Contents

Dwivedi Yug | द्विवेदी युग और महावीर प्रसाद द्विवेदी


नमस्कार दोस्तों ! आज हम आपको Dwivedi Yug | द्विवेदी युग और महावीर प्रसाद द्विवेदी की रचना धर्मिता के बारे में बताने जा रहे है। साथ ही द्विवेदी युग के प्रमुख तीन स्वच्छंदतावादी कवि के बारे में भी चर्चा कर रहे है। तो आइये शुरू करते है :



आधुनिक काल के दूसरे पड़ाव को Dwivedi Yug | द्विवेदी युग के नाम से जाना जाता है। इसको जागरण सुधारकाल भी कहा जाता है। यह नाम डॉ. नगेंद्र ने दिया है। इस काल का समय 1900 से 1918 ईस्वी तक है। यह काल आधुनिक कविता के उत्थान और विकास का काल है।

1900 में सरस्वती पत्रिका का प्रकाशन हुआ। जिसके संस्थापक एक बंगाली सज्जन चिंतामणि घोष थे। 1903 ईस्वी में महावीर प्रसाद द्विवेदी सरस्वती पत्रिका के संपादक बने। 1900 में सरस्वती पत्रिका के संपादक मंडल के सदस्य निम्नलिखित हैं :

  • श्यामसुंदर दास
  • जगन्नाथदास रत्नाकर
  • राधाकृष्ण दास
  • कार्तिक प्रसाद खत्री
  • किशोरी लाल गोस्वामी

1901 ईस्वी श्यामसुंदर दास संस्थापक थे।1903 ईस्वी महावीर प्रसाद द्विवेदी संपादक बने और वे1920 ईस्वी तक रहे।
डॉ. बच्चन सिंह ने द्विवेदी काल के कवियों को सरस्वती कलम के कवि कहा है ।


Dwivedi Yug | द्विवेदी युगीन कविता की विशेषताएं


द्विवेदी युगीन कविता की प्रमुख विशेषताओं को निम्न बिन्दुओं के माध्यम से समझा जा सकता है :

  • राष्ट्रीय चेतना कि तीव्र अभिव्यक्ति।
  • समाज सुधार की व्यापक चेतना।
  • राज भक्ति व देशभक्ति के अन्तर्द्वन्द्व की समाप्ति।
  • कविता की भाषा खड़ी बोली हिंदी बन गई (गद्य और पद्य की भाषा एक हो गई)
  • खड़ी बोली गद्य और अधिक परिनिष्ठित व्याकरण सम्मत एवं परिमार्जित बन गया।
  • काव्य क्षितिज का दायरा व्यापक हो गया।
  • घोर सामाजिकता पर बल।
  • उपदेशात्मकता।
  • प्रबंधात्मकता।
  • इतिवृत्तात्मकता।
  • स्त्री जागरण की अभिव्यक्ति।
  • समस्या पूर्ति।
  • अनुवाद की प्रवृत्ति अधिक मिलती है।
  • नैतिकता पर बल।
  • आदर्शवाद की स्थापना।
  • राष्ट्रीय सांस्कृतिक मूल्यों पर बल।
  • श्रृंगारिकता से मुक्ति।
  • पुनरुत्थानवादी ऐतिहासिक चेतना।
  • द्विवेदी काल में गौण मात्रा में ही सही लेकिन स्वच्छंदतावाद की शुरुआत हो गई थी।
  • श्रीधर पाठक, रामनरेश त्रिपाठी मुकुटधर पाण्डेय ऐसे ही कवि हैं।

Mahavir Prasad Dwivedi | महावीर प्रसाद द्विवेदी की रचना धर्मिता



इनका जन्म 15 मई, 1864 में रायबरेली के दौलतपुर गांव में हुआ और इनकी मृत्यु 21 दिसम्बर, 1938 में रायबरेली में हुई। आधुनिक हिंदी साहित्य में इनके अतुलनीय योगदान के कारण ही इसके दूसरे युग को द्विवेदी युग कहा जाता है।

महावीर प्रसाद द्विवेदी कहते हैं कि “चींटी से लेकर हाथी तक और भिक्षुक से लेकर राजा पर्यंत मनुष्य तक कविता की जा सकती है।”
इनकी रचना “हे कविते” सरस्वती पत्रिका में 1900 में प्रकाशित हुई।

महावीर प्रसाद द्विवेदी की चर्चित कविताएं :

  1. सरगो नरक ठिकाना नाहि
  2. नागरी तेरी यह दशा
  3. वली वर्द
  4. विधि विडंबना

महावीर प्रसाद द्विवेदी की मौलिक रचनाएं :

  1. देवी स्तुति शतक
  2. कान्य कुब्जावली व्रतम
  3. कान्यकुब्ज अबला विलाप
  4. नागरी
  5. समाचार संपादकस्तव
  6. काव्य मंजूषा
  7. सुमन
  8. कवि कर्तव्य
  9. कविता कलाप

कविता कलाप महावीर प्रसाद द्विवेदी की संपादित कृति है। इसमें पांच कवि थे जो निम्न है :

  1. महावीर प्रसाद द्विवेदी
  2. राय देवी प्रसाद पूर्ण
  3. नाथूराम शर्मा ‘शंकर’
  4. मैथिलीशरण गुप्त
  5. कामता प्रसाद गुरु

महावीर प्रसाद द्विवेदी के अनुवाद कार्य :

  • भृतहरी के वैराग्य शतक का अनुवाद ‘विनय विनोद’ के नाम से तथा
  • भृतहरी के श्रृंगार शतक का अनुवाद ‘स्नेह माला’ नाम से किया है।
  • जय देव के गीत गोविंद का अनुवाद ‘विहार वाटिका’ के नाम से किया।
  • पंडित जगन्नाथ की गंगा लहरी का अनुवाद ‘गंगा लहरी’ के नाम से ही किया है।
  • कालिदास के ऋतु संहार का अनुवाद ‘ऋतु तरंगिणी‘ के नाम से किया है।
  • संस्कृत के श्री महिम्न स्तोत्र का अनुवाद इसी नाम से किया है।

महावीर प्रसाद द्विवेदी के बारे में प्रमुख तथ्य :

महावीर प्रसाद द्विवेदी की रचना धर्मिता के सन्दर्भ में कुछ प्रमुख तथ्यों का उल्लेख इस प्रकार है :

बंगाल में रविंद्र नाथ टैगोर ने ‘काव्य की उपेक्षिताएं’ नामक लेख लिखा। इस लेख से प्रभावित होकर 1908 में महावीर प्रसाद द्विवेदी ने “भुजंग भूषण भट्टाचार्य” के छद्म नाम से सरस्वती पत्रिका में एक लेख लिखा :

“कवियों की उर्मिला विषयक उदासीनता” इस लेख को पढ़कर गुप्त जी को “साकेत” लिखने की प्रेरणा मिली। महावीर प्रसाद द्विवेदी “सुकवि किंकर” के छद्म नाम से भी लिखते थे।

1914 ईस्वी में सरस्वती पत्रिका में ‘हीरा डोम’ की कविता “अछूत की शिकायत” प्रकाशित हुई। यह हिंदी के पहले दलित कवि और दलित कविता मानी जाती है।

1916 ईस्वी में निराला की “जूही की कली” को द्विवेदी जी ने छापने से इंकार कर दिया। आगे चलकर यह कविता 1921 ईस्वी में “सुधा पत्रिका” में प्रकाशित हुई।

महावीर प्रसाद द्विवेदी ने 1916 ईस्वी में निराला के “हिंदी और बांग्ला का तुलनात्मक व्याकरण” को प्रकाशित किया। आचार्य रामचंद्र शुक्ल ने महावीर प्रसाद द्विवेदी के निबंधों को “बातों का संग्रह” कहा है।

महावीर प्रसाद द्विवेदी ने 1899 ईस्वी में “श्रीधर सप्तक” लिखकर खड़ी बोली हिंदी के पहले कवि की प्रशंसा की है। द्विवेदी जी का सर्वाधिक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक कार्य “भाषा का परिमार्जन एवं परिष्कार” करना है।

इन्हें खड़ी बोली गद्य का व्यवस्थापक आचार्य भी कहा जाता है। ये सरलता, सादगी, असलियत व जोश के कवि हैं।

आचार्य रामचंद्र शुक्ल ने कहा है कि “गद्य की भाषा पर द्विवेदी जी के इस शुभ प्रभाव का स्मरण, जब तक भाषा के लिए शुद्धता आवश्यक समझी जाएगी तब तक बना रहेगा।”

महावीर प्रसाद द्विवेदी मैथिलीशरण गुप्त के साहित्यिक गुरु माने जाते हैं।

“करते तुलसीदास भी कैसे मानस नाद।
महावीर का यदि उन्हें मिलता नहीं प्रसाद।।”



Dwivedi Yug | द्विवेदी युग के स्वच्छंदतावादी कवि


Dwivedi Yug | द्विवेदी युग में तीन स्वच्छंदतावादी कवि माने जाते हैं जो निम्न है :

  1. श्रीधर पाठक
  2. रामनरेश त्रिपाठी
  3. मुकुटधर पाण्डेय

श्रीधर पाठक | Shridhar Pathak

श्रीधर पाठक द्विवेदी काल के वरिष्ठ कवि हैं। ब्रजभाषा को छोड़कर खड़ी बोली क्षेत्र में आने वाले पहले कवि श्रीधर पाठक है। ये आधुनिक काल में खड़ी बोली हिंदी के पहले कवि माने जाते हैं। खड़ी बोली हिंदी के पहले समर्थ कवि श्रीधर पाठक हैं तथा ये स्वच्छंतावाद के प्रवर्तक कवि माने जाते हैं।

इनका जन्म उत्तर प्रदेश में 11 जनवरी, 1860 में हुआ तथा इनकी मृत्यु 1928 में हुई। श्रीधर पाठक हिंदी के पहले ऐसे कवि हैं जिन्होंने व्यापक रूप से प्रकृति के आलंबन रूप को स्थापित किया है।

श्रीधर पाठक की रचनाएं :

  1. जगत सचाई सार
  2. भारत गीत
  3. कश्मीर सुषमा
  4. देहरादून
  5. वनाष्टक
  6. धनविजय
  7. मनोविनोद
  8. स्वर्गीय वीणा।

जगत सचाई सार 51 पदों की लम्बी कविता है। भारत गीत 1918 में लिखा कविता संग्रह है। सरस्वती में प्रकाशित इनकी पहली कविता ‘गुणवंत हेमंत’ है।

मनोविनोद कविता में राज भक्ति की झलक दिखाई देती है, जो अपवाद है। स्वर्गीय वीणा 1887 में रचित है, जिसमें परोक्ष सत्ता की रहस्यात्मकता मिलती है।

श्रीधर पाठक के अनुवाद कार्य :

  • ग्रे की रचना “शेफर्ड एंड फिलॉस्फर” का अनुवाद “गडरिया और दार्शनिक शास्त्र” के नाम से किया। यह खड़ी बोली में है।
  • गोल्ड स्मिथ के “हरमिट” का अनुवाद “एकांतवासी योगी” के नाम से किया। यह भी खड़ी बोली में रचित है।
  • गोल्डस्मिथ के “ट्रेजर्टेड विलेज” का अनुवाद “उजडग्राम” नाम से किया है। यह ब्रज भाषा में है तथा इन्हीं के ‘ट्रैवलर’ का अनुवाद “श्रांतपथिक” के नाम से किया।
  • श्रीधर पाठक ने कालिदास के ऋतुसंहार के प्रथम 3 सर्गो का ब्रजभाषा में अनुवाद किया।

श्रीधर पाठक की चर्चित पंक्तियां :

“विजन वन प्रांत था प्रकृति मुख शांत था।”

“अटन का समय था रजनी का उदय था।”

“लिखो करो न लेखनी बंद।
श्रीधर सम सब कवि स्वच्छंद।।”

“जगत न सच्चा तनिक न कच्चा।
समझो बच्चा इसका भेद ।।”

“वंदनीय वह देश जहां के देशी निज अभिमानी हो।
निंदनीय वह देश जहां के देशी निज अज्ञानी हो।।”

“निज भाषा बोलहु , पढहु, गुनहु सब लोग।”


रामनरेश त्रिपाठी | Ram Naresh Tripathi

इनका जन्म उत्तर प्रदेश में 4 मार्च, 1890 ईस्वी में हुआ।

रामनरेश त्रिपाठी की रचनाएं :

  1. मिलन – 1917
  2. पथिक – 1920
  3. मानसी – 1927
  4. स्वप्न – 1929
  5. कविता कौमुदी
  • मिलन, पथिक, स्वप्न — प्रेमाख्यान काव्य है।
  • कविता कौमुदी (यह आठ भागों में प्रकाशित हो चुकी है) कविता कौमुदी के दूसरे भाग में ग्राम गीतों का सुंदर संकलन हुआ है। इसमें हिंदी, संस्कृत, बांग्ला, उर्दू आदि भाषाओं की कविताएं संकलित है।


मुकुटधर पांडेय | Mukut Dhar Pandey

इनका जन्म 1895 ईस्वी में हुआ। ये Dwivedi Yug | द्विवेदी युग के सर्वश्रेष्ठ प्रगीतकार माने जाते हैं। ये छायावाद शब्द के प्रथम प्रयोगता है। 1920 ईस्वी में श्री शारदा पत्रिका (जबलपुर, मध्य प्रदेश) में यह नाम दिया गया था। इनकी कविताओं में छायावाद का पूर्वाभास मिलता है।

मुकुटधर पांडेय की रचनाएं :

  1. प्रेम बंधन
  2. आंसू – 1916
  3. कानन कुसुम
  4. पूजा फूल

आचार्य रामचंद्र शुक्ल ने छायावाद के प्रवर्तकों में मैथिलीशरण गुप्त व मुकुटधर पांडेय का नाम गिनाया है।

इस प्रकार दोस्तों ! अब आप Dwivedi Yug | द्विवेदी युग और महावीर प्रसाद द्विवेदी की रचना धर्मिता तथा प्रमुख स्वच्छंदतावादी कवियों के बारे में अच्छे से परिचित हो गए होंगे। इसी सन्दर्भ में और अधिक जानकारी पाने के लिए जुड़े रहिये हमारे साथ। धन्यवाद !


यह भी जरूर पढ़े :


एक गुजारिश :

दोस्तों ! आशा करते है कि आपको “Dwivedi Yug | द्विवेदी युग और महावीर प्रसाद द्विवेदी” के बारे में हमारे द्वारा दी गयी जानकारी पसंद आयी होगी I यदि आपके मन में कोई भी सवाल या सुझाव हो तो नीचे कमेंट करके अवश्य बतायें I हम आपकी सहायता करने की पूरी कोशिश करेंगे I

नोट्स अच्छे लगे हो तो अपने दोस्तों को सोशल मीडिया पर शेयर करना न भूले I नोट्स पढ़ने और HindiShri पर बने रहने के लिए आपका धन्यवाद..!



1 thought on “Dwivedi Yug | द्विवेदी युग और महावीर प्रसाद द्विवेदी”

Leave a Comment

Ads Blocker Image Powered by Code Help Pro

Ads Blocker Detected!!!

We have detected that you are using extensions to block ads. Please support us by disabling these ads blocker.

Powered By
100% Free SEO Tools - Tool Kits PRO
error: Content is protected !!