा की उपज बताया है। इन्होंने प्रज्ञा और प्रतिभा में निम्न अंतर स्पष्ट किया है :

प्रतिभाप्रज्ञा
सहजअर्जित
मौलिकपराश्रित
सर्जनशीलसंयोजन शील
कल्पनाललित कल्पना

अंग्रेजी में व्यवहारिक आलोचना का सूत्रपात कॉलरिज ने किया। कॉलरिज ने कल्पना (इमैजिनेशन) और ललित कल्पना (फैंसी) में अंतर बतला कर दोनों की अलग-अलग विशेषताओं पर प्रकाश डाला है।


कल्पना और ललित कल्पना में अंतर


कल्पना और ललित कल्पना में अंतर : कॉलरिज ने इन दोनों में अंतर स्पष्ट किया है:-

  • ललित कल्पना केवल कार्य का संयोजन करती है । इसका संबंध मस्तिष्क से होता है; जबकि कल्पना का संबंध मन व आत्मा से होता है।यह कल्पना समरसता व मार्मिकता का समावेश करती है।
  • कल्पना जहां आत्मिक होती है वहीं ललित कल्पना यांत्रिक निरंकुश, स्वच्छंद, विवेक रहित एवं गंभीर लक्ष्य रहित होती है।
  • कॉलरिज ने दीवास्पनों में बिम्बों का निर्माण करने वाली शक्ति को ललित कल्पना की संज्ञा दी है तथा कविता में बिम्बों का निर्माण करने वाली शक्ति को कल्पना कहा है।
  • कॉलरिज ने ललित कल्पना को फैंसी भी कहा है । ललित कल्पना या फैंसी एक ऐसी शक्ति है जो प्रत्ययों का संश्लेषण तो करती है मगर यह संश्लेषण रचनात्मक होकर जड़ और विश्रृंखल होता है।


Coleridge | कॉलरिज के कल्पना सिद्धांत के महत्वपूर्ण बिंदु


Coleridge | कॉलरिज के कल्पना सिद्धांत के महत्वपूर्ण बिंदु : कॉलरिज के कल्पना सिद्धांत के महत्वपूर्ण बिंदु इस प्रकार से है –

  • कॉलरिज कोरी जीवनानुकृति को उचित नहीं मानते । इन के अनुसार साहित्यकार की महत्ता सृजन करने में है, ना कि प्रकृति या जीवन के यांत्रिक अनुकरण में। सृजनात्मकता के लिए कल्पना का होना आवश्यक है।
  • इनके अनुसार कल्पना एक समन्वयकारी शक्ति है। जो विभिन्न पदार्थों, घटनाओं या स्थितियों के विभिन्न विषयों व पक्षों को एकाकार करती है । यह कल्पना नूतन और पुरातन में, ससीम और असीम में, सामान्य और विशिष्ट में, हृदय और बुद्धि में आदि परस्पर विरोधी प्रतीत होने वाली शक्तियों में समन्वय करने वाली अंत:शक्ति है।
  • ये कल्पना को ज्ञान की प्रथम सत्ता मानते हैं । कल्पना का संसार मिथ्या न होकर सत्य होता है क्योंकि कल्पना शाश्वत मस्तिष्क की मानव मन में पुनरावृति होती है।
  • हमारा ज्ञान चिंतन से मिलकर एक सृजनात्मक क्रिया को जन्म देता है । कल्पना इस ज्ञान व चिंतन को परस्पर मिलाने का कार्य करती है कॉलरिज कल्पना में भावना के विशेष महत्व को स्वीकार करते हैं।

कॉलरिज की कल्पना के रूप :

कॉलरिज कल्पना के दो रूप मानते हैं :

  1. प्रारंभिक
  2. अनुषंगी
  • इनके अनुसार प्रारंभिक कल्पना समन्वयकारी है तथा अनुषंगी एक प्रकार की रुपंकर शक्ति है।
  • अनुषंगी कल्पना वहरुपंकर शक्ति है जो आत्मिक ऊर्जा के विभिन्न पहलुओं को समन्वित करके ना केवल हमें सृजन संलग्न करती है बल्कि मस्तिष्क एवं प्रकृति में भी तादात्म्य स्थापित करती है।
  • कॉलरिज कल्पना को आत्मा की शक्ति मानते हैं। कल्पना का कार्य महत्वपूर्ण होता है।
  • यह कल्पना परस्पर विरोधी एवं विषमतावादी युग में सामंजस्य और संतुलन उत्पन्न करती है । यह विचार और बिम्ब में व्यक्ति और समाज में समानता और असमानता में नवीन और प्राचीन में एकीकरण या सामंजस्य करती है।

दोस्तों ! उम्मीद करते है कि आपको Coleridge Ka Kalpana Siddhant | कॉलरिज का कल्पना सिद्धांत अच्छे से समझ आया होगा। विलियम वर्ड्सवर्थ और कॉलरिज का सिद्धांत हिंदी साहित्य में बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान रखता है।


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एक गुजारिश :

दोस्तों ! आशा करते है कि आपको Coleridge Ka Kalpana Siddhant | कॉलरिज का कल्पना सिद्धांत के बारे में हमारे द्वारा दी गयी जानकारी पसंद आयी होगी I यदि आपके मन में कोई भी सवाल या सुझाव हो तो नीचे कमेंट करके अवश्य बतायें I हम आपकी सहायता करने की पूरी कोशिश करेंगे I

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