Ramcharitmanas Uttar Kand in Hindi रामचरितमानस उत्तरकांड – भाग 2


Ramcharitmanas Uttar Kand Vyakhya in Hindi : नमस्कार दोस्तों ! जैसाकि हमने तुलसीदास गोस्वामी रचित श्री रामचरितमानस के “उत्तरकाण्ड” को समझना प्रारम्भ कर दिया है। आज हम उत्तरकाण्ड के आगे के दोहों का अध्ययन करने जा रहे है तो चलिये शुरू करते है :

आप गोस्वामी तुलसीदास कृत “श्री रामचरितमानस के उत्तरकाण्ड” का विस्तृत अध्ययन करने के लिए नीचे दी गयी पुस्तकों को खरीद सकते है। ये आपके लिए उपयोगी पुस्तके है। तो अभी Shop Now कीजिये :


Ramcharitmanas Uttar Kand in Hindi रामचरितमानस उत्तरकांड दोहे


Ramcharitmanas Uttar Kand Bhavarth in Hindi : दोस्तों ! उत्तरकाण्ड के आगामी दोहों की व्याख्या इसप्रकार से है :

भरत विरह तथा भरत-हनुमान मिलन, अयोध्या में आनंद

दोहा :

Ramcharitmanas Uttar Kand Dohe Meaning in Hindi

राम बिरह सागर महँ भरत मगन मन होत।
बिप्र रूप धरि पवनसुत आइ गयउ जनु पोत।।1क।।

बैठे देखि कुसासन जटा मुकुट कृस गात॥
राम राम रघुपति जपत स्रवत नयन जलजात।।1ख।।

व्याख्या :

श्री राम जी के विरह समुन्द्र में विरक्त सा मन डूब रहा था और इतने में पवनपुत्र हनुमान जी ब्राह्मण का रूप धारण कर ऐसे आ गये, जैसे नाव आ गई।

तुलसीदास जी कहते हैं कि हनुमान जी ने भरत को कुश के आसन पर बैठे देखा, जटा ही उनका मुकुट है, शरीर दुर्बल है, वे राम-राम रघुपति जप रहे हैं और उनके कमल जैसे नेत्रों से आंसू बह रहे हैं।

दोहा :

Ramcharitmanas Uttar Kand Dohe Vyakhya Meaning in Hindi

देखत हनूमान अति हरषेउ। पुलक गात लोचन जल बरषेउ।।
मन महँ बहुत भाँति सुख मानी। बोलेउ श्रवन सुधा सम बानी।।1।।

जासु बिरहँ सोचहु दिन राती। रटहु निरंतर गुन गन पाँती।।
रघुकुल तिलक सुजन सुखदाता। आयउ कुसल देव मुनि त्राता।।2।।

व्याख्या :

दोस्तों ! हनुमान जी भरत को देखकर अत्यंत हर्षित हुये। उनका शरीर पुलकायमान हो आया और उनके नेत्रों से आँसूं बह चले। मन में बहुत प्रकार से सुख मानकर हनुमान जी ने कानों के लिये अमृत के समान वचन बोले।

हनुमान जी कहते हैं कि जिनके विरह में रात-दिन आप चिंतित है और जिनके गुणों के समूहों की पंक्तियां आप निरंतर रट रहे हैं, वे रघुकुल के तिलक, सज्जनों को सुख देने वाले और देवताओं एवं मुनियों के रक्षक श्री राम जी सकुशल आ गये।

दोहा :

Ramcharitmanas Uttar Kand Dohe Arth Sahit in Hindi

रिपु रन जीति सुजस सुर गावत। सीता सहित अनुज प्रभु आवत।।
सुनत बचन बिसरे सब दूखा। तृषावंत जिमि पाइ पियूषा।।3।।

को तुम्ह तात कहाँ ते आए। मोहि परम प्रिय बचन सुनाए।।
मारुत सुत मैं कपि हनुमाना। नामु मोर सुनु कृपानिधाना।।4।।

व्याख्या :

हनुमान जी कह रहे हैं कि शत्रु को रण में जीतकर सीता और लक्ष्मण के साथ प्रभु आ रहे हैं। देवता उनका यश गा रहे हैं और ये वचन सुनते ही भरत सारे दु:ख भूल गये, मानो प्यासा अमृतपान पाकर प्यास के दु:ख को भूल गया हो।

इस पर भरत पूछते हैं कि हे तात ! तुम कौन हो और कहाँ से आये हो ? तुमने मुझे बहुत ही प्रिय वचन सुनाये हैं। हनुमान जी ने कहा कि मैं पवन का पुत्र वानर हूँ। हे कृपा निधान ! सुनिए मेरा नाम हनुमान है।

दोहा :

Ramcharitmanas Uttar Kand Dohe Bhavarth Sahit in Hindi

दीनबंधु रघुपति कर किंकर। सुनत भरत भेंटेउ उठि सादर।।
मिलत प्रेम नहिं हृदयँ समाता। नयन स्रवतजल पुलकित गाता।।5।।

कपि तव दरस सकल दुख बीते। मिले आजुमोहि राम पिरीते।।
बार बार बूझी कुसलाता। तो कहुँ देउँ काह सुन भ्राता।।6।।

व्याख्या :

हनुमान जी कहते हैं कि मैं दीनबंधु श्री राम जी का दास हूं। यह सुनकर भरत उठकर आदरपूर्वक हनुमान जी को गले लगा लेते हैं। भेंट करते हुये प्रेम हृदय में नहीं समाता है। नेत्रों से आंसू बह रहे हैं और शरीर पुलकित हो रहा है।

भरत जी कहते हैं कि हे वानर ! तुम्हारे दर्शन मात्र से मेरे समस्त दु:ख संताप समाप्त हो गये है। आज मुझे प्यारे राम जी मिल गये है। भरत जी ने बार-बार कुशल पूछी और हनुमान जी से कहते हैं कि भाई सुनो ! मैं तुम्हें क्या दूं ?

दोहा :

Ramcharitmanas Uttar Kand Doho Ki Vistrit Vyakhya in Hindi

एहि संदेस सरिस जग माहीं। करि बिचार देखेउँ कछु नाहीं।।
नाहिन तात उरिन मैं तोही। अब प्रभु चरित सुनावहु मोही।।7।।

तब हनुमंत नाइ पद माथा। कहे सकल रघुपति गुन गाथा।।
कहु कपि कबहुँ कृपाल गोसाईं। सुमिरहिं मोहि दास की नाईं।।8।।

व्याख्या :

भरत जी कहते हैं कि इस संदेश के समान जगत में कुछ भी नहीं है। मैंने यह विचार करके देख लिया। हे तात ! मैं तुमसे उरिन नहीं हूं। अब मुझे प्रभु का हाल सुनाओ।

तब हनुमान जी ने भरत के चरणों में अपना मस्तक झुकाकर, श्री राम जी की सारी गुण गाथा कही। भरत जी ने पूछा है कि हे हनुमान ! बताओ श्री राम जी कभी मुझे अपने दास की तरह स्मरण भी करते हैं।

दोस्तों ! आज हमने श्री रामचरितमानस के उत्तरकाण्ड के आगे के दोहों को विस्तारपूर्वक जाना। उम्मीद है कि आपको समझ में आया होगा। फिर मिलते अगले भाग के साथ।


यह भी जरूर पढ़े :


एक गुजारिश :

दोस्तों ! आशा करते है कि आपको Ramcharitmanas Uttar Kand in Hindi रामचरितमानस उत्तरकांड – भाग 2 के बारे में हमारे द्वारा दी गयी जानकारी पसंद आयी होगी I यदि आपके मन में कोई भी सवाल या सुझाव हो तो नीचे कमेंट करके अवश्य बतायें I हम आपकी सहायता करने की पूरी कोशिश करेंगे I

नोट्स अच्छे लगे हो तो अपने दोस्तों को सोशल मीडिया पर शेयर करना न भूले I नोट्स पढ़ने और HindiShri पर बने रहने के लिए आपका धन्यवाद..!


Leave a Comment

Ads Blocker Image Powered by Code Help Pro

Ads Blocker Detected!!!

We have detected that you are using extensions to block ads. Please support us by disabling these ads blocker.

Powered By
Best Wordpress Adblock Detecting Plugin | CHP Adblock
error: Content is protected !!