Padmavati Samay – Chand Bardai | चन्दबरदाई कृत पद्मावती समय
दोस्तों ! कॉलेज लेक्चरर सीरीज में आज हम Padmavati Samay – Chand Bardai | चन्दबरदाई कृत पद्मावती समय के अगले पदों का अध्ययन करने जा रहे है। पृथ्वीराज रासो के रचनाकार कवि चंदबरदाई हैं और ये महाकाव्य 12वीं शताब्दी में रचित है। पद संख्या 5 तक हम पिछले लेख में अध्ययन कर चुके हैं।
Padmavati Samay – Chand Bardai | पद्मावती समय के पदों की व्याख्या
Padmavati Samay – Chand Bardai | पद्मावती समय के अगले 6-21 पदों की व्याख्या इस प्रकार से है :
पद : 6.
मनहुँ काम-कामिनि रचिय, रचिय रूप की रास।
पसु पंछी मृग मोहिनी, सुर, नर, मुनियर पास।।
शब्दार्थ :
क्र. सं. | शब्द | अर्थ |
---|---|---|
1. | मोहिनी | मोहित करने वाली |
2. | मुनियर | मुनिवर |
3. | पास | पाश, फंदा |
अर्थ :
यहां पद्मावती की सुंदरता का वर्णन करते हुए चंदबरदाई कह रहे हैं कि पद्मावती कामदेव की पत्नी रति के समान सुंदर थी अर्थात् पद्मिनी इतनी सुंदर थी जैसे कि कामदेव की पत्नी रति ने ही दूसरा रूप धारण कर लिया है।
पशु और पक्षी सब उसकी मोहिनी मूरत पर मोहित हो गए थे। देवता, प्राणी और मुनिवर सभी के सभी उसके मोह के बंधन में फंस गए थे। अर्थात् पद्मिनी इतनी सुंदर थी कि उसने प्राणी, पशु-पक्षी, देवता, मनुष्य, मुनिवर सभी को अपनी सुंदरता के बंधन में बांध लिया था।
पद : 7.
सामुद्रिक लच्छिन सकल, चौंसठि कला सुजान।
जानि चतुर्दस अंग खट, रति बसंत परमान।।
शब्दार्थ :
क्र. सं. | शब्द | अर्थ |
---|---|---|
1. | सामुद्रिक | सामुद्रिक शास्त्र जिसमें शरीर के अंगों की बनावट देखकर भविष्य बताते हैं। |
2. | लच्छिन | लक्षण |
3. | सुजान | प्रवीण, चतुर |
4. | चतुर्दस | चौदह विद्याएं |
5. | बसंत | बसंत के सामान यौवनवती |
अर्थ :
पद्मावती केवल रूप-सौंदर्य में ही अद्वितीय नहीं थी, अपितु वह बहुत चतुर भी थी। सामुद्रिक लक्षणों के अनुसार उसका भविष्य बताया जाता है कि वह 64 कलाओं में भी निपुण रहेगी। पद्मिनी 14 कलाओं में भी निपुण थी और वह बसंत के समान नवयौवन को धारण किये थी।
अर्थात् बसंत के सामान यौवनवती थी। उसमें 6 अंगों को का ज्ञान था । अर्थात् पद्मावती संपूर्ण गुणों से संपन्न थी।
विशेष : 1. श्रृंगार रस, दोहा छंद, ब्रज भाषा का प्रयोग हुआ है।
2. उपमा अलंकार का प्रयोग हुआ है।
पद : 8.
सषियन संग खेलत फिरत, महलनि बग्ग निवास।
कीर इक्क दिष्षिय नयन, तब मन भयौ हुलास।।
शब्दार्थ :
क्र. सं. | शब्द | अर्थ |
---|---|---|
1. | सषियन | सखियां |
2. | बग्ग निवास | बगीचों में बना महल |
अर्थ :
इन पंक्तियों में बताया गया है कि पद्मावती अपनी सखियों के साथ बगीचों में बने महल में खेल रही थी। तभी उसकी नजर एक तोते पर पड़ी और उसने उस तोते को पकड़ लिया। उस तोते को पाकर वह बहुत खुश होती है और उसका मन अति आनंद से भर जाता है।
विशेष : दोहा छंद और श्रृंगार रस का प्रयोग हुआ है।
पद : 9.
Padmavati Samay – Chand Bardai | चन्दबरदाई कृत पद्मावती समय के 9वें पद की व्याख्या :
मन अति भयौ हुलास, बिगसि जनु कोक किरन-रबि।
अरुन अधर तिय सुघर, बिंबफल जानि कीर छबि।।
यह चाहत चष चकित, उह जु तक्किय झरंप्पि झर।
चंचु चहुट्टिय लोभ, लियो तब गहित अप्प कर।।
हरषत अनंद मन मँह हुलस, लै जु महल भीतर गइय।
पंजर अनूप नग मनि जटित, सो तिहि मँह रष्षत भइय।।
शब्दार्थ :
क्र. सं. | शब्द | अर्थ |
---|---|---|
1. | हुलास | उल्लास, प्रसन्नता |
2. | बिगसि | विकसित |
3. | जनु | मानो |
4. | अरुन | लाल |
5. | अधर | होंठ |
अर्थ :
पद्मावती का मन अत्यंत उल्लास से भर गया, जिस प्रकार प्रात:काल होने पर कमल का फूल खिल जाता है। और चकवा भी चकवी से मिलकर खुश हो जाता है। सूर्य की किरण मिलने पर कमल का फूल विकसित होता है, उसी प्रकार उस तोते को पाकर पद्मनी भी अति प्रसन्न हो गई।
पद्मिनी के लाल होठों को बिंब फल जानकर तोता चकित होकर देखता है और झपट्टा मारता है। जैसे ही वह झपट्टा मारता है, पद्मिनी उसे पकड़ लेती है और महल के अंदर ले जाती है। नग और मणियों से जडित एक पिंजरा मंगवाती है और उसमें तोते को रख देती है।
विशेष : पद्मावती के अधरों में तोते को बिंब फल की भ्रांति हुई है।
भ्रांतिमान अलंकार का सुन्दर प्रयोग हुआ है और यह एक छप्पय छंद है।
पद : 10.
तिहि महल रष्षत भइय, गइय खेल सब भुल्ल।
चित्त चहुँट्टयो कीर सों, राम पढावत फुल्ल।।
शब्दार्थ :
क्र. सं. | शब्द | अर्थ |
---|---|---|
1. | तिहि | उसे, उसको |
2. | रष्षत भइय | रखती हुई |
3. | भुल्ल | भूल गई |
4. | फुल्ल | प्रसन्न होकर |
अर्थ :
पद्मावती ने उपवन में खेलते समय एक तोता देखा, जिसे पकड़कर वह अपने घर ले आयी और अपने सारे खेल खेलना भूल गई। प्रसन्न होकर उस तोते को रामनाम पढ़ाने में लग गई।
विशेष : ब्रजभाषा मिश्रित भाषा का प्रयोग है।
श्रृंगार रस, दोहा छंद प्रयुक्त हुआ है।
पद : 11.
कीर कुँवरि तन निरषि दिषि, नष सिष लौं यह रूप।
करता करी बनाय कै, यह पद्मिनी सरूप।।
शब्दार्थ :
क्र. सं. | शब्द | अर्थ |
---|---|---|
1. | कीर | तोता |
2. | कुँवरि | राजकुमारी (पद्मावती) |
3. | तन | शरीर |
अर्थ :
तोता राजकुमारी पद्मावती के शरीर को नख से शिख तक निरखता है और सोचता है कि पद्मिनी का यह रूप विधाता ने बहुत सुंदर बनाया है। अर्थात् इसका शरीर या तन पद्मिनी रूपी नारी के समान है।
पद : 12.
Padmavati Samay – Chand Bardai | चन्दबरदाई कृत पद्मावती समय के 12वें पद की व्याख्या :
कुट्टिल केस सुदेस पोहप, रचियत पिक्क सद।
कमल-गंध, वय संध, हंसगति चलत मंद-मंद।।
सेत वस्त्र सोहै शरीर, नष स्वाति बूँद जस।
भमर-भमहिं भुल्लहिं सुभाव मकरंद वास रस।।
नैनन निरषि सुष पाय सुक, यह सुदिन्न मूरति रचिय।
उमा प्रसाद हर हेरियत, मिलहि राज प्रथिराज जिय।।
शब्दार्थ :
क्र. सं. | शब्द | अर्थ |
---|---|---|
1. | कुट्टिल | कुटिल (घुंघराले) |
2. | केस | बाल |
3. | सुदेस | सुंदर |
4. | पोहप | पुष्प |
5. | वय संध | वयसंधि की अवस्था |
6. | नष | नख |
7. | स्वाति बूँद जस | मोती के समान |
8. | भुल्लहिं | भूलकर |
9. | सुभाव | स्वभाव |
10. | सुष | सुख |
11. | हेरियत | देखता है |
अर्थ :
पद्मिनी के काले सुंदर घुंघराले बाल है, जिनमें कुछ पुष्प लगे हैं। उसकी वाणी कोयल के समान मधुर है। वयसंधि की अवस्था के कारण उसमें कमल के समान भीनी-भीनी खुशबू आती है। और वह मंद-मंद गति से चलती है।
उसके शरीर पर श्वेत वस्त्र अर्थात सफेद वस्त्र सुशोभित है। स्वाति नक्षत्र के समान तेजमय नाखून है। भंवरे मकरंद का पान करना भूल गये हैं और भ्रमवश उसके मुख के चारों ओर ही मंडरा रहे हैं।
पद्मावती के अनुपम सौंदर्य को देखकर तोता सोचता है कि किसी तरह शिव-पार्वती की कृपा हो जाए और राजा पृथ्वीराज को यह मिल जानी चाहिए। विधाता की ऐसी कृपा होनी चाहिए।
विशेष : 1. उपमा अलंकार, भ्रांतिमान अलंकार प्रयुक्त है।
2. यह एक छप्पय छंद है।
पद : 13.
सूक समीप मन कुँवरि कौ, लग्यौ बचन कै हेत।
अति विचित्र पंडित मुआ, कथत जु कथा अमेत।।
शब्दार्थ :
क्र. सं. | शब्द | अर्थ |
---|---|---|
1. | सूक | तोता |
2. | बचन | बातें |
3. | हेत | लिए |
अर्थ :
पद्मावती का मन तोते में लग गया है। वह उसे छोड़कर कहीं नहीं जाती है। वह तोता भी एक पंडित था तथा अनेक प्रकार की कथाएँ सुनाता रहता था।
पद : 14.
पुच्छत बयन सुबाले, उच्चरिय कीर सच्च सच्चाये।
कवन नाम तुर देस, कवन यंद करै परवेस।।
शब्दार्थ :
क्र. सं. | शब्द | अर्थ |
---|---|---|
1. | पुच्छत | पूछती है |
2. | सुबाले | अच्छी बाला (पद्मावती) |
3. | कवन | कौन |
4. | तुर | तेरा |
5. | यंद | इंन्द्र (राजा) |
अर्थ :
वह पद्मिनी उस तोते से पूछती है कि सच-सच बताना बतलाओ, तुम्हारे देश का क्या नाम है? वहां का राजा कौन है? किसका वहां प्रवेश है?और किस राजा का शासन है ? यह सारी बातें तुम मुझे बताओ।
विशेष : गाथा छंद है।
पद : 15.
उच्चरिय कीर सुनि बयनं, हिन्दवान दिल्ली गढ़ अयनं।
तहाँ यंद अवतार चहुँवान, तहँ पृथिराज सूर सुभारं।।
शब्दार्थ :
क्र. सं. | शब्द | अर्थ |
---|---|---|
1. | उच्चरिय | बोला |
2. | कीर | तोता |
3. | सुनि | सुनकर |
4. | बयनं | वचन |
अर्थ :
तोता पद्मिनी को बताता है कि हिंदुस्तान में दिल्ली गढ़ नामक हिंदुओं का विशाल गढ़ है, जहां हिंदुओं का राजा पृथ्वीराज है, जो देवताओं के समान है। वह बहुत पराक्रमी है। वह वहां पर शासन करता है।
पद : 16.
पद्मावतिहि कुँवर संघत, दुज कथा कहत सुनि सुनि सुवत्त।
हिंदवान थान उत्तम सुदेश, तहँ उदत्त द्रुग्ग दिल्ली सुदेश ।।
शब्दार्थ :
क्र. सं. | शब्द | अर्थ |
---|---|---|
1. | पद्मावतिही | राजकुमारी पद्मावती |
2. | संघत | साथ |
3. | हिन्दवान थान | हिंदुस्तान नामक स्थान |
4. | उदत | सुंदर देश |
अर्थ :
राजकुमारी पद्मावती ने जब दिल्ली और दिल्ली नरेश के बारे में जानने की इच्छा रखी तो तोता राजकुमारी को इस बारे में बताने लगा – हे राजकुमारी! हिंदुओं की प्रधानता वाले देश हिंदुस्तान में दिल्ली नामक एक स्थान है, जहां एक सुदृढ़ किला है। ये किला सिर ऊंचा किये खड़ा है, सुदृढ़ है ।
विशेष : अनुप्रास अलंकार की छटा है।
पद : 17.
संभरि नरेस चहुँआन थानं, पृथिराज तहाँ राजंत भानं।
वैसह बरीस षोडस नरिदं, आजानु बाहु भुअलोक यंदं।।
शब्दार्थ :
क्र. सं. | शब्द | अर्थ |
---|---|---|
1. | संभरि | सांभर |
2. | चहुँआन | चौहान |
3. | भानं | सूर्य के समान |
4. | षोडस | सोलह वर्ष |
अर्थ :
सांभर नरेश चौहान राजा पृथ्वीराज सूर्य के समान तेजस्वी है। वह 16 वर्ष के है और उनकी भुजाएं लंबी और सुदृढ़ है। राजाराम के समान उनकी भुजाएं हैं।
पद : 18.
संभरि नरेस सोमेस पूत, देवंत रूप अवतार धूत।
तासु मंसूर सब्बै अपार, भूजांन भीम जिम सार भार।।
शब्दार्थ :
क्र. सं. | शब्द | अर्थ |
---|---|---|
1. | देवंत | देवता समान |
2. | मंसूर | सांमत |
अर्थ :
सांभर नरेश राजा पृथ्वीराज सोमेश्वर के पुत्र है। देवताओं ने जैसे अवतार लिए है, ऐसा उनका रूप है। उनकी भुजाएं भीम के समान अत्यंत शक्तिशाली है। उनके सभी सामंत भी बहुत बलवान है और लोहे के समान कठोर है।
पद : 19-21.
Padmavati Samay – Chand Bardai | चन्दबरदाई कृत पद्मावती समय के 19-21वें पद की व्याख्या :
19. जिहि पकरि साह साहाब लीन, तिहुँ बेर करिल पानीप हीन।
सिंगिनि सुसद्द गुन चढ़ि जंजीर, चुक्के न सबद बेधंत तीर।।
20. बल बैन करन जिमि दांन पान, सत सहस सीलहरिचन्द सयान।
साहस सुक्रम विक्रम जु वीर, दांनव सुमत्त अवतार धीर।।
21. दस च्यार जानि सब कला भूप, कंद्रप्प जांन अवतार रूप।
शब्दार्थ :
क्र. सं. | शब्द | अर्थ |
---|---|---|
1. | जिहि | जिसने |
2. | पकरि | पकड़ लिया |
3. | साह | बादशाह |
अर्थ :
तोता रानी पद्मिनी को राजा पृथ्वीराज के बारे में आगे बताता हुआ कहता है कि ये वही पृथ्वीराज है, जिन्होंने बादशाह शहाबुद्दीन गौरी को तीन बार पकड़ कर छोड़ दिया था और उसका पानी उतारकर अर्थात् बेइज्जत करके प्रतिष्ठा विहीन कर दिया था। वह अत्यंत वीर और पराक्रमी राजा है।
उनके धनुष की टनकार से एक भयानक शब्द उत्पन्न होता है। वे शब्दभेदी बाण चलाने में भी कुशल है और उनके बाण अपना निशाना कभी नहीं चूकते है। उनके धनुष की प्रत्यंचा हमेशा चढ़ी हुई रहती है और ये प्रत्यंचा लोहे की बनी हुई है।
राजा पृथ्वीराज दान करने में राजा बलि और कर्ण के समान है। वे बहुत बड़े दानवीर हैं। राजा हरिश्चंद्र के समान सत्यवादी है। राजा विक्रमादित्य के समान शूरवीर है, जिनका अपनी सत्ता के नशे में चूर दानवों का नाश करने के लिए ही अवतार हुआ है।
ऐसा प्रतीत होता है कि 14 कलाओं के रूप में वे राजा जाने जाते है अर्थात् रूप में, शील में, गुण में, वीरता में, धैर्य आदि सभी गुणों में यह राजा सर्वश्रेष्ठ हैं।
विशेष : 1. वीर रस की व्यंजना हुई है।
2. अनुप्रास और उपमा अलंकार प्रयुक्त हुआ है।
अंतिम बात :
इस प्रकार दोस्तों ! आज आपने Padmavati Samay – Chand Bardai | चन्दबरदाई कृत पद्मावती समय के शेष पदों को विस्तार से समझ लिया है। उम्मीद है कि आज की जानकारी आपको बहुत उपयोगी लगी होगी। इन सभी पदों को अच्छे से समझकर तैयार कर लीजियेगा।
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एक गुजारिश :
दोस्तों ! आशा करते है कि आपको “Padmavati Samay – Chand Bardai | चन्दबरदाई कृत पद्मावती समय“ के बारे में हमारे द्वारा दी गयी जानकारी पसंद आयी होगी I यदि आपके मन में कोई भी सवाल या सुझाव हो तो नीचे कमेंट करके अवश्य बतायें I हम आपकी सहायता करने की पूरी कोशिश करेंगे I
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