Kavy Prayojan | काव्य प्रयोजन | काव्यशास्त्र

Kavy Prayojan I काव्य प्रयोजन I काव्यशास्त्र

Kavy Prayojan | काव्य प्रयोजन | काव्यशास्त्र Kavy Prayojan | काव्य प्रयोजन : काव्य प्रयोजन के अन्तर्गत हम निम्न का अध्ययन करते है – काव्य के उद्देश्य काव्य के लक्ष्य इसके (काव्य के) साध्य काव्य के महत्व और काव्य की उपयोगिता किसी भी कृति का कोई ना कोई प्रयोजन अवश्य होता है। निरुद्देश्य रचना संभव … Read more

Kavy Hetu । काव्य हेतु और उसके प्रकार एवं महत्वपूर्ण तथ्य

Kavy Hetu

Kavy Hetu । काव्य हेतु और उसके प्रकार एवं महत्वपूर्ण तथ्य Kavy Hetu (काव्य हेतु) : काव्य हेतु काव्य का सृजनात्मक पक्ष है। काव्य हेतु दो शब्दों से मिलकर बना है – काव्य और हेतु जिसमें काव्य का अर्थ कविता और हेतु का अर्थ कारण है। किसी भी मनुष्य में काव्य की क्षमता उत्पन्न कर … Read more

Sadharanikaran Ka Siddhant | साधारणीकरण का सिद्धांत

Sadharanikaran Ka Siddhant | साधारणीकरण का सिद्धांत

Sadharanikaran Ka Siddhant | साधारणीकरण का सिद्धांत Sadharanikaran Ka Siddhant | साधारणीकरण का सिद्धांत : साधारणीकरण का सबसे अधिक महत्व होता है। रस सिद्धांत में वस्तुतः साधारणीकरण के बिना रसानुभूति नहीं हो सकती। रस सिद्धांत का आविष्कार आचार्य भट्टनायक ने किया। साधारणीकरण का अर्थ है – सामान्यीकरण। असाधारण को इस प्रकार प्रस्तुत करना कि वह … Read more

Bharat Muni Ka Ras Sutra | भरतमुनि का रससूत्र

Bharat Muni Ka Ras Sutra | भरतमुनि का रससूत्र

Bharat Muni Ka Ras Sutra | भरतमुनि का रससूत्र Bharat Muni Ka Ras Sutra | भरतमुनि का रससूत्र : आचार्य भरतमुनि रस संप्रदाय के मूल प्रवर्तक हैं। उन्होंने नाट्य शास्त्र की रचना की औरउसमें नाटक के मूल तत्वों का विवेचन करते हुए रस का भी विवेचन किया है। वह रस को नाटक का प्राण मानते … Read more

Ads Blocker Image Powered by Code Help Pro

Ads Blocker Detected!!!

We have detected that you are using extensions to block ads. Please support us by disabling these ads blocker.

Powered By
100% Free SEO Tools - Tool Kits PRO
error: Content is protected !!