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Bihari Ratnakar Ke Dohe बिहारी रत्नाकर के दोहे (1-6) व्याख्या सहित


Bihari Ratnakar Ke Dohe Vyakhya by Jagannath Das Ratnakar in Hindi : नमस्कार दोस्तों ! आज के अध्याय में हम श्री जगन्नाथदास रत्नाकर रचित “बिहारी-रत्नाकर” के दोहों की व्याख्या शुरू कर रहे है। ये दोहे प्रतियोगी परीक्षा की दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण है।

आपको बता दे कि यह रचना बिहारी रत्नाकर (जगन्नाथ दास रत्नाकर) द्वारा लिखी गयी है और यह बिहारी सतसई पर लिखी गई अंतिम रत्नाकरी टिका है। आज हम इसके 1-6 तक के दोहों की विस्तृत व्याख्या समझने वाले है। तो चलिए इन दोहों को विस्तार से पढ़ते है :

श्री जगन्नाथदास रत्नाकर रचित “बिहारी-रत्नाकर” के दोहों का विस्तृत अध्ययन करने के लिये आप
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Bihari Ratnakar बिहारी रत्नाकर के दोहों (1-3) की विस्तृत व्याख्या


Jagannath Das Ratnakar Krit Bihari Ratnakar Ke Dohe 1-3 Vyakhya in Hindi : दोस्तों ! बिहारी रत्नाकर के प्रथम तीन दोहों की व्याख्या इसप्रकार है :

दोहा : 1.

मेरी भव-बाधा हरौ, राधा नागरि सोइ।
जा तन की झाँई परे, स्याम हरित-दुति होइ ।।1.।।

व्याख्या :

कवि बिहारी इस दोहे में राधा से कह रहे है कि हे राधा ! आप मेरे सांसारिक कष्टों का नाश कीजिए। जिनके शरीर की छाया मात्र से, उनके प्रियतम अर्थात् श्रीकृष्ण जी प्रसन्न हो जाते हैं, वही राधा आप मेरी सांसारिक बाधाओं का नाश कीजिए।

कहने का भाव यह है कि है जिन राधारानी के रूप का ध्यान करने मात्र से, भक्तों के ह्रदय में कल्मष, पाप आदि समाप्त हो जाते हैं। ऐसी वो ही राधा मेरी भव बाधा अर्थात् सांसारिक दु:ख, कष्ट, दरिद्रता इत्यादि का हरण करें। इस दोहे को विद्वानों ने सतसई का मंगलाचरण दोहा माना है।

दोहा : 2.

अपने अंग के जानि कै जोबन-नृपति प्रबीन।
स्तन, मन, नैन, नितम्ब की बड़ौ इजाफा कीन ।।2.।।

व्याख्या :

दोस्तों ! इस दोहे में यौवनोन्मेष मूलक नायिका का चित्रण किया गया है। बिहारी ने अपने राजनीतिक ज्ञान को यौवनोन्मेष मूलक नारी-सौंदर्य का चित्रण करके दिखाया है।

कवि कहते हैं कि यौवन रुपी प्रवीण राजा ने नायिका के चार अंगों को अपनी सेना के चार अंग स्वीकार कर उनकी वृद्धि कर दी है। यह चार अंग स्तन, मन, नेत्र और नितंब है। ये यौन रूपी चतुरंगिणी सेना का प्रतीक है। इस दोहे में रूपक, छेकानुप्रास और वृत्यानुप्रास अलंकार का प्रयोग किया गया है।

दोहा : 3.

अरतै टरत न बर-परे, दई मरक मनु मैन।
होङाहोङी बढ़ि चले चितु, चतुराईन नैन ।।3.।।

व्याख्या :

इस पद में भी यौवनोन्मेष मूलक नायिका का चित्रण किया गया है। जिस नायिका ने यौवन में प्रवेश किया है, कवि उस नायिका का चित्रण कर रहे हैं। वे कहते हैं कि जैसे ही नायिका ने यौवन की दहलीज पर कदम रखा, वैसे ही उसके अंदर बहुत से बदलाव आये हैं।

नायिका के शरीर में यौवनोन्मेष के साथ-साथ चित् की चपलता, चतुराई और नेत्रों का विस्तार बढ़ता जा रहा है। नायिका के चित् की चपलता, चतुराई और नेत्रों के विस्तार में कौन अधिक बढ़ रहा है, यह निर्णय करना कठिन है।

कविवर बिहारी ने नायिका के मनोगत चपलता की वृद्धि, चतुराई और नेत्रों के विस्तार की गति में होड़ की कल्पना की है। मानो कामदेव ने इन्हें बढ़ावा दे रखा है। इस दोहे में छेकानुप्रास, उत्प्रेक्षा और वृत्यानुप्रास अलंकार का प्रयोग हुआ है।

Bihari Ratnakar बिहारी रत्नाकर के दोहों (4-6) की विस्तृत व्याख्या


Jagannath Das Ratnakar Krit Bihari Ratnakar Ke Dohe 4-6 Vyakhya in Hindi : दोस्तों ! बिहारी रत्नाकर के अगले 4-6 दोहों की व्याख्या इसप्रकार है :

दोहा : 4.

औरे-ओप कनीनिकनु गनी घनी-सरताज।
मनीं घनी के नेह की बनीं छनीं पट लाज ।।4.।।

व्याख्या :

इस पद में कवि ने अंकुरित यौवना मुग्धा नायिका के नेत्रों की पुतलियों का वर्णन किया है। कवि कहते है कि नेत्रों की पुतलियों में यौवनोन्मेष के कारण एक अद्भुत, अनिर्वचनीय चमक आ गई है। एक सखी इसी स्थिति का वर्णन नायिका से करती है।

और कहती है कि आप अपनी कनीनिकाओं अर्थात् नेत्रों की पुतलियों में उदित होने वाली लज्जाजनित, अनिर्वचनीय मधुरिमा के कारण सपत्नियों में श्रेष्ठतम मानी गई है। आपकी यह अनिर्वचनीय मधुरिमा पति को सम्मोहित करने वाली मणि के समान है। इस दोहे में छेकानुप्रास और रूपक अलंकार प्रयुक्त हुआ है।

दोहा : 5.

सनि कंजल चख-झख-लगन उपज्यौ सुदिन सनेहु।
क्यों न नृपति ह्वँ भोगवै लहि सुदेसु सबु देहु ।।5.।।

व्याख्या :

दोस्तों ! यह दोहा बिहारी के ज्योतिष ज्ञान पर आधारित है। ज्योतिष में ऐसा माना जाता है कि जब भी कभी मीन राशि में शनि का प्रवेश होता है, उस समय पर जो बालक जन्म लेता है, वह बालक निश्चित रूप से बहुत प्रभावशाली, योग्य शासक, चक्रवर्ती सम्राट के रूप में विकसित होता है। इसी बात को आधार बनाकर बिहारी अपनी शृंगारिक भावनाओं को अभिव्यक्त कर रहे हैं।

इस पद में नायक ने नायिका के सुंदर काजल लगे नेत्रों को देखा है और वह इतना मुग्ध हो गया है कि वह हर स्थिति में उस नायिका से मिलना चाहता है। वह अपने मन के भाव को नायिका की सखी के सामने व्यक्त करता है। वह सखी नायिका के पास जाकर उसे संदेश देती है कि नायिका अब युवती हो गई है। उसने अपने नेत्र में काजल लगाया हुआ है। उस काजल के कारण उसके नेत्रों में जो सौंदर्य उत्पन्न हुआ है, उससे नायक उसकी ओर आकर्षित हो गया है।

बिहारी रत्नाकर के दोहे 5 की व्याख्या :

सखी आकर नायक की भावनाओं को बताती है कि तेरे मछली के समान सुंदर नेत्रों में शनि रूपी काजल लगा है, उनमें एक शुभ मुहूर्त में स्नेह का भाव उत्पन्न हो गया है। उन नेत्रों के सौंदर्य को देखकर नायक के ह्रदय में स्नेह का भाव उत्पन्न हो गया है।

भाव यह है कि नायिका पने काजल लगे नेत्रों से नायक के ह्रदय में प्रेम उत्पन्न कर देती है। नायक मोहित हो जाता है और उसके मन-प्राण में नायिका के सुंदर नेत्रों वाली छवि बस जाती है।

एक सखी नायिका से इसी स्थिति का वर्णन करती हुई कह रही है कि हे नायिका ! तेरे नेत्र मछली (मीन) की तरह है। इनमें लगा हुआ काजल शनि ग्रह जैसा है। ऐसे शुभ मुहूर्त में उत्पन्न शिशु प्रसिद्ध राजा होता है। वैसे ही तुम्हारा स्नेह भी प्रसिद्ध और स्थायी होगा। इस दोहे में रूपक और वृत्यानुप्रास अलंकार है।

दोहा : 6.

सालति है नटसाल सी, क्यों हूँ निकसिति नांहि।
मनमथ-नेजा-नोक भी खुभी-खुभी जिय मांहि ।।6.।।

व्याख्या :

दोस्तों ! इस दोहे में कवि कह रहे हैं कि नायक ने जब नायिका को ‘खुभी’ नामक आभूषण पहने हुए देखा तो उसके प्रति उसका प्रेम भाव और अधिक बढ़ जाता है। यह प्रेम भाव नायक को पीड़ित करता रहता है।

नायिका के कान में शोभित ”खुभी’ नायक के हृदय में गडकर, कामदेव के भाले की नोंक की तरह उसे पीड़ा दे रही है। इस पद में वृत्यानुप्रास, उपमा और यमक अलंकार प्रयुक्त हुये हैं।

इसप्रकार दोस्तों ! आज हमने बिहारी रत्नाकर के 1 से लेकर 6 तक के दोहों की विस्तृत व्याख्या को समझा। उम्मीद है कि आपको इन दोहों का भाव अच्छे से समझ में आ गया होगा और समझने में भी कोई परेशानी नहीं हुई होगी। फिर मिलते है अगले कुछ महत्वपूर्ण दोहों के साथ।


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एक गुजारिश :

दोस्तों ! आशा करते है कि आपको “Bihari Ratnakar Ke Dohe बिहारी रत्नाकर के दोहे (1-6) व्याख्या सहित” के बारे में हमारे द्वारा दी गयी जानकारी पसंद आयी होगी I यदि आपके मन में कोई भी सवाल या सुझाव हो तो नीचे कमेंट करके अवश्य बतायें I हम आपकी सहायता करने की पूरी कोशिश करेंगे I

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