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UttarKand श्रीरामचरितमानस उत्तरकाण्ड चौपाईयां – भाग 15


Shri Ramcharitmanas UttarKand Chaupaiyan in Hindi : नमस्कार दोस्तों ! आज हम पढ़ने वाले है : तुलसीदास रचित श्री रामचरितमानस के “उत्तरकाण्ड” के अगले 20-21वें दोहे एवं चौपाईयों की विस्तृत व्याख्या। तो चलिए ध्यानपूर्वक समझने की कोशिश करते है :

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UttarKand श्रीरामचरितमानस उत्तरकांड दोहे एवं चौपाईयां


Tulsidas Krit ShriRamcharitmanas UttarKand Chopai Part 15 in Hindi : दोस्तों ! उत्तरकाण्ड के आगामी दोहों एवं चौपाइयों की विस्तृत व्याख्या एवं सार इसप्रकार है :

रामराज्य का वर्णन

दोहा :

Tulsidas Rachit UttarKand Ram Rajya Varnan in Hindi

बरनाश्रम निज निज धरम निरत बेद पथ लोग।
चलहिं सदा पावहिं सुखहि नहिं भय सोक न रोग।।20।।

व्याख्या :

सब लोग अपने-अपने वर्ण और आश्रम, धर्म के अनुसार सदा वेदों के मार्ग पर चलते हैं और सुख पाते हैं। न उन्हें किसी बात का भय है, ना शोक और ना ही कोई भय सताता है।

चौपाई :

UttarKand RamRajya Varnan Chaupai Path in Hindi

दैहिक दैविक भौतिक तापा। राम राज नहिं काहुहि ब्यापा।।
सब नर करहिं परस्पर प्रीती। चलहिं स्वधर्म निरत श्रुति नीती।।1।।

व्याख्या :

दोस्तों ! तुलसीदास जी कहते हैं कि राम राज्य में दैहिक, दैविक और भौतिकता किसी को नहीं व्याप्ते। अब मनुष्य आपस में प्रेम करते हैं और वेदों में बताई गई नीति में अर्थात् मर्यादा में तत्पर रहकर अपने-अपने धर्म का पालन करते हैं।

चौपाई :

UttarKand RamRajya Vyakhya in Hindi

चारिउ चरन धर्म जग माहीं। पूरि रहा सपनेहुँ अघ नाहीं।।
राम भगति रत नर अरु नारी। सकल परम गति के अधिकारी।।2।।

व्याख्या :

दोस्तों ! धर्म के चार चरण होते हैं : सत्य, शौच, दया और दान। तुलसीदास जी कहते हैं कि धर्म के चारों चरणों से जगत परिपूर्ण हो रहा है। स्वप्न में भी कहीं पाप नहीं है। पुरुष और स्त्री सभी श्रीराम जी की भक्ति में लगे रहते हैं और सभी परम गति अर्थात् मोक्ष के अधिकारी हैं।

चौपाई :

UttarKand – ShriRamcharitmanas Chaupai in Hindi

अल्पमृत्यु नहिं कवनिउ पीरा। सब सुंदर सब बिरुज सरीरा।।
नहिं दरिद्र कोउ दुखी न दीना। नहिं कोउ अबुध न लच्छन हीना।।3।।

व्याख्या :

तुलसीदास जी कहते हैं कि राम राज्य में किसी की छोटी अवस्था में मृत्यु नहीं होती। ना किसी को कोई पीड़ा होती है। सभी के शरीर सुंदर और निरोग हैं। ना कोई दरिद्र है, ना दुखी है और ना गरीब है। ना कोई मूर्ख है और ना कोई सुलक्षणों से हीन ही है।

चौपाई :

UttarKand Chopai RamRajya Path Arth Sahit in Hindi

सब निर्दंभ धर्मरत पुनी। नर अरु नारि चतुर सब गुनी।।
सब गुनग्य पंडित सब ग्यानी। सब कृतग्य नहिं कपट सयानी।।4।।

व्याख्या :

सभी लोग दंभ से रहित, गर्व परायण और पुण्य आत्माएं हैं। सभी पुरुष और स्त्री चतुर एवं गुणवान है। सभी गुणों का आदर करने वाले, पंडित तथा सभी उपकार को मानने वाले हैं। धुर्तता किसी में भी नहीं है।

रामराज्य का वर्णन

दोहा :

UttarKand – RamRajya Chopai Vyakhya Bhav Sahit in Hindi

राम राज नभगेस सुनु सचराचर जग माहिं।
काल कर्म सुभाव गुन कृत दुख काहुहि नाहिं।।21।।

व्याख्या :

काकभुसुण्डि जी कहते हैं कि हे गरुड़ ! सुनिए, श्रीराम जी के राज्य में सारे चराचर जगत में काल, कर्म, स्वभाव और गुणों से उत्पन्न दु:ख किसी को भी नहीं होते।

चौपाई :

UttarKand RamRajya Varnan Chopai Path Arth in Hindi

भूमि सप्त सागर मेखला। एक भूप रघुपति कोसला।।
भुअन अनेक रोम प्रति जासू। यह प्रभुता कछु बहुत न तासू।।1।।

व्याख्या :

अयोध्या में रघुनाथ जी सात समुद्रों की मेखला अर्थात् करधनी वाली पृथ्वी के एकमात्र राजा हैं, जिनके एक-एक रोम में अनेकों ब्रह्मांड है। उनके लिये यह प्रभुता कुछ अधिक नहीं है।

चौपाई :

UttarKand Ramayan RamRajya Chopai Vyakhya in Hindi

सो महिमा समुझत प्रभु केरी। यह बरनत हीनता घनेरी।।
सोउ महिमा खगेस जिन्ह जानी। फिरि एहिं चरित तिन्हहुँ रति मानी।।2।।

व्याख्या :

काकभुसुण्डि जी कहते हैं कि प्रभु की उस महिमा को समझने में, यह कहना कि वह सात समुन्द्रों से घिरी पृथ्वी के स्वामी हैं। उनकी बड़ी हीनता बताना है। हे गरुड़ ! जिन्होंने वह महिमा जान भी ली, वे भी इस चरित्र में बड़ी प्रीति मानते हैं।

चौपाई :

Tulsidas Krit UttarKand RamRajya Chopai Path in Hindi

सोउ जाने कर फल यह लीला। कहहिं महा मुनिबर दमसीला।।
राम राज कर सुख संपदा। बरनि न सकइ फनीस सारदा।।3।।

व्याख्या :

क्योंकि उस महिमा को जानने का फल यह लीला ही है। ऐसा इंद्रियों को दमन करने वाले श्रेष्ठ महामुनि कहते हैं। रामराज्य का सुख और उसके ऐश्वर्य का वर्णन शेष और सरस्वती भी नहीं कर सकते।

चौपाई :

UttarKand RamRajya Chopai with Meaning in Hindi

सब उदार सब पर उपकारी। बिप्र चरन सेवक नर नारी।।
एकनारि ब्रत रत सब झारी। ते मन बच क्रम पति हितकारी।।4।।

व्याख्या :

रामराज्य में सभी पुरुष और स्त्री उदार हैं। सभी परोपकारी हैं और सभी ब्राह्मणों के चरणों के सेवक हैं। सभी पुरुष मात्र एक पत्नी व्रतधारी है। उसी प्रकार स्त्रियां भी मन, वचन, कर्म से पति का हित करने वाली है।

तो इसतरह दोस्तों ! आज हमने रामराज्य के 20-21वें दोहों और चौपाईयों की विस्तृत व्याख्या को समझा। अगली चौपाईयाँ लेकर फिर मिलते है।


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एक गुजारिश :

दोस्तों ! आशा करते है कि आपको UttarKand श्रीरामचरितमानस उत्तरकाण्ड चौपाईयां – भाग 15 के बारे में हमारे द्वारा दी गयी जानकारी पसंद आयी होगी I यदि आपके मन में कोई भी सवाल या सुझाव हो तो नीचे कमेंट करके अवश्य बतायें I हम आपकी सहायता करने की पूरी कोशिश करेंगे I

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