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Munshi Premchand | मुंशी प्रेमचंद : साहित्यिक जीवन एवं रचनाएँ
Munshi Premchand | मुंशी प्रेमचंद : नमस्कार दोस्तों ! आज हम आपको मुंशी प्रेमचंद के जीवन परिचय एवं उनकी प्रमुख रचनाओं के बारे में विस्तार से बताने जा रहे है। प्रेमचंद के बारे में सभी महत्वपूर्ण तथ्य हमनें सूचीबद्ध किये है ताकि आपको अच्छे से समझ आये जो कुछ इस प्रकार है :
जन्म-वर्ष |
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जन्म-स्थान |
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मृत्यु |
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पिता का नाम |
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माता का नाम |
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शिक्षा |
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विधाएं |
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व्यवसाय |
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विवाह |
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दूसरा विवाह |
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संतान |
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आंदोलन |
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संपादन |
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साहित्यिक आंदोलन |
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प्रेमचंद का वास्तविक नाम |
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प्रेमचंद नाम |
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प्रेमचंद युग |
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जब्त रचना |
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Munshi Premchand | मुंशी प्रेमचंद की रचनाएं
दोस्तों ! अब हम मुंशी प्रेमचंद की रचनाओं के बारे में जानते है जो इस प्रकार है :
मूल उर्दू नाम | वर्ष | हिंदी रूपांतर | वर्ष |
---|---|---|---|
असरारे मआविद | 1903 | देवस्थान रहस्य | 1905 |
हमखुर्मा व हमसवाब | 1906 | प्रेमा (दो सखियों का विवाह) | 1907 |
किशना | 1907 | गबन | 1931 |
जलवा – ए- सार | 1912 | वरदान | 1921 |
बाजार – ए – हुस्न | 1917 | सेवा सदन | 1918 |
गोशाएँ आफियत | – | प्रेमाश्रय | 1922 |
चौगान – ए – हस्ती | – | रंगभूमि | 1925 |
Munshi Premchand | मुंशी प्रेमचंद के उपन्यास
अब मुंशी प्रेमचंद के उपन्यासों पर क्रमानुसार दृष्टि डालते है। इन्हे निम्नानुसार समझा जा सकता है :
असरारे मआविद
- इसका प्रकाशन 1903 ई. में हुआ।
- उर्दू साप्ताहिक “आवाज-ए-खल्क” में 8 अक्टूबर 1903 से 9 फरवरी 1905 तक धारावाहिक रूप में प्रकाशित हुआ।
- तथा हिंदी में देवस्थान नाम से प्रकाशित हुआ।
प्रेमा
- इसका प्रकाशन 1907 ई. में हुआ।
- उर्दू में हमखुर्मा व हमसवाब।
- इसमें हिंदुओं में विधवा विवाह की समस्या का चित्रण किया गया है।
किशना
- इसका प्रकाशन 1907 ई. में हुआ।
रूठी रानी
- इसका प्रकाशन 1907 ई. में हुआ।
- यह एक ऐतिहासिक उपन्यास है।
सेवासदन
- इसका प्रकाशन 1918 ई. में हुआ।
- यह हिंदी भाषा में प्रकाशित प्रथम उपन्यास है।
- इसमें वेश्या जीवन की समस्या का चित्रण है।
वरदान
- इसका प्रकाशन 1921 ई. में हुआ।
- इसमें प्रेम एवं विवाह की समस्याओं का चित्रण है।
प्रेमाश्रम
- इसका प्रकाशन 1922 ई. में हुआ।
- उर्दू में गोशाएँ आफियत (अप्रकाशित उर्दू में)
- यह कृषक जीवन पर लिखा हिंदी का प्रथम उपन्यास एवं गोदान की पूर्व पीठिका है।
- अवध के किसान आंदोलन के दौर में लिखा गया उपन्यास है।
रंगभूमि
- इसका प्रकाशन 1925 ई. में हुआ।
- इसमें एक अंधे भिखारी सूरदास को कथा का नायक बनाकर हिंदी कथा साहित्य में क्रांतिकारी बदलाव का सूत्रपात किया है।
कायाकल्प
- इसका प्रकाशन 1926 ई. में हुआ।
- हिंदी में लिखित प्रथम उपन्यास है, जिसमें वासना और प्रेम का संघर्ष दिखाया है।
- पुनर्जन्म की धारणा पर समाज सेवा, राजा के अत्याचार, विलास एवं सच्चे प्रेम का चित्रण मिलता है।
निर्मला
- इसका प्रकाशन 1927 ई. में हुआ।
- इसमें दहेज प्रथा एवं अनमेल विवाह की समस्या का चित्रण है
प्रतिज्ञा
- इसका प्रकाशन 1929 ई. में हुआ।
- विधवा विवाह तथा उसकी समस्याओं को रेखांकित करने वाला उपन्यास है।
गबन
- इसका प्रकाशन 1931 ई. में हुआ।
- इसमें आभूषण प्रियता का चित्रण है तथा
- सरकारी दफ्तर में गबन का चित्रण है।
कर्मभूमि
- इसका प्रकाशन 1933 ई. में हुआ।
- यह प्रेमचंद का राजनीतिक उपन्यास है।
- इसमें गांधी दर्शन व हरिजनों की दुर्दशा का चित्रण है।
- हिंदू-मुस्लिम एकता, अछूतोद्धार एवं दलित किसानों की कथा है।
गोदान
- इसका प्रकाशन 1936 ई. में हुआ।
- कृषक जीवन का महाकाव्य है।
- किसान जीवन की महागाथा एवं ऋण की समस्या का चित्रण है।
- इसका अंग्रेजी अनुवाद ‘द गिफ्ट ऑफ काओ’ नाम से प्रकाशित हुआ।
मंगलसूत्र
- इसका प्रकाशन 1948 ई. में हुआ।
- यह इनका अधूरा उपन्यास है, जिसे इनके पुत्र अमृत राय ने पूर्ण किया।
उपन्यासों के सन्दर्भ में महत्वपूर्ण तथ्य :
प्रेमचंद के विभिन्न उपन्यासों के सन्दर्भ में कुछ महत्वपूर्ण तथ्य इस प्रकार है :
- असरारे मआविद प्रेमचंद्र प्रथम उपन्यास है।
- सेवा सदन प्रेमचंद का पहला प्रौढ उपन्यास है।
- कर्मभूमि प्रेमचंद का राजनीतिक उपन्यास है।
- प्रेमचंद का हिंदी में मूल रूप में लिखा प्रथम उपन्यास कायाकल्प है।
- अहंकार उपन्यास का प्रकाशन कायाकल्प के साथ 1926 में हुआ था। अमृतराय के अनुसार यह अनातोल फ्रांस के ‘शायम’ का भारतीय परिवेश में रूपांतर है।
Munshi Premchand | मुंशी प्रेमचंद की कहानी संग्रह
अब मुंशी प्रेमचंद के प्रमुख कहानी संग्रह पर नज़र डालते है जो निम्नानुसार है :
- सोजे वतन (1908) : उर्दू कहानी संग्रह जिसे अंग्रेज सरकार ने जब्त कर लिया था।
प्रमुख हिंदी कहानी संग्रह
- सप्त सरोज
- नवनिधि
- प्रेम पूर्णिमा
- प्रेम पच्चीसी
- समर यात्रा
- प्रेम प्रतिमा
- प्रेम द्वादश
- मानसरोवर।
प्रेमचंद की प्रसिद्ध कहानियां :
दोस्तों ! प्रेमचंद की प्रसिद्ध कहानियां को नीचे क्रमानुसार प्रस्तुत किया जा रहा है :
नमक का दरोगा | 1913 | सज्जनता का दंड | 1916 |
ईश्वरीय न्याय | 1917 | दुर्गा का मंदिर | 1917 |
बूढ़ी काकी | 1920 | शांति | 1921 |
सवा सेर गेहूं | 1924 | शतरंज के खिलाड़ी | 1924 |
मुक्ति मार्ग | 1924 | मुक्तिधन | 1924 |
सौभाग्य के कोड़े | 1924 | दो सखियां | 1928 |
अलग्योझा | 1929 | पूस की रात | 1930 |
समर यात्रा | 1930 | पत्नी से पति | 1930 |
सद्गति | 1930 | दो बैलों की कथा | 1931 |
होली का उपहार | 1931 | ठाकुर का कुआं | 1932 |
ईदगाह | 1933 | बड़े भाई साहब | 1934 |
नशा | 1934 | क्रिकेट मैच | 1936 |
Munshi Premchand | मुंशी प्रेमचंद की कहानियों का वर्गीकरण
दोस्तों ! प्रेमचंद ने अपने जीवन में विभिन्न समस्याओं से सम्बंधित कहानियां लिखी है। इनकी कहानियों को विभिन्न समस्याओं के आधार पर कई श्रेणियों में वर्गीकृत किया जा सकता है।
इन्होनें पारिवारिक जीवन समस्या, विधवा समस्या, धार्मिक समस्याओं, सांप्रदायिक समस्याओं, शिक्षा से संबंधित, औद्योगिक समस्या, सामंती व्यवस्था एवं तत्कालीन राजाओं तालुकेदरों से संबंधित, भारतीय स्वाधीनता से संबंधित, बाल मन से संबंधित तथा पशु-पक्षियों से संबंधित कहानियां लिखी है जो इस प्रकार है :
पारिवारिक जीवन और समस्या से संबंधित कहानियां
बड़े घर की बेटी-1910 | अलग्योझा | घर जमाई | स्वामिनी |
शंखनाद | खुचड | दो सखियां | ग्रहदाह |
बूढ़ी काकी | दफ्तरी | दो भाई | बेटों वाली विधवा |
घासवाली | नैराश्य | कप्तान साहब | अनिष्ट शंका, महातीर्थ |
विधवा समस्या से संबंधित कहानियां
आधार | धिक्कार | प्रेम की होली | नैराश्य लीला |
तथ्य | बेटों वाली विधवा | त्यागी का प्रेम | बालक |
स्वामिनी | ज्योति | विश्वास | सुभागी, नाग पूजा |
धार्मिक समस्याओं से संबंधित कहानियां
शती | मूठ | आत्माराम | डामोर का कैदी |
दो कब्रें | यह मेरी मातृभूमि है | लॉटरी | पिसनहारी का कुआं |
नाग पूजा | खून सफेद | सुहाग की साड़ी | सौभाग्य के कोड़े |
महातीर्थ | शाप | ग्रह दाह | मृतक भोज |
उद्धार | भूत | स्मृति का पुजारी | प्रेम की होली |
यह भी नशा वह भी नशा | ममता | ईदगाह | शंखनाद |
मोटर की छींटे | मनुष्य का परम धर्म | गुरु मंत्र | मुक्ति मार्ग |
खुचड़ | बहिष्कार | गुप्त धन दुर्गा मंदिर | गरीब की हाय |
सांप्रदायिक समस्याओं से संबंधित कहानियां
जिहाद | हिंसा | परमो धर्म: |
पंच परमेश्वर | मुक्तिधाम | – |
शिक्षा से संबंधित कहानियां
परीक्षा | विनोद | पछतावा |
बोध प्रेरणा | हार की जीत | अमावस्या की रात्रि |
औद्योगिक समस्या से संबंधित कहानियां
रसिक संपादक | लेखक |
मृत्यु के पीछे कश्मीरी सेब | पंच परमेश्वर। |
सामंती व्यवस्था एवं तत्कालीन राजाओं तालुकेदरों से संबंधित कहानियां
राज्य भवन | रियासत का दीवान | बैंक का दिवाला |
शिकारी राजकुमार | बिक्री के रुपए | परीक्षा |
भारतीय स्वाधीनता से संबंधित कहानियां
विचित्र होली | पत्नी से पति | इस्तीफ | दीक्षा सत्याग्रह |
कानूनी कुमार | यह मेरी मातृभूमि है | जेल | दुस्साहस |
समय यात्रा | आहुति | आदर्श विरोध | सुहाग की साडी |
खुदाई फौजदार | होली का उपहार | मैकू | यह भी नशा वह भी नशा |
जुलूस | शराब की दुकान लाग डॉट | बैंक का दिवाला | शांति |
बाल मन से संबंधित कहानियां
दो भाई | कजाकी | गुल्ली डंडा |
पशु-पक्षियों से संबंधित कहानियां
पूस की रात | दो बैलों की कथा |
आत्माराम | सैलानी बंदर |
कहानियों से सम्बंधित महत्वपूर्ण तथ्य
- प्रेमचंद का प्रथम कहानी संग्रह सोजे वतन (1908) में जमाना प्रेस कानपुर से प्रकाशित हुआ। सोजे वतन के प्रकाशन के बाद ब्रिटिश सरकार ने नवाब राय (प्रेमचंद) पर देशद्रोह (Sedition) का आरोप लगाकर उनके संग्रह को जप्त कर लिया। सोजे वतन उर्दू कहानियों का संग्रह है।
- प्रेमचंद की प्रथम कहानी “सौत” सन 1915 में सरस्वती नामक पत्रिका में प्रकाशित हुई। प्रेमचंद की पहली मौलिक उर्दू कहानी “संसार का अनमोल रत्न” थी जो 1907 में जमाना उर्दू में छपी थी।
- कमल किशोर गोयनका के अनुसार प्रेमचंद की कुल कहानियों की संख्या 301 है, जिसमें उपलब्ध कहानियां 298 और अनुपलब्ध 3 है। इनके अनुसार प्रेमचंद की पहली कहानी “परीक्षा (1914)” है और अंतिम कहानी “क्रिकेट मैच” है।
- शरतचंद्र चट्टोपाध्याय ने प्रेमचंद को उपन्यास सम्राट कहा है।
- प्रेमचंद के पुत्र अमृतराय ने प्रेमचंद को कलम का सिपाही कहा है।
- प्रेमचंद ने कहानी के संबंध में लिखा है :
“सबसे उत्तम कहानी वह होती है, जिसका आधार किसी मनोवैज्ञानिक सत्य पर होता है”
- संगठित रूप में हिंदी में प्रगतिवाद का आरंभ प्रगतिशील लेखक संघ द्वारा 1936 में लखनऊ में आयोजित अधिवेशन से होता है, जिसकी अध्यक्षता प्रेमचंद ने की थी इसमें उन्होंने कहा था :
” साहित्य का उद्देश्य दबे कुचले हुए वर्ग की मुक्ति होना चाहिए “
“साहित्यकार देशभक्ति और राजनीति के पीछे चलने वाली सच्चाई नहीं बल्कि
उसके आगे मशाल दिखाकर चलने वाली सच्चाई है।”
- प्रेमचंद ने नारी समस्या के साथ-साथ दलितों की समस्या को भी अपने लेखन का विषय बनाया।
Munshi Premchand | मुंशी प्रेमचंद के नाटक
प्रेमचंद के नाटक इस प्रकार है :
- संग्राम – 1923
यह किसानों के मध्य व्याप्त कुरीतियों तथा किसानों की फिजूलखर्ची के कारण हुआ कर्ज और कर्ज न चुका पाने के कारण अपनी फसल निम्न दाम में बेचने जैसी समस्याओं पर विचार करने वाला नाटक है।
- कोलकाता – 1924
- प्रेम की बेदी – 1933
- शबेतार
Munshi Premchand | मुंशी प्रेमचंद के निबंध
मुंशी प्रेमचंद के प्रमुख निबंधों के नाम इस प्रकार से है :
- पुराना जमाना नया जमाना
- स्वराज के फायदे
- कहानी कला (1,2,3)
- कौमी भाषा के विषय में कुछ विचार
- हिंदी- उर्दू की एकता
- महाजनी सभ्यता
- जीवन में साहित्य का स्थान
बाल साहित्य
- राम कथा
- कुत्ते की कहानी
- दुर्गादास
अनुवाद
- टॉलस्टॉय की कहानियां
- गाल्सवर्दी के नाटकों का अनुवाद किया।
Munshi Premchand | मुंशी प्रेमचंद से संबंधित जीवनी
मुंशी प्रेमचंद के जीवन से सम्बंधित विभिन्न जीवनी इस प्रकार है :
प्रेमचंद घर में (1944)
- मुंशी प्रेमचंद की पत्नी शिवरानी देवी द्वारा लिखित जीवनी जिसमें उनके व्यक्तित्व के घरेलू पक्षों को उजागर किया गया है। 2005 में प्रेमचंद के नाती प्रबोध कुमार ने इस पुस्तक को दोबारा संशोधित करके प्रकाशित कराया।
प्रेमचंद : कलम का सिपाही (1962)
- पुत्र अमृत राय द्वारा लिखित जीवनी जिसे प्रामाणिक बनाने के लिए अमृत राय ने प्रेमचंद के पत्रों का बहुत उपयोग किया है।
कलम का मजदूर (1964)
- इसकी भूमिका रामविलास शर्मा जी ने लिखी थी। कलम का मजदूर मदन गोपाल द्वारा अंग्रेजी में लिखित जीवनी है, जिसका बाद में हिंदी में भी प्रकाशन हुआ।
Munshi Premchand | मुंशी प्रेमचंद संबंधित आलोचनात्मक रचनाएं
मुंशी प्रेमचंद के सम्बन्ध में कुछ आलोचकों ने आलोचनात्मक रचनाएं भी लिखी है जो इस प्रकार है :
आलोचनात्मक रचनाएं | आलोचक |
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प्रेमचंद और उनका युग – 1952 | रामविलास शर्मा |
प्रेमचंद :विरासत का सवा | शिवकुमार मिश्र |
प्रेमचंद का जीवन (1984) | कमल किशोर गोयंका |
प्रेमचंद का सौंदर्यशास्त्र | नंदकिशोर नवल |
प्रेमचंद का पुनर्मूल्यांकन | शंभूनाथ सिंह |
प्रेमचंद सामंत का मुंशी | डॉ धर्मवीर |
प्रेमचंद की नीली आंखें | डॉ धर्मवीर |
इसप्रकार दोस्तों ! आज आपने Munshi Premchand | मुंशी प्रेमचंद के साहित्यिक जीवन के बारे में विस्तार से जाना। हमने प्रेमचंद के उपन्यासों, कहानियों, जीवनी, निबंध, नाटक तथा आलोचनात्मक रचनाओं आदि पर प्रमुख रूप से प्रकाश डाला है। उम्मीद करते है कि आपको मुंशी प्रेमचंद के बारे में दी गयी जानकारी अच्छे से समझ आयी होगी।
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एक गुजारिश :
दोस्तों ! आशा करते है कि आपको “Munshi Premchand | मुंशी प्रेमचंद : साहित्यिक जीवन एवं रचनाएँ” के बारे में हमारे द्वारा दी गयी जानकारी पसंद आयी होगी I यदि आपके मन में कोई भी सवाल या सुझाव हो तो नीचे कमेंट करके अवश्य बतायें I हम आपकी सहायता करने की पूरी कोशिश करेंगे I
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