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Rajbhasha Aur Rashtrabhasha | राजभाषा और राष्ट्रभाषा


Rajbhasha Aur Rashtrabhasha | राजभाषा और राष्ट्रभाषा : नमस्कार दोस्तों ! आज के नोट्स में हम राज भाषा और राष्ट्र भाषा के अर्थ एवं परिभाषा तथा इनके अंतर पर प्रकाश डाल रहे है। साथ ही राजभाषा हिंदी और संवैधानिक प्रावधान के बारे में भी विस्तार से बात कर रहे है। चलिए जानते है :



Rajbhasha |राजभाषा : अर्थ एवं परिभाषा


राजभाषा का अर्थ है संविधान द्वारा स्वीकृत सरकारी कामकाज की भाषा या संवैधानिक आवरण पहने हुए विधि निषेधों का पालन करने वाली भाषा राजभाषा कहलाती है I

राज्य सरकार द्वारा प्राधिकृत भाषा राजभाषा होती है I किसी देश का सरकारी कामकाज जिस भाषा में करने का कोई निर्देश संविधान के प्रावधानों द्वारा दिया जाए वही उस देश की राजभाषा कहलाती है I

भारत के संविधान में हिंदी भाषा को राजभाषा का दर्जा प्रदान किया गया है परंतु साथ में यह प्रावधान भी किया गया कि अंग्रेजी भाषा में भी केंद्र सरकार अपना कामकाज तब तक कर सकती है जब तक हिंदी पूरी तरह राजभाषा के रूप में स्वीकार्य नहीं की जाती है I

प्रारंभ में संविधान लागू होते समय 1950 में यह समय सीमा 15 वर्ष के लिए अर्थात अंग्रेजी का प्रयोग सरकारी कामकाज के लिए 1965 तक ही हो सकता था I परंतु बाद में संविधान संशोधन के द्वारा इस अवधि को अनिश्चितकाल तक के लिए बढ़ा दिया गया I

यही कारण है कि हिंदी राजभाषा होते हुए भी केंद्र सरकार का कामकाज अंग्रेजी में हो रहा है I वह अपना वर्चस्व बनाए हुए हैं I कुछ राज्यों की इस भाषा के रूप में हिंदी का प्रयोग स्वीकृत है I

जिन राज्यों की राजभाषा हिंदी है वेे है : राजस्थान, हरियाणा, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, झारखंड, बिहार, छत्तीसगढ़ I

इन राज्यों के अलावा अन्य राज्यों ने अपने प्रादेशिक भाषा को राजभाषा का दर्जा दिया है यथा – पंजाब की राजभाषा – पंजाबी, बंगाल की बंगला, कर्नाटक की कन्नड़ आदि प्रांतों में भी सरकारी कामकाज प्रांतीय भाषाओं के अतिरिक्त अंग्रेजी में ही हो रहा है I


Rashtrabhasha | राष्ट्रभाषा : अर्थ एवं परिभाषा


किसी भी देश के बहुसंख्यक लोगों के द्वारा बोली जाने वाली भाषा राष्ट्रभाषा कही जाती है I हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा है I कोई भी भाषा अपने महत्व के कारण किसी राष्ट्र के विस्तृत भू-भाग द्वारा अपना ली जाती है तो वह भाषा स्वतः ही उस राष्ट्र की राष्ट्रभाषा बन जाती है I

हिंदी भारत में राजभाषा तो है परंतु साथ ही साथ राष्ट्र के बहुसंख्यक वर्ग की भाषा होने के कारण राष्ट्रभाषा भी है I राजभाषा जहां स्थानीय रूप से मान्यता प्राप्त भाषा को ही माना जाता है वहां राष्ट्रभाषा का देश के संविधान से कोई संबंध नहीं होता है I


Rajbhasha Aur Rashtrabhasha | राज भाषा और राष्ट्र भाषा में अंतर


Rajbhasha Aur Rashtrabhasha | राज भाषा और राष्ट्र भाषा में अंतर : इनमे अंतर निम्नप्रकार से है –

अंतर सूची – 1.

सं. राजभाषा राष्ट्रभाषा
1.राजभाषा का प्रयोग प्रायः राजकीय, प्रशासनिक तथा सरकारी, अर्द्ध-सरकारी कर्मचारियों, अधिकारियों द्वारा
होता है I यह राजकीय कार्य-कलाप की भाषा है I
राष्ट्रभाषा समुच्च राष्ट्र के अधिकांश जन समुदाय द्वारा प्रयुक्त होती है I
देश के अधिकतर भागों में आम लोग जिस भाषा में आपसी बातचीत विचार-विमर्श और लोक व्यवहार करते हैं वही राष्ट्रभाषा है I
2.राजभाषा का शब्द भंडार एक सुनिश्चित ढांचे में ढला हुआ होता है तथा प्रयोजन विशेष के लिए निर्धारित प्रयोग तक ही सीमित रहता है Iराष्ट्रभाषा का शब्द भंडार देश की अनेक भाषाओं से समृद्ध होता है I इसमें लोक प्रयोग के अनुसार नई -नई शब्दावली जुड़ती चली जाती है I
3.राजभाषा में सीमाएं और मर्यादा होती है I राष्ट्रभाषा में सीमाएं और मर्यादा नहीं होती है I
4.राजभाषा में मानव सुलभ सहजता, उन्मुक्तता,
स्वछन्द कल्पना के लिए कोई स्थान नहीं होता है I
राष्ट्रभाषा में इन सब का विशेष स्थान होता है I
5.राजभाषा में एक वैधानिक आवरण मिलता है I यह संवैधानिक नियमों का पालन करती है Iराष्ट्रभाषा में जनमानस की सांस्कृतिक अभिव्यक्ति, परंपरागत मान्यताएं, विश्वास, आध्यात्म, सुख-दुःख, राग-द्वेष, लोक-नीति संबंधी विविध विचार और दृष्टिकोण साकार होते हैं I

अंतर सूची – 2.

सं. राजभाषा राष्ट्रभाषा
6.राजभाषा का परिवेश सीमित है Iराष्ट्रभाषा का परिवेश पर्याप्त है I
7.राजभाषा मस्तिष्क की भाषा है Iराष्ट्रभाषा हृदय की भाषा है I
8.राज भाषा में कल्पना और स्वच्छंदता
के लिए कोई स्थान नहीं है I
राष्ट्रभाषा में कल्पना और स्वच्छंदता
दोनों विशेषताएं मिलती है I
9.राजभाषा औपचारिक होती है Iराष्ट्रभाषा अनौपचारिक होती है I
10.राजभाषा यदि फूलों का चुना हुआ गुलदस्ता है I राष्ट्रभाषा विस्तृत वनस्थली के समान है I
11.राजभाषा में निर्धारित और मानक रूप में माननीय
भाषा प्रयोग की नियमावली का अनुसरण आवश्यक है I
राष्ट्रीय भाषा में यह आवश्यक नहीं है I


राजभाषा हिंदी और संवैधानिक प्रावधान


भारतीय संविधान सभा के सम्मुख महत्वपूर्ण प्रश्न यह था कि भारत की राजभाषा किस भाषा को बनाया जाए I पर्याप्त विचार-विमर्श के बाद 14 सितंबर 1949 को सर्वसम्मति से यह निर्णय लिया गया कि भारत की राज भाषा हिंदी होगी I इसलिए 14 सितंबर को हिंदी दिवस के रूप में मनाते हैंI

भारतीय संविधान के भाग 5, भाग 6, भाग 17 में राजभाषा संबंधी उपबंध मिलते हैं I संविधान के भाग 17 में 4 अध्याय हैं I अनुच्छेद 343 से 351 के अंतर्गत समाहित है :


संविधान के भाग 17 के अध्याय 1 की धारा 343 (i) के अनुसार “

संघ की राज भाषा हिंदी और लिपि देवनागरी होगी , संघ के राजकीय प्रयोजनों के लिए
प्रयोग होने वाले अंकों का रूप भारतीय अंकों का अंतर्राष्ट्रीय रूप होगा”

अनुच्छेद 344

  • राष्ट्रपति द्वारा राज्य भाषा आयोग एवं समिति के गठन से संबंधित है I

अनुच्छेद 345, 346, 347

  • इसमें प्रादेशिक भाषाओं का प्रावधान है I

अनुच्छेद 348 –

  • इसमें उच्चतम न्यायालय, उच्च न्यायलयों, संसद और विधानमंडलों में प्रस्तुत विधायकों की भाषा के संबंध में विस्तार से प्रकाश डाला गया है I

अनुच्छेद 349 –

  • इसमें भाषा से सम्बंधित विधिया अधिनियमित करने प्रक्रिया का वर्णन है I

अनुच्छेद 350 –

  • इसमें आवेदन में प्रयुक्त भाषा शिकायते तथा प्राथमिक स्तर पर मातृभाषा में शिक्षा सुविधाएं देने और भाषाई अल्पसंख्यको के बारे में दिशानिर्देश का प्रावधान किया गया है I

अनुच्छेद 351-

  • हिंदी के प्रचार-प्रसार और विकास में सरकार के कर्तव्यों और दायित्वों का उल्लेख किया गया है I

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एक गुजारिश :

दोस्तों ! आशा करते है कि आपको Rajbhasha Aur Rashtrabhasha | राजभाषा और राष्ट्रभाषा के बारे में हमारे द्वारा दी गयी जानकारी पसंद आयी होगी I यदि आपके मन में कोई भी सवाल या सुझाव हो तो नीचे कमेंट करके अवश्य बतायें I हम आपकी सहायता करने की पूरी कोशिश करेंगे I

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