Pragativad Ke Kavi | प्रगतिवाद की विशेषताएं और प्रमुख कवि एवं रचनाएँ
नमस्कार दोस्तों ! आज के नोट्स में हम आपके लिए लेकर आये है : Pragativad Ke Kavi | प्रगतिवाद की विशेषताएं और प्रमुख कवि एवं रचनाएँ । आज हम समझेंगे कि प्रगतिवाद क्या है ? प्रगतिवादी कविता की प्रमुख विशेषताएं क्या है ? तथा साथ ही Pragativad | प्रगतिवाद के प्रमुख कवियों और उनकी रचनाओं का भी विस्तार से अध्ययन करने जा रहे है। तो आइए समझ लेते है :
आपको बता दे कि जर्मनी के विद्वान कार्ल मार्क्स ने ऐतिहासिक भौतिकवाद में मनुष्य इतिहास के पांच सोपान माने हैं :
- दास प्रथा
- सामंतवाद
- पूंजीवाद
- समाजवाद
- साम्यवाद।
प्रगतिवादी कविता को मार्क्सवाद की काव्यात्मक अभिव्यक्ति कह सकते हैं। कार्ल मार्क्स के द्वंदात्मक भौतिकवाद को प्रगतिवाद का प्रेरणास्रोत कहा जा सकता है। कार्ल मार्क्स के चारों सिद्धांतों से यह कविता प्रभावित है। ये चार सिद्धांत इस प्रकार है :
- ऐतिहासिक भौतिकवाद
- द्वंदात्मक भौतिकवाद
- वर्ग संघर्ष का सिद्धांत
- अतिरिक्त मूल्य का सिद्धांत
प्रगतिवादी काव्य में कार्ल मार्क्स के समाजवादी विचारधारा का स्वर महत्वपूर्ण रहा है।
Pragativad Ki Visheshtaye | प्रगतिवाद की प्रमुख विशेषताएं
Pragativad | प्रगतिवाद की प्रमुख विशेषताओं को हम निम्न बिन्दुओं के माध्यम से समझ सकते है :
- प्रगतिवादी कविता में लाक्षणिकता और प्रतीकात्मकता की भरमार नहीं है, अपनी राष्ट्रीय चेतना को सीधे-सीधे खुलकर प्रखर रूप में अभिव्यक्त किया है। साथ ही स्थान-स्थान पर जनवादी प्रतीक भी मिलते हैं।
- प्रगतिवादी कविता में वैयक्तिकता के लिए कोई स्थान नहीं है। यहां सामाजिकता पर विशेष बल दिया गया है।
- इस कविता में आत्मगत सौंदर्य के स्थान पर वस्तुगत सौंदर्य को स्वीकार किया गया है।
- यह किसान और मजदूर की पक्षधर कविता है।
- छायावादी कविता पर गांधीवादी प्रभाव दिखलाई देता है लेकिन प्रगतिवादी कविता पर मार्क्स का प्रभाव स्पष्ट है। इसलिए प्रगतिवादी कविता में हिंसा मूल्य का समर्थन किया गया है।
- केदारनाथ अग्रवाल लिखते हैं :
“मारो मारो मारो हँसिया,
हिंसा और अहिंसा क्या है ?”
प्रगतिवादी कविता के संदर्भ में प्रमुख विशेषताएं :
- प्रगतिवादी कविता का मूल उद्देश्य है : वर्गविहीन शोषणविहीन समाज की स्थापना करना।
- इसमें पूंजीवाद और शोषकों के प्रति व्यंग्य और आक्रोश की अभिव्यक्ति मिलती है। शोषित, पीड़ित मानवता के प्रति करुणा एवं सहानुभूति का भाव मिलता है।
- धर्म और ईश्वर में विश्वास। मार्क्स धर्म को अफीम की गोली मानते हैं।
- प्रगतिवादी कविता प्रगतिशील मूल्यों की पक्षधर है। सामाजिक-धार्मिक व राजनीतिक विडंबनाओं का अंत करने पर बल देती है।
- वैज्ञानिकता के प्रति आग्रह मिलता है। यह कविता वैज्ञानिक समाजवाद को स्वीकारते हुए यथार्थवाद पर विशेष बल देती है।
- प्रगतिवादी कविता किन्हीं भी भेदभावों को स्वीकार नहीं करती है। समतामूलक समाज इसका आदर्श है।
- छायावादी कविता में स्त्री के आत्मिक सौंदर्य पर विशेष बल दिया गया है जबकि प्रगतिवादी कविता में तन और मन दोनों स्तरों पर नारी सहभागिता की अपेक्षा की गई है।
- प्रगतिवादी कविता में प्रेम और रोमांस की अभिव्यक्ति भी देखी जा सकती है, किंतु इसका आधार सूक्ष्म वायवीय कल्पना नहीं बल्कि यथार्थ है।
- यह कविता उपयोगितावादी दृष्टिकोण पर विशेष बल देती है। इसलिए नंददुलारे वाजपेई ने प्रगतिवादी कविता को उपयोगितावादी कविता कहा है।
- प्रगतिवादी कविता सुंदरम से ज्यादा शिवम पर बल देती है।
- यह “कला, कला के लिए है” सिद्धांत का विरोध करती है। यह “कला, जीवन के लिए है” सिद्धांत को स्वीकारती है। इसलिए इसमें लोकजीवन या जनजीवन की विस्तृत अभिव्यक्ति मिलती है।
- प्रगतिवादी कविता मुक्त छंद की अवधारणा को लेकर चली है। प्रगतिवादी रचनाकार साहित्य और समाज के गत्यात्मक संबंधों को स्वीकारते हैं।
- प्रगतिवादी कवि व्यवस्था परिवर्तन के लिए साम्यवादी क्रांति को आवश्यक मानते हैं।
- ये मध्यवर्ग के अंतर्द्वंद का जीवंत चित्रण करते हैं। इस संदर्भ में मुक्तिबोध का नाम विशेष उल्लेखनीय है।
- सबसे प्रख्यात मार्क्सवादी आलोचक रामविलास शर्मा है।
- हिंदी के पहले मार्क्सवादी आलोचक शिवदान सिंह चौहान माने जाते हैं। इनकी प्रसिद्ध पुस्तक है : “हिंदी साहित्य के अस्सी वर्ष”
Pragativad Ke Kavi | प्रगतिवाद के प्रमुख कवि और रचनाएँ
दोस्तों ! हम आपको Pragativad Ke Kavi Aur Rachnaye| प्रगतिवाद के कुछ प्रमुख कवियों और उनकी मुख्य रचनाओं के बारे में बता रहे है। जो निम्न प्रकार से है :
नागार्जुन | Nagarjun
इनका जन्म 30 जून 1911 ई. में हुआ। यह हिंदी के लेखक और कवि थे। इनका वास्तविक नाम वैद्यनाथ मिश्र था। ये मैथिली में “यात्री” उपनाम से लिखते थे। इनके घर का नाम ढक्कन था। यह बिहार के मधुबनी के रहने वाले थे।
नागार्जुन जनता के “चारण कवि” हैं। इनकी खड़ी बोली की पहली कविता “राम के प्रति” है। जो 1925 ई. में लाहौर से निकलने वाली “विश्वबंधु पत्रिका” में प्रकाशित हुई थी।
नागार्जुन “गरीबों के कवि” माने जाते हैं। इनका अंतिम उपन्यास “गरीबदास” है। ये प्रगतिशील काव्य आंदोलन की रीढ़ भी माने जाते हैं।इन्हें प्रगतिवाद का “शलाका पुरुष” भी कहा जाता है।
व्यंग्य और विद्रोह के संदर्भ में जो स्थान छायावाद में निराला का है, वही स्थान प्रगतिवाद में नागार्जुन का है। इनके “पत्रहीन नग्न गाछ” नामक काव्य संग्रह – मैथिली रचना को साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला है।
नागार्जुन की प्रमुख रचनाएँ :
काव्य संग्रह :
सं. | काव्य संग्रह | वर्ष |
---|---|---|
01. | युगधारा | 1953 |
02. | सतरंगे पंखों वाली | 1959 |
03. | प्यासी पथराई आँखें | 1962 |
04. | तालाब की मछलियां | 1974 |
05. | तुमने कहा था | 1980 |
06. | खिचड़ी विप्लव देखा हमने | 1980 |
07. | हजार-हजार बाँहों वाली | 1981 |
08. | पुरानी जूतियों का कोरस | 1983 |
09. | रतनगर्भ | 1984 |
10. | पका है यह कटहल | 1995 |
खंडकाव्य :
सं. | खंडकाव्य | वर्ष |
---|---|---|
01. | भस्मांकुर | 1970 |
02. | भूमिजा | – |
उपन्यास :
सं. | उपन्यास | वर्ष |
---|---|---|
01. | रतिनाथ की चाची | 1948 |
02. | बलचनमा | 1952 |
03. | नयी पौध | 1953 |
04. | बाबा बटेसरनाथ | 1954 |
05. | वरुण के बेटे | 1956-57 |
06. | दुखमोचन | 1956-57 |
07. | कुंभीपाक | 1960 |
08. | हीरक जयंती | 1962 |
09. | उग्रतारा | 1963 |
10. | जमनिया का बाबा | 1968 |
11. | गरीबदास | 1990 |
- कुंभीपाक 1972 में “चम्पा” नाम से तथा हीरक जयंती 1979 में “अभिनन्दन” नाम से भी प्रकाशित हुई।
- जमनिया का बाबा उसी वर्ष 1968 में “इमरतिया”नाम से भी प्रकाशित हुई।
कविताएँ :
सं. | चर्चित कविताएँ |
---|---|
01. | इंदु जी क्या हुआ आपको |
02. | बादल को घिरते देखा है |
03. | पाषाणी |
04. | चंदना |
05. | मादा सूअर |
06. | नेवला |
07. | प्रतिहिंसा ही स्थायी भाव है |
08. | एक फाँक आँखि, एक फाँक नाक! |
09. | न आये रात भर मेल ट्रेन |
10. | तन गई रीढ़ |
11. | यह तुम थी |
12. | जोत की फाँक |
13. | प्रेत का बयान |
14. | मास्टर |
नागार्जुन की चर्चित पंक्तियां :
“कालिदास सच-सच बताना इंदुमती की विरह व्यथा में
तुम रोए थे या अज रोया था।”
“गला है मीठा, मन है तीत, रेडियो के लिए लिखते हैं गीत।
पढ़ते हैं एजरा पाउंड इलियट, बाकी सब को समझते हैं इडियट ।।”
“कई दिनों तक चूल्हा रोया, चक्की रही उदास।”
— (अकाल और उसके बाद)
केदारनाथ अग्रवाल | Kedarnath Agarwal
ये प्रमुख हिंदी कवियों में एक है । इनका जन्म 1911 ईस्वी में उत्तर प्रदेश में हुआ। इन्होंने मार्क्सवादी दर्शन के आधार पर जनसाधारण के जीवन की व्यापक अभिव्यक्ति की है। इनका पहला काव्य संग्रह “युग की गंगा” आजादी के पहले मार्च,1947 में रचित है।
केदारनाथ अग्रवाल की रचनाएँ :
रचनाएँ :
सं. | रचनाएँ |
---|---|
01. | बंबई का रक्त स्नान |
02. | जो शिलाएं तोड़ते हैं |
03. | अनहारी हरियाली |
04. | जमुन जल तुम |
05. | पुष्पदीप |
06. | बसंत में हुई प्रसन्न पृथ्वी |
07. | खुली आँखें खुले डैने |
08. | देश-देश की कविताएँ |
09. | बोल-बोल अबोल |
10. | पंख और पतवार |
काव्य संग्रह :
सं. | काव्य संग्रह |
---|---|
01. | युग की गंगा – 1947 |
02. | नींद के बादल – 1947 |
03. | फूल नहीं रंग बोलते हैं – 1965 |
04. | आग का आईना – 1970 |
05. | समय-समय पर |
06. | हे मेरी तुम |
07. | गुल मेहंदी |
08. | मार-प्यार की थापें |
09. | अपूर्वा |
10. | आत्मगंध |
11. | लोक तथा आलोक |
- अस्थि और अंकुर खंड में प्रगतिवादी रचनाएं हिंसा मूल्य का समर्थन करती है।
रामविलास शर्मा | Ram Vilas Sharma
ये उत्तर प्रदेश के उन्नाव में 10 अक्टूबर 1912 में पैदा हुए। ये आधुनिक हिंदी साहित्य के प्रसिद्ध आलोचक, निबंधकार और कवि थे।
रामविलास शर्मा की प्रमुख रचनाएँ :
सं. | रचनाएँ | वर्ष |
---|---|---|
01. | रूप तरंग | – |
02. | निराला | 1946 |
03. | प्रगति और परंपरा | 1949 |
04. | साहित्य और संस्कृति | 1949 |
05. | प्रेमचंद और उनका युग | 1952 |
06. | प्रगतिशील साहित्य की समस्याएँ | 1954 |
07. | विराम चिह्न | 1957 |
08. | आस्था और सौंदर्य | 1961 |
09. | निराला की साहित्य साधना | 1969 |
10. | परंपरा का मूल्यांकन | 1981 |
त्रिलोचन शास्त्री | Trilocana
हिंदी साहित्य में त्रिलोचन शास्त्री प्रगतिशील काव्य धारा के प्रमुख कवि हैं। इनका वास्तविक नाम वासुदेव सिंह है।
त्रिलोचन की प्रमुख रचनाएँ :
सं. | काव्य संग्रह | वर्ष |
---|---|---|
01. | धरती | 1945 |
02. | गुलाब और बुलबुल | 1956 |
03. | दिगंत | 1957 |
04. | ताप के ताए हुए दिन | 1980 |
05. | उस जनपद का कवि हूँ | 1981 |
06. | अरधान | 1984 |
07. | तुम्हें सौंपता हूँ | 1985 |
- “धरती” इनका पहला काव्य संग्रह है।
- “दिगंत” काव्य संग्रह साॅनेट छंद में लिखा गया है। साॅनेट पश्चिम का एक शब्द है जिसमें शोक गीत लिखे जाते हैं।
- “ताप के ताए हुए दिन” पर इन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला है।
त्रिलोचन की चर्चित पंक्ति :
“यह जीवन मिला है अकेला,
फूल में मिला है या धूल में मिला है,
अकेले जिया नहीं जाता।”
शिवमंगल सिंह ‘सुमन’ | Shivmangal Singh ‘Suman’
इनका जन्म 5 अगस्त,1915 में उत्तर प्रदेश में हुआ। यह भी एक प्रसिद्ध हिंदी कवि रहे है।
शिवमंगल सिंह ‘सुमन’ की प्रमुख रचनाएँ :
सं. | काव्य संग्रह | वर्ष |
---|---|---|
01. | हिल्लोल | 1939 |
02. | जीवन के गान | 1942 |
03. | युग का मोल | 1945 |
04. | प्रलय सृजन | 1950 |
05. | मिट्टी की बारात | 1972 |
रांगेय राघव | Rangeya Raghav
इनका जन्म 17 जनवरी, 1923 को आगरा में हुआ। ये एक कवि होने के साथ-साथ एक प्रसिद्ध आलोचक, निबंधकार, कहानीकार एवं उपन्यासकार सभी कुछ है।
रांगेय राघव की प्रमुख रचनाएँ :
काव्य :
सं. | काव्य | वर्ष |
---|---|---|
01. | अजेय खण्डहर | 1944 |
02. | मेधावी | 1947 |
03. | पांचाली | 1955 |
उपन्यास :
सं. | उपन्यास |
---|---|
01. | घरौंदा |
02. | कब तक पुकारूँ |
03. | मुरदों का टीला |
04. | चीवर |
05. | लोई का ताना |
06. | लखिमा की आंखें |
07. | मेरी भव बाधा हरो |
08. | यशोधरा जीत गई। |
09. | देवकी का बेटा |
10. | सीधा-साधा रास्ता |
- रांगेय राघव और नागार्जुन ऐसे प्रगतिवादी रचनाकार हैं, जो प्रसिद्ध आंचलिक साहित्यकार भी रहे हैं। रांगेय राघव का पहला आंचलिक उपन्यास “घरौंदा” है।
- “कब तक पुकारूँ” उपन्यास भरतपुर की सांसी जनजाति जयाराम पेशानट जाति पर लिखा गया प्रसिद्ध आंचलिक उपन्यास है।
- “मुरदों का टीला” उपन्यास मोहनजोदड़ो सभ्यता पर लिखा गया है।
कहानियाँ :
सं. | कहानियाँ |
---|---|
01. | गूंगे |
02. | मृगतृष्णा |
03. | कुत्ते की दुम शैतान |
04. | पंच परमेश्वर |
05. | गदल |
इसप्रकार दोस्तों ! आज आपने जाना कि Pragativad | प्रगतिवाद क्या है ? तथा इसकी प्रमुख विशेषताएँ कौन-कौनसी है ? इसके अलावा Pragativad Ke Kavi | प्रगतिवाद के प्रमुख कवियों और उनकी मुख्य रचनाओं के बारे में भी आपको ज्ञात हो गया होगा। उम्मीद करते है कि आपको आज की जानकारी अच्छी और उपयोगी अवश्य लगी होगी।
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दोस्तों ! आशा करते है कि आपको “Pragativad Ke Kavi | प्रगतिवाद की विशेषताएं और प्रमुख कवि एवं रचनाएँ“ के बारे में हमारे द्वारा दी गयी जानकारी पसंद आयी होगी I यदि आपके मन में कोई भी सवाल या सुझाव हो तो नीचे कमेंट करके अवश्य बतायें I हम आपकी सहायता करने की पूरी कोशिश करेंगे I
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