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Uttar Kand Vyakhya in Hindi रामचरितमानस उत्तरकांड – भाग 7
Uttar Kand Sampuran Vyakhya in Hindi : नमस्कार दोस्तों ! आज के लेख में हम तुलसीदास रचित श्री रामचरितमानस के “उत्तरकाण्ड” के आगामी दोहों की श्रृखंला को आगे बढ़ाते हुये व्याख्या प्रस्तुत कर रहे है। तो चलिए शुरू करते है :
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Uttar Kand Vyakhya in Hindi रामचरितमानस उत्तरकांड व्याख्या
Ramcharitmanas Uttar Kand Vyakhya Part 7 in Hindi : दोस्तों ! उत्तरकाण्ड के आगामी दोहों की विस्तृत व्याख्या भाव सहित निम्नप्रकार से है :
श्री रामजी का स्वागत, भरत मिलाप, सबका मिलनानन्द
दोहा :
Uttar Kand Dohe Vyakhya Ramji Swagat in Hindi
लछिमन अरु सीता सहित प्रभुहि बिलोकति मातु।
परमानंद मगन मन पुनि पुनि पुलकित गातु।।7।।
व्याख्या :
माताएं, लक्ष्मण और सीता सहित प्रभु श्रीराम जी को देखती हैं। सबके मन परम आनंद में डूबे हुये हैं। बार-बार उनके शरीर में रोमांच हो आता है।
चौपाई :
Uttar Kand Vyakhya Bharat Milap in Hindi
लंकापति कपीस नल नीला। जामवंत अंगद सुभसीला।।
हनुमदादि सब बानर बीरा। धरे मनोहर मनुज सरीरा।।1।।भरत सनेह सील ब्रत नेमा। सादर सब बरनहिं अति प्रेमा।।
देखि नगरबासिन्ह कै रीती। सकल सराहहिं प्रभु पद प्रीती।।2।।पुनि रघुपति सब सखा बोलाए। मुनि पद लागहु सकल सिखाए।।
गुर बसिष्ट कुलपूज्य हमारे। इन्ह की कृपाँ दनुज रन मारे।।3।।ए सब सखा सुनहु मुनि मेरे। भए समर सागर कहँ बेरे।।
मम हित लागि जन्म इन्ह हारे। भरतहु ते मोहि अधिक पिआरे।।4।।सुनि प्रभु बचन मगन सब भए। निमिष निमिष उपजत सुख नए।।5।।
व्याख्या :
विभीषण, सुग्रीव, नल-नील, जामवंत, अंगद और हनुमान जी आदि सब उत्तम स्वभाव वाले वीर वानरों ने मनुष्यों के मनोहर शरीर धारण कर लिये।
वे सब भरत के स्नेह, शील, व्रत और नियमों का बहुत प्रेम से आदरपूर्वक बखान कर रहे हैं। नगरवासियों की रीति-नीति देखकर, वे सब प्रभु के पद में उनकी प्रीति की सराहना कर रहे हैं।
श्रीरामचंद्र जी ने अपने सभी मित्रों को बुलाया और सबको सिखाया कि मुनि के चरणों में लगो। ये हमारे कुल के पूज्य गुरु वशिष्ठ जी हैं और इन्हीं की कृपा से हमने युद्ध में राक्षस मारे है।
श्रीराम जी ने वशिष्ठ जी से कहा कि हे मुनि ! सुनिए, यह सब मेरे सखा है। ये युद्ध रूपी समुद्र में मेरे लिये बेड़े के समान, जहाज के समान हुये थे। मेरे लाभ के लिये इन्होंने जीवन हार दिया है। ये मुझे भरत से भी अधिक प्रिय हैं।
प्रभु जी के वचन सुनकर सब प्रेम-आनंद में मग्न हो गये और इसप्रकार एक क्षण में नए-नए सुख उत्पन्न हो रहे हैं।
दोहा :
Uttar Kand Dohe Vyakhya Sahit Bhaav in Hindi
कौसल्या के चरनन्हि पुनि तिन्ह नायउ माथ।
आसिष दीन्हे हरषि तुम्ह प्रिय मम जिमि रघुनाथ।।8 क।।सुमन बृष्टि नभ संकुल भवन चले सुखकंद।
चढ़ी अटारिन्ह देखहिं नगर नारि नर बृंद।।8 ख।।
व्याख्या :
उन लोगों ने कौशल्या के चरणों में सिर नवाया और कौशल्या ने हर्षित होकर आशीर्वाद दिया कि तुम मुझे ऐसे ही प्रिय हो जैसे रामचंद्र। आकाश से फूलों की खूब वृष्टि हुई। सुख के मूल श्रीरामचंद्र जी राजभवन को चले और नगर के स्त्री -पुरुषों के समूह अटारियों पर चढ़े हुये उन्हें देख रहे हैं।
चौपाई :
Uttar Kand Chopai Vyakhya Bhaav with Meaning in Hindi
कंचन कलस बिचित्र सँवारे। सबहिं धरे सजि निज निज द्वारे।।
बंदनवार पताका केतू। सबन्हि बनाए मंगल हेतू।।1।।बीथीं सकल सुगंध सिंचाई। गजमनि रचि बहु चौक पुराईं।।
नाना भाँति सुमंगल साजे। हरषि नगर निसान बहु बाजे।।2।।जहँ तहँ नारि निछावरि करहीं। देहिं असीस हरष उर भरहीं।।
कंचन थार आरतीं नाना। जुबतीं सजें करहिं सुभ गाना।।3।।
`
करहिं आरती आरतिहर कें। रघुकुल कमल बिपिन दिनकर कें।।
पुर सोभा संपति कल्याना। निगम सेष सारदा बखाना।।4।।तेउ यह चरित देखि ठगि रहहीं। उमा तासु गुन नर किमि कहहीं।।5।।
व्याख्या :
विलक्षण ढंग से सँवारे हुये सोने के कलश सब अपने-अपने द्वार पर भरे हुये थे। अपने मंगलसूचक बंदनवार, पताका और झंडियाँ लगाई थी।
सब गलियाँ सुगंधित जल से सिंचाई गई थी। गजमुक्ताओं से रचकर बहुत से चौक पुराये गये। विभिन्न प्रकार के सुंदर थाल सजाये गये। हर्षपूर्वक नगर में बहुत से डंके बजवाये गये।
जहां-तहां स्त्रियां निछावर कर रही है, आशीर्वाद देती है और हृदय में हर्ष करती है। सोने के थालों से अनेकों प्रकार की आरती सजाकर युवती-स्त्रियां मंगल गीत गा रही हैं।
दोस्तों ! भगवान शंकर जी पार्वती जी को यह वृत्तांत सुना रहे हैं। शिव जी कहते हैं कि दुखों को हरने वाले और सूर्य कुलरूपी, कमलवन के सूर्य को वे आरती कर रही हैं। वेद, शेष और सरस्वती पुर की शोभा, संपत्ति और कल्याण का बखान करते हैं।
वे भी ये चरित्र देखकर ठगे से रह जाते हैं। हे उमा ! भला उनके गुणों को मनुष्य कैसे कह सकते हैं ?
इसप्रकार दोस्तों ! आज हमने रामचरित मानस के उत्तरकाण्ड के आगामी दोहों को समझा। परीक्षा की दृष्टि से महत्वपूर्ण होने से हम इसके दोहों की व्याख्या जारी रखेंगे। कृपया धैर्य बनाये रखिये और हमारा सहयोग कीजिये।
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एक गुजारिश :
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