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Kamayani Chinta Sarg Vyakhya | कामायनी का चिंता सर्ग भाग – 8


नमस्कार दोस्तों ! अब तक हम कामायनी के चिंता सर्ग से कुल 46 पदों को पढ़ चुके है। आज हम Kamayani Chinta Sarg Vyakhya | कामायनी के चिंता सर्ग के 47-53 पदों का विस्तार से अध्ययन करने जा रहे है। तो चलिए समझते है :

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Kamayani Chinta Sarg Vyakhya| कामायनी के चिंता सर्ग की व्याख्या


Jaishankar Prasad Krit Kamayani Chinta Sarg Vyakhya in Hindi : कामायनी महाकाव्य के प्रथम चिंता सर्ग के 47-53 पदों की विस्तृत व्याख्या निम्नप्रकार से है :

पद : 47.

Jai Shankar Prasad Ke Kamayani Mahakavya Ki Vyakhya in Hindi

देव-यजन के पशुयज्ञों की, वह पूर्णाहुति की ज्वाला।
जलनिधि में बन जलती कैसी, आज लहरियों की माला।

अर्थ :

मनु कहते हैं कि जिस प्रकार यज्ञ की समाप्ति पर पशुओं की आहुति से यज्ञ की ज्वाला भभक उठती थी, उसी प्रकार अब ये सागर की भीषण लहरे ही उस आग की लपटों के समान जान पड़ती है। अर्थात् जहां कभी यज्ञ होते थे, वहां आज समुद्र लहरा रहा है

प्रस्तुत पंक्तियों में देवताओं के विध्वंस का कारण पशुओं के यज्ञ को भी माना गया है। कवि कहते हैं कि देवताओं ने पहले पशुओं का वध करके उनके मान की आहुति दी थी और आज प्रलय ने उन्ही देवताओं का विनाश कर दिया।



पद : 48.

Kamayani ke 47 to 53 Pado Ki Vyakhya in Hindi

उनको देख कौन रोया यों, अंतरिक्ष में बैठ अधीर।
व्यस्त बरसने लगा अश्रुमय, यह प्रालेय हलाहल नीर।

अर्थ :

मनु कहते हैं कि देवताओं के भोग विलास के इस भीषण परिणाम को देखकर ही शायद आसमान रो पड़ा है। उसके नेत्रों से प्रवाहित होने वाली अश्रु धारा ही आज इस प्रलयकारी भीषण वर्षा के रूप में आन पड़ी है। दोस्तों ! इन पंक्तियों में हेतुत्प्रेक्षा अलंकार की योजना हुई है।


पद : 49.

Kamayani Ka Pahla Sarg Chinta Sarg Arth in Hindi

हाहाकार हुआ क्रंदनमय, कठिन कुलिश होते थे चूर।
हुए दिगंत बधिर, भीषण रव, बार-बार होता था क्रूर।

अर्थ :

मनु कहते हैं कि जल प्लावन होते ही चारों ओर भयंकर हाहाकार मच गया और बिजलियों के टकराने की इतनी भीषण आवाज़ें सुनाई देने लगी कि अब प्रतिक्षण केवल कोलाहल ही सुनाई देता है और इसके कारण सभी दिशाएं बहरी सी हो गई है।



पद : 50.

Kamayani Ke Chinta Sarg Ke 47 to 53 Pado Ka Arth Bhaav in Hindi

दिग्दाहों से धूम उठे, या जलधर उठें क्षितिज-तट के।
सघन गगन में भीम प्रकंपन, झंझा के चलते झटके।

अर्थ :

प्रलय काल का वर्णन करते हुए मनु कहते हैं कि सभी दिशाओं में आग सी लग जाने के कारण चारों ओर धुआँ ही धुआँ दिखाई देता है और कभी कभी तो ऐसा लगता है, मानो आकाश में बादल ही घिर आए हैं। साथ ही तेज आंधी के भयंकर झोंकों के चलने से सारा आकाश ही रह-रह कर डोलने लगता है। दोस्तों ! इन पंक्तियों में संदेह अलंकार प्रयुक्त हुआ है।


पद : 51.

Jai Shankar Prasad Ke Kamayani Mahakavya Ka Chinta Sarg in Hindi

अंधकार में मलिन मित्र की, धुँधली आभा लीन हुई।
वरुण व्यस्त थे, घनी कालिमा, स्तर-स्तर जमती पीन हुई।

अर्थ :

मनु प्रलय का वर्णन करते हुए कह रहे हैं कि सूर्य का प्रकाश पहले तो धुंधला सा दिखाई देने लगा। पर कुछ ही क्षण बाद सूर्य उस अंधकार में ही अदृश्य हो गया और अब चारों ओर अंधकार ही अंधकार छा गया है।

साथ ही जल देवता वरुण भी क्रोधित होकर भयंकर वर्षा करने लगे और चारों ओर धुएँ से पैदा हुई कालिमा की एक मोटी परत जम गई। प्रस्तुत पंक्तियों में अंधकार की क्रमिक सघनता बताई गई है।



पद : 52.

Kamayani Chinta Sarg Vyakhya Arth Mool Bhaav in Hindi

पंचभूत का भैरव मिश्रण, शंपाओं के शकल-निपात।
उल्का लेकर अमर शक्तियाँ, खोज़ रहीं ज्यों खोया प्रात

अर्थ :

मनु कहते हैं कि जिन पंच महाभूतों अर्थात् (पृथ्वी, जल, वायु, आकाश, अग्नि) के मिश्रण से संपूर्ण सृष्टि बनी है। आज उन्हीं का मिश्रण भयंकर प्रलयकारी दृश्य प्रस्तुत कर रहा है। अब ये परस्पर मिलकर भयंकर संहारक परिणाम प्रस्तुत कर रहे हैं।

इस प्रकार बिजलियां टूट-टूट कर गिर रही है और वे विद्युतखण्ड ऐसे प्रतीत हो रहे हैं, मानो वास्तविक अमर शक्तियां, जो कि इन देवताओं से विभिन्न हीं थी, अंधकार में छिपे प्रात:काल को मशाल लेकर ढूंढ रही थी। दोस्तों ! इसमें वस्तुत्प्रेक्षा अलंकार की योजना हुई है।


पद : 53.

Kamayani Chinta Sarg Vyakhya 47-53 Pad in Hindi

बार-बार उस भीषण रव से, कँपती धरती देख विशेष।
मानों नील व्योम उतरा हो, आलिंगन के हेतु अशेष।

अर्थ :

प्रलयकाल का वर्णन करते हुए मनु कहते है कि लगातार होने वाले भयंकर कोलाहल के कारण धरती भी काँप उठी थी। चारों ओर नीला अंधकार ही दिखाई देता था। उसे देखकर ऐसा लगता था मानो काँपती हुयी धरती को धीरज बंधाने के लिए नीला आकाश ही नीचे उतर आया है। प्रस्तुत पंक्तियों में हेतुत्प्रेक्षा अलंकार की योजना हुयी है।


अब तक हम Kamayani Chinta Sarg Vyakhya | कामायनी के चिंता सर्ग के 8 भाग पढ़ चुके है। हम आपको कामायनी का चिंता सर्ग आसान तरीके से बता रहे है ताकि आपको इसे समझने में कोई परेशानी नहीं हो। इसी तरह से हम कामायनी के चिंता सर्ग के अगले पदों का भी अध्ययन करेंगे। उम्मीद है कि आप भी हमारे साथ-साथ इन पदों को तैयार कर ही रहे होंगे। तो मिलते है अगले पदों के साथ।

ये भी अच्छे से समझे :


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