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  • Nath Sahitya | नाथ साहित्य एवं नाथ पंथ के प्रमुख प्रवर्तक

    Nath Sahitya | नाथ साहित्य एवं नाथ पंथ के प्रमुख प्रवर्तक

    Nath Sahitya | नाथ साहित्य एवं नाथ पंथ के प्रमुख प्रवर्तक


    Nath Sahitya | नाथ साहित्य : नाथ संप्रदाय के प्रवर्तक मत्स्येंद्रनाथ एवं गोरखनाथ माने गए हैं। इनका समय 10वीं से 13वीं शती माना गया है तथा हिंदी संतकाव्य पर इनका पर्याप्त प्रभाव देखा गया है।

    अंतिम सिद्ध और पहले नाथ मत्स्येंद्रनाथ माने जाते हैं। यह सिद्धों और नाथों की बीच की कड़ी माने जाते हैं। रामचंद्र शुक्ल ने अंतिम सिद्ध और पहला नाथ जालंधर नाथ को माना है। यह मत्स्येंद्र नाथ के गुरु माने जाते हैं।



    मत्स्येंद्रनाथ | Matsyendranath

    इनको मीननाथ मच्छेंद्रनाथ भी कहा जाता है। इनका वास्तविक नाम – महेंद्रनाथ (विष्णु शर्मा) है। बौद्ध ग्रंथों में यह चौथे बोधिसत्व अवलोकितेश्वर के नाम से जाने जाते हैं।

    इनकी रचनाएं हैं –

    • कौल ज्ञान निर्णय
    • अकुलवीर तंत्र
    • कुलानंद
    • ज्ञानकारिका

    गोरखनाथ | Gorkhnath

    गोरखनाथ ने अपने शिष्यों को नारी से दूर रहने का उपदेश दिया । कबीर साहित्य में उपलब्ध नारी विरोध इसी का परिणाम है। 1930 ईस्वी में डॉ पीताम्बर दत्त बड़थ्वाल ने गोरखनाथ की रचनाओं का संकलन गोरखबानी नाम से किया है।

    इन्होंने इनकी 40 रचनाएं मानी है । इनमें से 14 रचनाओं को एकदम प्रमाणिक माना है। गोरखनाथ की रचनाएं इस प्रकार है :

    • स्फुट
    • चरित पद
    • रोमावली
    • ग्यान चौविसा
    • नरवै बोध
    • पंचमात्र
    • अभेमात्रा जोग
    • पंद्रह तिथि
    • सप्तवाद
    • शिष्य दर्शन
    • प्राण संकली
    • महिंद्र गोरखनाथ
    • आत्मबोध
    • ग्यान तिलक
    • काफिर बोध


    गोरखनाथ के गद्य ग्रंथ :

    • विवेक मार्तंड
    • सिद्ध सिद्धांत पद्धति
    • अमरोध शासनम
    • महार्थ मंजरी
    • निरंजन पुराण
    • बैराट पुराण

    आदिकाल में सर्वाधिक गद्य साहित्य की सर्जना गोरखनाथ ने की है । हजारी प्रसाद द्विवेदी ने गोरखनाथ को अपने युग का सबसे बड़ा नेता कहा है। नाथों की संख्या 9 मानी जाती है। आचार्य रामचंद्र शुक्ल ने 9 नाथ इस प्रकार गिनाए हैं :

    • गोरखनाथ
    • जलंधरनाथ
    • जड़भरतनाथ
    • चर्पटनाथ
    • सत्यनाथ
    • हरिश्चंद्रनाथ
    • नागार्जुननाथ
    • भीमनाथ
    • मलयार्जुननाथ

    नाथ पंथ के अनुयायियों को कनफटा साधु कहते हैं। नाथ संप्रदाय को सिद्धमत, सिद्धमार्ग, अवधूतमार्ग नाम से भी जाना जाता है।


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