Ramcharitmanas Uttar Kand Arth रामचरितमानस उत्तरकांड – भाग 8


Ramcharitmanas Uttar Kand Arth Sahit Vyakhya in Hindi : नमस्कार दोस्तों ! आज के लेख में हम तुलसीदास रचित श्री रामचरितमानस के “उत्तरकाण्ड” के अगले कुछ दोहों की विस्तृत व्याख्या लेकर आये है। तो आइए समझ लेते है :

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Ramcharitmanas Uttar Kand Arth रामचरितमानस उत्तरकांड व्याख्या


Ramcharitmanas Uttar Kand Arth Part 8 in Hindi : दोस्तों ! उत्तरकाण्ड के आगामी दोहों की विस्तृत व्याख्या कुछ इस तरह से है :

श्री रामजी का स्वागत, भरत मिलाप, सबका मिलनानन्द

दोहा :

Ramcharitmanas Uttar Kand Dohe Arth in Hindi

नारि कुमुदिनीं अवध सर रघुपति बिरह दिनेस।
अस्त भएँ बिगसत भईं निरखि राम राकेस।।9 क।।

होहिं सगुन सुभ बिबिधि बिधि बाजहिं गगन निसान।
पुर नर नारि सनाथ करि भवन चले भगवान।।9 ख।।

व्याख्या :

स्त्रियाँ कुमुदिनी है और अयोध्या सरोवर है। श्रीराम जी का बिरह सूर्य है। विरह रुपी सूर्य के अस्त होने पर श्रीराम रूपी पूर्णचंद्र को देखकर वे विकसित हो गई है।

अनेकों प्रकार के शुभ शकुन हो रहे हैं। आकाश में डंके बज रहे हैं। पुर के पुरुषों और स्त्रियों को कृतार्थ करके भगवान श्रीरामचंद्र जी महल को चले गये।

चौपाई :

Ramcharitmanas Uttar Kand Chopai Arth Shri Ramji Swagat in Hindi

प्रभु जानी कैकई लजानी। प्रथम तासु गृह गए भवानी।।
ताहि प्रबोधि बहुत सुख दीन्हा। पुनि निज भवन गवन हरि कीन्हा।।1।।

कृपासिंधु जब मंदिर गए। पुर नर नारि सुखी सब भए।।
गुर बसिष्ट द्विज लिए बुलाई। आजु सुघरी सुदिन समुदाई।।2।।

सब द्विज देहु हरषि अनुसासन। रामचंद्र बैठहिं सिंघासन।।
मुनि बसिष्ट के बचन सुहाए। सुनत सकल बिप्रन्ह अति भाए।।3।।

कहहिं बचन मृदु बिप्र अनेका। जग अभिराम राम अभिषेका।।
अब मुनिबर बिलंब नहिं कीजै। महाराज कहँ तिलक करीजै।।4।।

व्याख्या :

दोस्तों ! प्रभु जी ने समझा कि के कैकेयी लज्जायी हुयी है और इसलिए वे पहले उन्हीं के महल को गये। उन्हें समझा-बुझाकर बहुत सुख दिया। फिर हरि ने अपने भवन में प्रवेश किया।

कृपा के समुंद्र श्रीराम जी जब महल में गये, तब कुल के स्त्री-पुरुष सब बहुत सुखी हुये। गुरु वशिष्ठ जी ने ब्राह्मणों को बुला लिया और कहा कि आज शुभ घड़ी और सुंदर दिन सभी शुभ योग है।

आज सब ब्राह्मण हर्षित होकर आज्ञा दीजिए कि श्री रामचंद्र जी सिंहासन पर बैठे। वशिष्ठ मुनि के सुहावने एवं प्रिय वचन सब ब्राह्मणों को बहुत ही प्रिय लगे।

वे सब ब्राह्मण अनेक कोमल वचन कहने लगे कि श्रीराम जी का राज्याभिषेक संपूर्ण जगत को आनंद देने वाला है। हे मुनिवर ! अब देर ना कीजिए और महाराज का राजतिलक कीजिए।

दोहा :

Ramcharitmanas Uttar Kand Dohe Arth or Saar in Hindi

तब मुनि कहेउ सुमंत्र सन सुनत चलेउ हरषाइ।
रथ अनेक बहु बाजि गज तुरत सँवारे जाइ।।10 क।।

जहँ तहँ धावन पठइ पुनि मंगल द्रब्य मगाइ।
हरष समेत बसिष्ट पद पुनि सिरु नायउ आइ।।10 ख।।

व्याख्या :

तब मुनि ने सुमंत्र से कहा और वे हर्षित होकर चले। जाकर उन्होंने अनेक रथ, घोड़े और हाथी सजाये। उन्होंने जहां तहां दूतों को भेजकर मंगल द्रव्य मंगवाकर, फिर हर्ष के साथ आकर मुनि वशिष्ठ जी के चरणों में सिर नवायां।

चौपाई :

Ramcharitmanas Uttar Kand Chopai Arth Bharat Milap in Hindi

अवधपुरी अति रुचिर बनाई। देवन्ह सुमन बृष्टि झरि लाई।।
राम कहा सेवकन्ह बुलाई। प्रथम सखन्ह अन्हवावहु जाई।।1।।

सुनत बचन जहँ तहँ जन धाए। सुग्रीवादि तुरत अन्हवाए।।
पुनि करुनानिधि भरतु हँकारे। निज कर राम जटा निरुआरे।।2।।

अन्हवाए प्रभु तीनिउ भाई। भगत बछल कृपाल रघुराई।।
भरत भाग्य प्रभु कोमलताई। सेष कोटि सत सकहिं न गाई।।3।।

पुनि निज जटा राम बिबराए। गुर अनुसासन मागि नहाए।।
करि मज्जन प्रभु भूषन साजे। अंग अनंग देखि सत लाजे।।4।।

व्याख्या :

दोस्तों ! तुलसीदास जी कहते हैं कि अयोध्यापुरी को बहुत ही सुंदर तरीके से सजाया गया। देवताओं ने फूलों की वर्षा की झड़ी लगा दी। श्रीराम जी ने सेवकों को बुलाकर कहा कि तुम लोग पहले मेरे सखाओं को ले जाकर स्नान कराओ।

श्रीराम जी के वचन सुनते ही सेवक जहां-तहां दौड़ पड़े। उन्होंने तुरंत ही सुग्रीव आदि को स्नान करवाया। फिर करुणानिधान श्रीराम जी ने भरत को बुला लिया और अपने हाथों से उन्होंने उनकी जटा सुलझायी।

फिर भक्तवत्सल कृपालु प्रभु श्रीरामचंद्र जी ने तीनों भाइयों को स्नान करवाया। भरत का भाग्य और प्रभु की कोमलता अरबों शेष भी नहीं गा सकते।

तुलसीदास जी कहते हैं कि फिर श्रीराम जी ने अपनी जटाएँ खोली और गुरुजी की आज्ञा लेकर स्नान किया। स्नान करके प्रभु जी ने आभूषण धारण किये। उनके अंगों की छवि देखकर सैकड़ों कामदेव लजा गये।

इसप्रकार दोस्तों ! आज हमने उत्तरकाण्ड के कुछ दोहों को समझा। आप उत्तरकाण्ड के इन सभी दोहों को तैयार करते चले। फिर से मुलाकात होगी कुछ नये दोहों के साथ।


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एक गुजारिश :

दोस्तों ! आशा करते है कि आपको Ramcharitmanas Uttar Kand Arth रामचरितमानस उत्तरकांड – भाग 8 के बारे में हमारे द्वारा दी गयी जानकारी पसंद आयी होगी I यदि आपके मन में कोई भी सवाल या सुझाव हो तो नीचे कमेंट करके अवश्य बतायें I हम आपकी सहायता करने की पूरी कोशिश करेंगे I

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